खाली पड़े फ्लैटों के नहीं मिल रहे खरीददार, अब डिमांड सर्वे के हिसाब से योजना लाएगा एलडीए
Sandesh Wahak Digital Desk : करीब एक दशक पहले शहर के विभिन्न इलाकों में बिना डिमांड सर्वे के लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) के इंजीनियरों ने हजारों फ्लैट बना दिए। अब उन फ्लैटों को खरीदार नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में अब एलडीए अफसरों ने साफ कह दिया है कि अब ग्राहकों की जरूरत के हिसाब से एलडीए प्लाट देगा, नए फ्लैट नहीं बनाए जाएंगे।
लखनऊ विकास प्राधिकरण की कई योजनाओं में लगभग 2000 से अधिक फ्लैट खाली पड़े हैं। इन फ्लैटों की कीमत घटाने के बावजूद इनके खरीदार नहीं मिल रहे हैं। सालों से ये परियोजनाएं किसी भूतिया ठिकाने की तरह लग रही हैं। एलडीए को इसके कारण हाल के वर्षों में भारी नुकसान उठाना पड़ा है। इसके अलावा लोग अब फ्लैट की बजाय भूखंड खरीदने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाते हैं।
साल 2021 में भी ऐसा ही फैसला लिया गया था। उस दौरान बसंत कुंज योजना में 400 मकानों के निर्माण का प्रस्ताव स्थगित कर दिया गया था। एलडीए ने उन मकानों को प्लॉट के रूप में बेचने का निर्णय लिया था।
खाली फ्लैटों को पहले आओ पहले पाओ योजना में रखकर बेचा जा रहा
एलडीए बसंत कुंज योजना में 800 वर्ग फुट एलआईजी मकानों की कीमत करीब 30 लाख रुपये के आसपास है। खरीदारों द्वारा रुचि न दिखाने की वजह से प्राधिकरण ने नए मकान बनाने का प्रस्ताव स्थगित कर दिया था। हांलाकि एलडीए अफसरों का कहना है कि पीएम आवास के मकानों का काम जारी रहेगा। डिमांड सर्वे के अनुसार भविष्य में छोटे फ्लैट बनाने पर विचार किया जाएगा। लेकिन फिलहाल बड़े फ्लैट नहीं बनेंगे। जो बने हैं उन्हें पहले आओ पहले पाओ योजना में रखकर बेचा जा रहा है।
आएगी ढाई हजार भूखंड की योजना
प्लाट की मांग को देखते हुए एलडीए मोहान रोड योजना में आवासीय व व्यावसायिक ढाई हजार से ज्यादा भूखंडों की बिक्री करेगा। 90 से 400 वर्ग मीटर के भूखंड दिए जाएंगे। साथ हीए 20 हजार से अधिक ग्रुप हाउसिंग के फ्लैट बनाए जाएंगे।
फर्जीवाड़ा कर प्लाट बेचने वाला एलडीए का बाबू गिरफ्तार
गोमतीनगर पुलिस ने फर्जी कागज के सहारे प्लाट बेचने में शामिल बाबू रामानन्द राम को गिरफ्तार कर लिया। जिसके खिलाफ एलडीए के उपसचिव माधवेश कुमार ने आठ दिसंबर 2022 को मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस के मुताबिक एलडीए गेट के पास से हजरतगंज बालू अड्डा निवासी रामानन्द राम को पकड़ा गया।
उपसचिव की तहरीर पर दर्ज हुए मुकदमे की विवेचना एसआई सतीश कुमार सिंह ने की। जांच में पाया गया कि बाबू द्वारा विराटखंड 1/138 की रजिस्ट्री फर्जी कागजों के सहारे सरोजनीनगर शांतिनगर निवासी रितु अग्रवाल को की गई। जिसमें गिरिजा प्रसाद, विजय कुमार और शेष मणि पाण्डेय भी शामिल हैं। अफसरों ने बताया कि रामानन्द को फर्जी कागज तैयार कर हेरफेर किए जाने की पूरी जानकारी थी। बता दें कि पिछले एक साल में एलडीए की ओर से भ्रष्टाचार में शामिल बाबुओं के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। इसमें कई बाबू निलंबित व बर्खास्त किए जा चुके हैं।
Also Read : भ्रष्टों पर फुल टॉलरेंस : यूपी में तैनात आईआरएस अफसरों को बचाने का खेल