गोरखपुर नगर निगम की आउटसोर्सिंग भर्ती पर विवाद, अखिलेश यादव ने किया विरोध

Sandesh Wahak Digital Desk : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर में नगर निगम ने आउटसोर्सिंग के माध्यम से सेवानिवृत्त अधिकारियों और कर्मचारियों की तहसीलदार, नायब तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक और लेखपाल के पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया है।

इस भर्ती प्रक्रिया को लेकर विरोध की आवाज़ें उठने लगी हैं। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस भर्ती को पीडीए (पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम) के खिलाफ एक “आर्थिक साज़िश” करार दिया है और भाजपा से इसे तत्काल वापस लेने की अपील की है।

अखिलेश यादव ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट करते हुए कहा कि यह भर्ती प्रक्रिया भाजपा के असली एजेंडे को सामने लाती है, जो कभी भी नौकरी और आरक्षण के संवैधानिक अधिकारों के प्रति गंभीर नहीं रही।

यह प्रस्ताव “घोर आपत्तिजनक और निंदनीय” है

उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि भाजपा अगर पूरी सरकार को ही आउटसोर्स कर दे, तो उसके लिए यह एक सेट कमीशन का काम बन जाएगा, और फिर उसे नौकरी और आरक्षण को खत्म करने के लिए अलग-अलग मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव “घोर आपत्तिजनक और निंदनीय” है, और भाजपा को इसे तुरंत वापस लेना चाहिए।

गोरखपुर नगर निगम द्वारा जारी विज्ञापन में कहा गया है कि बढ़ते कार्यभार के कारण सेवानिवृत्त अधिकारियों और कर्मचारियों की आउटसोर्सिंग के माध्यम से निम्नलिखित पदों पर नियुक्तियां की जाएंगी:

  • तहसीलदार (1 पद)
  • नायब तहसीलदार (1 पद)
  • राजस्व निरीक्षक (2 पद)
  • लेखपाल (5 पद)

इन पदों के लिए मानदेय क्रमश: 35,000 रुपए, 30,000 रुपए, 29,000 रुपए और 27,000 रुपए निर्धारित किया गया है। इसके लिए आवेदन 7 दिसंबर 2024 तक स्वीकार किए जाएंगे। नगर निगम का यह विज्ञापन 18 नवंबर 2024 को अपर नगर आयुक्त द्वारा जारी किया गया था।

यह भर्ती प्रस्ताव अब राजनीतिक बहस का कारण बन चुका है, और इसे लेकर सत्ताधारी दल भाजपा और विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के बीच तीखी नोकझोंक जारी है।

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