भ्रष्टाचार: राजकीय निर्माण निगम के दागी इंजीनियरों पर एजेंसियां मेहरबान
उत्तर प्रदेश में राजकीय निर्माण निगम के दागी इंजीनियरों पर सीबीआई से लेकर राज्य स्तरीय एजेंसियां तक मेहरबान हैं। जांचें जारी रहने के दौरान अधिकांश इंजीनियर रिटायर तक हो गए।
Sandesh Wahak Digital Desk: उत्तर प्रदेश में राजकीय निर्माण निगम के दागी इंजीनियरों पर सीबीआई से लेकर राज्य स्तरीय एजेंसियां तक मेहरबान हैं। जांचें जारी रहने के दौरान अधिकांश इंजीनियर रिटायर तक हो गए। लेकिन कार्रवाई आज तक नहीं हुई। खासतौर पर बसपा और सपा राज के दौरान निर्माण निगम में हजारों करोड़ के घोटालों की कलंक कथा लिखी गयी थी।
तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में करोड़ों के मेडिकल कॉलेज के निर्माण में घोटाले की जांच सीबीआई ने शुरू की थी। 2017 में निर्माण निगम के तत्कालीन प्रोजेक्ट मैनेजर जीपी वर्मा और अनुराग गोयल के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ। सीबीआई को जांच के दौरान एक डायरी मिली थी। जिसमें एमडी के नाम पर करोड़ों की रिश्वत लेने का जिक्र था। डायरी मे लेनदेन का पूरा ब्यौरा दर्ज था। कुल 20 ट्रान्जैक्शन हुये थे। जिसमें दो करोड़ रुपये रिश्वत की बात सामने आयी। निगम के तत्कालीन प्रोजेक्ट मैनेजर जीपी वर्मा और प्रोजेक्ट मैनेजर रहे अनुराग गोयल को लाखों रुपए दिए गए। एक पांच लाख का ऐसा ट्रान्जैक्शन हुआ जो अदिति झान्झी नामक व्यक्ति को दिया गया। यह पैसा किसी एमडी को ट्रान्सफर हुआ। सीबीआई आज तक निर्माण निगम के इस एमडी की गर्दन तक नहीं पहुंच पाई।
विजिलेंस ने पूर्व एमडी को भी बख्शा
लखनऊ में सीबीआई ने निर्माण निगम के दफ्तर पर छापेमारी भी की थी। इसके बाद बारी 1400 करोड़ के स्मारक घोटाले की है। इस घोटाले में शामिल आरोपियों के खिलाफ मनीलांड्रिंग की जांच ईडी के हवाले है। वहीं विजिलेंस भी जांच कर रही है। लेकिन ईडी ने पूर्व एमडी सीपी सिंह समेत दागी इंजीनियरों की सम्पत्तियां नहीं जब्त की। विजिलेंस ने भी इस पूर्व एमडी को बख्श दिया।
पूर्व एमडी आरके गोयल के घोटालों की नहीं हुई जांच
इसी तरह तकरीबन छह साल पहले आयकर विभाग ने निर्माण निगम के जिस जीएम शिव आश्रय शर्मा के ऊपर छापे मारकर 600 करोड़ के साम्राज्य का खुलासा किया था। योगी सरकार ने इसे निलंबित किया था। वो आराम से रिटायर हो गया। इसका देहरादून में सौ करोड़ का लग्जरी फार्म हाउस भी था। निर्माण निगम के इन्ही भ्रष्ट इंजीनियरों के कारण वर्तमान में इसका राजस्व आधा भी नहीं रह गया है। राजकीय निर्माण निगम में दागी इंजीनियरों की फेहरिस्त लम्बी है। पूर्व एमडी आरके गोयल के घोटालों की जांच भी नहीं हुई। इस पूर्व एमडी के इशारों पर लोकभवन में स्मारक घोटाले की दोषी फर्मों को पत्थर आपूर्ति का ठेका दिया गया था।
नियुक्तियों में भी फर्जीवाड़ा
वर्तमान समय में भी निर्माण निगम के कई अफसरों का दामन भ्रष्टाचार के आरोपों से दागदार है। यही नहीं कई इंजीनियरों के ऊपर फर्जी दस्तावेजों से नियुक्ति पाने सरीखे संगीन आरोप भी हैं। इनमें से एक आरोपी जॉइंट एमडी हेमराज शर्मा ने पूर्व में इस्तीफा दे दिया था। वहीं एक जीएम अभी भी कार्यरत हैं। कई शिकायतों के बावजूद जांचों को दबवा दिया गया।
हाईकोर्ट की विजिलेंस सेल ने भी की जांच
यही नहीं नए हाईकोर्ट के निर्माण में भी घोटालों के संगीन आरोप लगे थे। बाकायदा तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के आदेश पर हाईकोर्ट की विजिलेंस सेल ने जांच भी शुरू की। तीन सदस्यीय इस जांच समिति में न्यायाधीश वीरेंद्र त्यागी भी शामिल थे। जांच आदेशित करने वाले न्यायाधीश चंद्रचूड़ अब सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई हैं।
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