भ्रष्टाचार : करोड़पति बाबुओं से संपत्ति का ब्यौरा नहीं ले पा रहा एलडीए

भ्रष्टाचार की कलंक कथा लिखकर कई बाबुओं ने बनाई करोड़ों की संपत्ति

Sandesh Wahak Digital Desk/Vinay Shankar Awasthi : तरह-तरह की लग्जरी गाडिय़ों से लेकर दर्जनों प्लाट-मकान, फार्म हाउस और बेशकीमती संपत्तियां। ये ठाठ किसी और के नहीं बल्कि लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) के कुछ चुनिंदा बाबुओं के हैं, जिनका वेतन महज पैंतिस से चालीस हजार है मगर हैसियत करोड़ों में है। एलडीए की बेशकमती संपत्तियों की फर्जी रजिस्ट्री, समायोजन में फर्जीवाड़े से लेकर ठगी का खेल लागातार एलडीए में सामने आ रहा है। पिछले कुछ सालों में ऐसे तमाम बाबू एलडीए से बर्खास्त भी हो चुके हैं और कुछ सेवानिवृत्त भी।

प्राधिकरण में बाबुओं को खुली छूट दे दी गई

एलडीए के अध्याय में भ्रष्टाचार की कलंक कथा लिखने में बाबुओं का बड़ा हाथ रहा है। बावजूद इसके एलडीए के बाबुओं और अफसरों से उनकी संपत्ति का वार्षिक ब्यौरा नहीं लिया जा रहा है। जबकि सीएम योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार को लेकर सख्त हैं और अपनी संपत्ति का ब्यौरा खुद ही सार्वजनिक कर चुके हैं। लेकिन प्राधिकरण में बाबुओं को खुली छूट दे दी गई है।

एलडीए के कई बाबू व अफसर ऐसे हैं जिनके परिजनों व स्वयं के पास राजधानी में एक से अधिक संपत्ति है। यह काली कमाई प्राधिकरण के दामन पर दाग लगाकर कमाई गई है। गोमती नगर, ट्रांसपोर्ट नगर, जानकीपुरम, प्रियदर्शनी योजना सहित प्राधिकरण की तमाम योजनाओं में गड़बड़ी हुई है।

फर्जी रजिस्ट्री के मामले में बाबू पवन कुमार बर्खास्त

बीते गुरुवार को गोमती नगर व गोमती नगर विस्तार में प्लाटों की फर्जी रजिस्ट्री के मामले में बाबू पवन कुमार को उपाध्यक्ष डॉ इन्द्रमणि त्रिपाठी ने बर्खास्त कर दिया। इससे पहले प्लाट के नाम पर ठगी और फर्जीवाड़ा करने के मामले में बाबू मुसाफिर सिंह व अजय वर्मा को 24 मार्च 2023 को बर्खास्त किया गया था।

नवंबर 2017 को संपत्ति व समायोजन में फर्जीवाड़े के तीन आरोप सही पाए जाने पर एलडीए के चर्चित बाबू मुक्तेश्वर नाथ ओझा को तत्कालीन उपाध्यक्ष प्रभुएन सिंह ने बर्खास्त कर दिया था। काशी नाथ जैसे बाबू भी निकाले गए। अजय प्रताप जैसे बाबू आज तक फरार हैं। वहीं सुरेंद्र मोहन जैसे बाबू ने चंद वर्ष नौकरी की और इस्तीफा देकर राजनीति में उतर गए हैं। उक्त नाम तो केवल बानगी हैं।

एलडीए का जानकीपुरम घोटाला अब तक सबसे बड़ा था। इसमें केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई)  ने डेढ़ दर्जन अफसर व कर्मचारी को दोषी पाया था। कई निलंबन से लेकर बर्खास्तगी की कार्रवाई भी हुई। इस पूरे कॉकस से एलडीए को अरबों की चोट पहुंचाई।

भ्रष्टाचार की सैंकड़ों जांचें लंबित

एलडीए में अफसरों ने भ्रष्टाचार के कुछ बड़े मामलों में बर्खास्ती व निलंबन की कार्रवाई कर अपनी जिम्मेदारी से इतिश्री कर ली। लेकिन प्राधिकरण में बाबू, इंजीनियर और अफसरों के भ्रष्टाचार की तमाम जांचें लंबित हैं। सचिव, अपर सचिव, चीफ इंजीनियर, वित्त नियंत्रक पर काम का बोझ इतान ज्यादा है कि जांचें पूरी नहीं हो पा रही है।

भ्रष्टाचार में शामिल कर्मियों पर लगातार सख्ती और कार्रवाई की जा रही है। सभी कर्मियों से संपत्ति का ब्यौरा मांगा जाएगा। इसके लिए जल्द ही आदेश जारी किया जाएगा।

 डॉ. इन्द्रमणि त्रिपाठी, उपाध्यक्ष, एलडीए।

Also Read : उत्तर प्रदेश में फर्जी फर्मों से हजारों करोड़ के राजस्व की तगड़ी चपत

Get real time updates directly on you device, subscribe now.