Chandgi Ram Kaliraman: शाकाहारी पहलवान बनकर ओलंपिक में दिखाया दम, बदल दी अपने प्रदेश की किस्मत

Chandgi Ram Kaliraman Biography: कुश्ती एक ऐसा खेल है. जो भारत के लिए सबसे सफल खेलों में से एक है. हर एक देशवासी को ओलंपिक में भारतीय पहलवानों से पदक की काफी उम्मीदें रहती हैं. देश में कुश्ती का इतिहास भी काफी पुराना है. देखा जाए तो भारत के हरियाणा राज्य में कुश्ती को लेकर सबसे ज्यादा दीवानगी है. यही वजह है कि कोई भी खेल हो भारतीय कुश्ती टीम में ज्यादातर हरियाणा के पहलवान ही नजर आते हैं.

Chandgi Ram Kaliraman

ऐसे ही एक मशहूर पहलवान हरियाणा से हैं. जिनका नाम है मास्टर चंदगीराम कालीरामण. इन्होंने अपनी कुश्ती से देश का नाम काफी ऊंचा किया है. इसके अलावा चंदगीराम कालीरामण ने कुश्ती में क्रांति लाने का भी काम किया है.

1961 के राष्ट्रीय चैंपियन थे चंदगीराम कालीरामण

Chandgi Ram Kaliraman

चंदगीराम कालीरामण का जन्म 9 नवंबर 1937 को हरियाणा के हिसार के सिसई गांव में हुआ था. उन्होंने 21 साल की उम्र में कुश्ती शुरू कर दी थी. वे 1961 में राष्ट्रीय चैंपियन बने. चंदगीराम कालीरामण जी ने भारतीय सेना में जाट रेजिमेंट में सेवा की. चंदगीराम कालीरामण जी के नाम कई खिताब और पदक भी हैं.

चंदगीराम कालीरामण के नाम हैं कई खिताब और पदक

साल 1960 के दशक में चंदगीराम कालीरामण जी एक प्रमुख भारतीय पहलवान थे, जिन्होंने हिंद केसरी, भारत केसरी, भारत भीम, रुस्तम-ए-हिंद और महा भारत केसरी जैसे प्रमुख खिताब जीते. चंदगीराम कालीरामण को साल 1969 में अर्जुन पुरस्कार और 1971 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था. उन्होंने 1970 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता और 1972 के ओलंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया.

शाकाहारी पहलवान के तौर पर जाने जाते थे चंदगीराम

Chandgi Ram Kaliraman

चंदगीराम कालीरामण ने म्यूनिख ओलंपिक 1972 में भारत का प्रतिनिधित्व किया था. लेकिन शुरुआत में भारतीय कुश्ती संघ ने उन्हें ओलंपिक के लिए नहीं चुना था. बाद में जब इस बारे में प्रमुख अखबारों में खबर छपी और आलोचना हुई, तो उन्हें म्यूनिख ओलंपिक 1972 में भेजा गया. वहां जाकर विदेशी पहलवान यह जानकर हैरान रह गए कि चंदगीराम कालीरामण शाकाहारी पहलवान हैं. जिसके बाद उन्हें शाकाहारी पहलवान के तौर पर एक अलग पहचान मिली.

चंदगीराम कालीरामण जी ने कुश्ती में ला दी क्रांति

साल 1997 में चंदगीराम ने भारत में महिला कुश्ती को लोकप्रिय बनाने का प्रयास शुरू किया. उन्होंने अपनी बेटियों सोनिका और दीपिका को कुश्ती में शामिल किया और भारत का पहला महिला कुश्ती प्रशिक्षण केंद्र, चंदगीराम अखाड़ा स्थापित किया. शुरुआती विरोध और कठिनाइयों के बावजूद, चंदगीराम ने महिलाओं के प्रदर्शन मैचों के माध्यम से कुश्ती के क्षेत्र में बदलाव लाने का प्रयास किया.

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