चित्रकूट: निर्माणधीन स्काई ग्लास ब्रिज में करोड़ों रुपये की कमीश्नखोरी, कटघरें में वन विभाग के अफसर

दरारों के बाद अब निर्माण शुरू होते ही ठेकेदार को पूरा भुगतान करने का खुलासा

Sandesh Wahak Digital Desk: यूपी में वन विभाग के अफसर अपने कारनामों के कारण एक बार फिर सुर्खियां बटोर रहे हैं। मामला चित्रकूट में करोड़ों की लागत से निर्माणाधीन स्काई ग्लास ब्रिज का है। जिसके प्लेटफॉर्म में दरारें आने के बाद वन विभाग के अफसरों ने अपने बचाव में ब्रिज अभी हैंडओवर न होने की बात कही थी। नए खुलासे के तहत ब्रिज का निर्माण पूरा होने से पहले ही कार्यदायी कंपनी को करोड़ों का पूरा भुगतान कर दिया गया था।

ऐसा लगता है अफसरों ने कमीशनखोरी के चक्कर में ब्रिज को मानो निर्माण फर्म के हाथों एक तरह से गिरवी रखते हुए उसकी गुणवत्ता को ताख पर रख दिया है। नतीजतन वन विभाग के अफसरों की कार्यप्रणाली के ऊपर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं।

तुलसी जल प्रपात में बनाया जा रहा प्रदेश का पहला स्काई ग्लास ब्रिज

इको पर्यटन विकास के तहत पाठा क्षेत्र में मारकुंडी के पास तुलसी जल प्रपात में प्रदेश का पहला स्काई ग्लास ब्रिज बन रहा है, जिसकी तीन करोड़ 70 लाख रुपये लागत है। वन विभाग ने मेसर्स पवनसुत कंस्ट्रक्शन कंपनी गाजीपुर को ठेका दिया था।

लोकसभा चुनाव से पहले वन विभाग ने दावा किया था कि ब्रिज का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है लेकिन चार दिन पहले बारिश के बाद इसकी सीढिय़ों के नीचे प्लेटफार्म में दरारें दिखीं। ऐसे में गुणवत्ता को लेकर सवाल उठने लगे। वन विभाग के अधिकारी यह कहकर बचाव करते रहे कि अभी काम पूरा ही नहीं हुआ है और ब्रिज उनको हैंडओवर नहीं किया गया। हैंडओवर से पहले वह गुणवत्ता की जांच कराएंगे।

अब पता चला है कि कंपनी को वन विभाग के तत्कालीन अधिकारियों ने पिछले साल मार्च में ही पूरा भुगतान तीन करोड़ 70 लाख कर दिया, जबकि उस दौरान निर्माण की शुरुआत हुई थी। खुलासे के बाद वन विभाग के अफसरों की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में आ रही है। कार्य की न तो वित्तीय और न ही भौतिक प्रगति देखी गई और धीरे-धीरे निर्माण कराने वाली कंपनी को एक झटके में पूरी धनराशि दे दी गई।

इसके पीछे वजह बताई जा रही है कि जिम्मेदार सेवानिवृत्त होने वाले थे जिस पर भुगतान में जल्दबाजी की गई। इनके दबाव में निचले स्तर पर कार्य का सुपरविजन करने वाले अधिकारी व कर्मचारी खामोशी साधे रहे। बताया जा रहा है कि यह ब्रिज कमीशनखोरी का शिकार हो गया।

ब्रिज अभी हैंडओवर नहीं हुआ: उपनिदेशक

उपनिदेशक रानीपुर टाइगर रिजर्व डॉ. एनके सिंह के अनुसार ब्रिज में जो भी कमियां हैं और मौजूदा स्थिति है, उसकी रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजी गई है। भुगतान में नियमों आदि के अनुपालन के संबंध में उच्चाधिकारियों को अवगत कराया गया है। निर्माण के दौरान कई बार निरीक्षण करने गए हैं। ब्रिज अभी हैंडओवर नहीं हुआ है।

पूरी जांच के लिए समिति बनाई गई: डीएम चित्रकूट

चित्रकूट के डीएम शिवशरणप्पा जीएन ने बताया कि स्काई ग्लास ब्रिज में दरारें आने का मामला संज्ञान में आने के बाद खुद निरीक्षण किया था। कुछ कमियां मिली हैं, जिन्हें सही कराने के निर्देश उपनिदेशक रानीपुर टाइगर रिजर्व को दिए गए हैं। ब्रिज का काम अभी पूरा नहीं हुआ है। पूरी जांच के लिए समिति बनाई गई है जो जांच कर रिपोर्ट देगी।

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