अमेरिकी अदालत में गौतम अदाणी पर भ्रष्टाचार के आरोप, व्हाइट हाउस ने दी प्रतिक्रिया

Sandesh Wahak Digital Desk: भारतीय उद्योगपति गौतम अदाणी और उनके समूह के खिलाफ अमेरिकी अदालत में रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के गंभीर आरोपों ने भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव की आशंका पैदा कर दी है। अमेरिकी न्याय विभाग और प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग (SEC) द्वारा अदाणी समूह के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं। व्हाइट हाउस ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि भारत और अमेरिका के संबंध मजबूत नींव पर टिके हैं और इस मामले को सुलझाने का विश्वास जताया है।

गौतम अदाणी पर लगे आरोप

अदाणी समूह पर आरोप है कि उन्होंने भारत में सौर ऊर्जा परियोजनाओं के ठेके हासिल करने के लिए आंध्र प्रदेश और ओडिशा के सरकारी अधिकारियों को 26.5 करोड़ डॉलर (करीब 2,200 करोड़ रुपये) की रिश्वत दी। अमेरिकी जांच एजेंसियों के अनुसार, अदाणी ग्रीन एनर्जी ने रिश्वतखोरी के जरिए सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) से अनुबंध हासिल किया, जिससे कंपनी को 20 वर्षों में अरबों डॉलर का लाभ होने का अनुमान है।

अमेरिकी जांच और आरोप

2022 में शुरू हुई अमेरिकी जांच में यह भी सामने आया कि अदाणी समूह ने अमेरिकी निवेशकों और बॉण्डधारकों को गुमराह कर 2 अरब डॉलर जुटाए। इसके अलावा, अदाणी समूह पर विदेशी भ्रष्ट गतिविधियां अधिनियम (FCPA) और न्याय में बाधा डालने के आरोप लगाए गए हैं। गौतम अदाणी, उनके भतीजे सागर अदाणी और अन्य अधिकारियों के खिलाफ साजिश रचने, धोखाधड़ी, और रिश्वत के गंभीर आरोप लगाए गए हैं।

व्हाइट हाउस की प्रतिक्रिया

इस विवाद पर व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरिन जीन-पियरे ने कहा, “हम अदाणी समूह पर लगे आरोपों से अवगत हैं और इसे गंभीरता से देख रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा कि भारत-अमेरिका संबंध आपसी विश्वास और मजबूत नींव पर आधारित हैं। प्रेस सचिव ने विश्वास जताया कि इस मामले को भी अन्य विवादों की तरह शांतिपूर्वक सुलझा लिया जाएगा।

अदाणी समूह की प्रतिक्रिया और शेयर बाजार में गिरावट

अदाणी समूह ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए सभी आरोपों से इनकार किया है। हालांकि, इस विवाद के बाद अदाणी समूह की दस सूचीबद्ध कंपनियों के बाजार मूल्य में 26 अरब डॉलर (करीब 2.19 लाख करोड़ रुपये) की गिरावट दर्ज की गई है।

भारत-अमेरिका संबंधों पर असर?

विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला भारत और अमेरिका के रणनीतिक संबंधों पर दबाव डाल सकता है। हालांकि, व्हाइट हाउस ने इसे भारत-अमेरिका साझेदारी को प्रभावित करने वाला नहीं बताया है। अब आगे यह देखना दिलचस्प होगा कि अदाणी समूह और भारतीय सरकार इस मामले से कैसे निपटते हैं और इसका भारत-अमेरिका रिश्तों पर क्या असर पड़ता है।

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