सावधान: संभलकर चलें, Pradesh की सडक़ों पर हमेशा दौड़ती है मौत
चाहे शाम का धुंधलका हो या दिन की रोशनी, प्रदेश (Pradesh) की सडक़ों पर मौत हमेशा ही दौड़ती रहती है।
संदेशवाहक डिजिटल डेस्क। चाहे शाम का धुंधलका हो या दिन की रोशनी, प्रदेश (Pradesh) की सडक़ों पर मौत हमेशा ही दौड़ती रहती है। मौत का यह स्वरूप कभी अनियंत्रित कंटेसा के रूप में तो कभी ट्रक या बस के रूप में दिखाई पड़ता है। चौपहिया वाहनों की होड़ में कभी दोपहिया सवार चपेट में आते हैं तो कभी पैदल चलने वाले इनकी रफ्तार से धोखा खा जाते हैं। प्रदेश की सडक़ें इसी रफ्तार के चक्कर में दिनों-दिन खूनी होती जा रही हैं। धुंधलके के बाद पिछले दिनों में दर्ज हादसे के सैकड़ों मामले इस सच्चाई की तस्वीर बयां करती है। जबकि हकीकत है कि साल में 20 हजार लोगों की मौत सडक़ हादसे में हो रही है।
एक्सीडेंट के अनछुए पहलू इसमें जोड़े जाएं तो तस्वीर और भी बदतर नजर आएगी। सच यह भी है कि मौत और रफ्तार के सौदागर पर पुलिस का शिकंजा भी अमूमन ढीला ही रहता है। बिरले ही मौके होते हैं जब आरोपी वाहन-चालक और उसका मालिक पुलिस के शिकंजे में चढ़ते हैं। वैसे पुलिस के लिए शायद यह सौदा फायदेमंद ही है, वरना कोई वजह नहीं की रफ्तार पर अंकुश लगाने वाले लाखों के उपकरण पुलिस लाइन में धूल फांक रहे हैं। सच्चाई है कि प्रदेश (Pradesh) पुलिस के पास मौजूद ऐसे उपकरण सिर्फ प्रदर्शन के दौरान ही सामने आते हैं।
Pradesh की इस समस्या को लेकर CM जता चुके हैं असंतोष
सडक़ हादसों और उस पर लगे वाहनों के भीषण जाम को लेकर चिन्तित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) कई बार बैठकों में अपनी असंतुष्टि को जाहिर करते हुए इसे सुदृढ़ करने के लिए सख्त निर्देश दे चुके हैं। यहां तक कि जाम समस्या को लेकर मुख्यमंत्री ने दो पुलिस कमिश्नर को उनके पद से हटाकर लापरवाह अफसरों को कड़ा संदेश भी दे डाला, बावजूद इसके भी प्रदेश (Pradesh) में अभी तक न तो जाम समस्या का हल ही निकल पाया और न ही सडक़ हादसों में कमी आ पाई। दिलचस्प तथ्य यह है कि वर्षों बीत गए लेकिन यातायात उपकरण के सहारे किसी पर कार्रवाई नहीं हुई।
प्रदेश में बिगड़े यातायात व्यवस्था के संदर्भ में पूछने पर डीजीपी राजकुमार विश्वकर्मा ने बताया कि बिगत माह में ट्रैफिक व सडक़ सुरक्षा को लेकर मुख्यमंत्री ने सभी विभागों के मुखिया व उनके मंत्रियों के साथ महत्वपूर्ण बैठक कर उन्हें आवश्यक निर्देश दिए थे। विश्वकर्मा ने बताया कि ट्रैफिक व्यवस्था में औऱ भी सुधार की आवश्यकता है। इससे सम्बंधित अधिकारियों को कड़े निर्देश भी दिए गए हैं। हत्या से अधिक सडक़ हादसे में होने वाली मौतो की पुष्टि करते हुए डीजीपी ने बताया कि लोगों को जागरूक करने के लिए प्रदेश भर में हर साल चार-बार यातायात सप्ताह मनाया जाता है।
सुप्रीम कोर्ट भी चिंतित
पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित कमेटी ऑफ रोड सेफ्टी के चेयरमैन सेवानिवृत्त जस्टिस अभय मोहन सप्रे ने भी अपने लखनऊ प्रवास के दौरान सडक़ दुर्घटनाओं को कड़ाई से रोकने का निर्देश दिया है।
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