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संपादकीय

संपादक की कलम से: बाघों की सुरक्षा और लापरवाह तंत्र

यूपी के दुधवा नेशनल पार्क में पचास दिनों के भीतर चार बाघों की मौत ने इस वन्य पशु की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

संपादक की कलम से: मानसून के भरोसे महंगाई

महंगाई में वृद्धि का बड़ा कारण बढ़ती बेरोजगारी है। इससे लोगों की क्रय शक्ति घटी है। लिहाजा बाजार में पूंजी का प्रवाह पर्याप्त गति…

संपादक की कलम से: कोर्ट की सुरक्षा दरकिनार क्यों?

लखनऊ के एससी-एसटी कोर्ट में कुख्यात संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की हत्या ने एक बार फिर उत्तर प्रदेश की अदालतों और पुलिस अभिरक्षा में…

संपादक की कलम से: विपक्षी एकता का सवाल

लोकसभा चुनाव से पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षी एकजुटता की कोशिश कर रहे हैं। वे अपने हर बयान में विपक्षी दलों को…

संपादक की कलम से: पर्यावरण संरक्षण पर एक्शन की जरूरत

योगी सरकार के पहले कार्यकाल में 100 करोड़ पौधों का रोपण किया गया था जिसे दूसरे कार्यकाल में बढ़ाकर 175 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य…

सम्पादक की कलम से : खेलों के विकास को चाहिए मजबूत बुनियाद

Sandesh Wahak Digital Desk : उत्तर प्रदेश के वाराणसी में तीसरे खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स का आयोजन पूरे धूमधाम से संपन्न हो…

संपादक की कलम से: ट्रेन हादसे से उठते सवाल

हकीकत यह है कि आज भी कई राज्यों में जर्जर हो चुकी ट्रेन पटरियों को बदला नहीं जा सका है। कई रेलवे पुल अपनी मियाद पूरी कर चुके हैं…

संपादक की कलम से: लोकतंत्र में रेवड़ी कल्चर के नतीजे

कांग्रेस की गहलोत सरकार ने अभी से सौ यूनिट तक फ्री बिजली व पांच सौ में गैस सिलेंडर देने का ऐलान कर एक बार फिर सत्ता के लिए जारी…