हिन्दी में कामकाज की झूठी रिपोर्ट बनाता है सीजीएसटी लखनऊ जोन
72 घंटे तक हिन्दी में एक आदेश नहीं दिखा सके लखनऊ जोन के प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर
Sandesh Wahak Digital Desk : सीबीआईसी (केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड) से जुड़े बड़े अफसर देश की राजभाषा हिंदी में सरकारी कामकाज करने को तैयार नहीं है।
आलम ये है कि बोर्ड से जुड़े दफ्तरों में हिंदी में कामकाज से जुड़ी फर्जी रिपोर्ट तक अपनी करनी छुपाने के लिए भेजी जा रही है। सेंट्रल जीएसटी में तबादला आदेश से लेकर करदाताओं को नोटिस और सामान्य पत्राचार में भी सिर्फ अंग्रेजी का ही बोलबाला है। हिन्दी भाषी राज्यों में भी सीबीआईसी के अफसरों का अंग्रेजी प्रेम तनिक भी कम होने को कतई तैयार नहीं है।
इसका साक्षात उदाहरण सेंट्रल जीएसटी का लखनऊ जोन है। जहां पिछले 72 घंटों से प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर डॉ उमाशंकर हिन्दी सबंधी अपना एक आदेश भी नहीं खोज सके। ‘संदेश वाहक’ के पास मौजूद सीजीएसटी लखनऊ जोन की एक तिमाही रिपोर्ट के मुताबिक लखनऊ में हिंदी में 90 फीसदी से ज्यादा पत्राचार हो रहा है।
टिप्पणी और लेखन तक में लखनऊ एक में 76 फीसदी और लखनऊ दो में 94 फीसदी से अधिक हिन्दी इस्तेमाल हो रही है। हिन्दी में प्राप्त पत्रों के उत्तर और अंग्रेजी में प्राप्त पत्रों के उत्तर से लेकर मूल पत्राचार से जुड़े आंकड़ें रिपोर्ट में ऐसे दिखाए गए, मानो सीजीएसटी (लखनऊ जोन) में सारा कामकाज हिन्दी में होता है। हिन्दी के लिए आवाज उठाने पर अफसरों का प्रशासनिक उत्पीडऩ होता है।
यहां सौ फीसदी काम हिंदी में होता है: डॉ. उमाशंकर
सीजीएसटी (लखनऊ जोन) के प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर डॉ उमाशंकर ने कहा कि यहां सौ फीसदी काम हिन्दी में होता है। मैंने हिन्दी से जुड़े कई आदेश जारी किये हैं। वो आपको मैं दिलवाता हूं। उनके दफ्तर में काफी देर इन्तजार करने और 72 घंटे बीतने के बावजूद एक भी आदेश ‘संदेश वाहक’ को मुहैया नहीं कराया जा सका।
आईआरएस अफसरों का भ्रष्टाचार रि-पोस्ट करने पर इंस्पेक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष को थमाई चार्जशीट
सीबीआईसी में बैठी आईआरएस अफसरों की ताकतवर लॉबी को भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाना कतई पसंद नहीं है। तभी सेंट्रल जीएसटी लखनऊ जोन के तत्कालीन प्रिंसिपल कमिश्नर महेंद्र रंगा और एडिशनल कमिश्नर विवेक जैन के ऊपर एसवीएलडीआरएस योजना में लगे अरबों के घोटाले के आरोपों की विजिलेंस जांच में भले कोई तेजी नहीं दिखाई जा रही है।
लेकिन दोनों आईआरएस अफसरों के भ्रष्टाचार से जुड़ी सोशल मीडिया साइट एक्स की पोस्ट को रि-पोस्ट करने पर तत्काल कार्रवाई करके कर्मियों का प्रशासनिक उत्पीडऩ जरूर किया जा रहा है। इसका ताजा उदाहरण ऑल इण्डिया सेंट्रल एक्साइज इंस्पेक्टर्स एसोसिएशन लखनऊ सर्किल के अध्यक्ष अखिल सोनी को बिना प्रारम्भिक जांच किये कानपुर कमिश्नर ने 29 अगस्त को चार्जशीट थमा दी है। वहीं भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे वरिष्ठ आईआरएस महेंद्र रंगा को प्रमोशन का तोहफा तक दे दिया गया है।
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