Bulandshahr News: डाकघर अधीक्षक ने खुद को मारी गोली, सुसाइड से पहले SSP को लिखा पत्र

Sandesh Wahak Digital Desk: यूपी के बुलंदशहर में प्रधान डाकघर के एक अधिकारी ने बुधवार सुबह गोली मारकर सुसाइट कर लिया। इस घटना के बाद जिले में सनसनी फैल गई है।

तो वहीं इस आत्मघाती कदम को उठाने वाले से पहले वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के नाम सुसाइड नोट भी लिखा। पत्र में प्रधान डाकघर के अधीक्षक ने कई लोगों पर परेशान करने का आरोप लगाया है। फिलहाल पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजकर मामले में आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है।

मिली जानकारी के अनुसार ये घटना बुधवार की सुबह की है। बुलंदशहर में तैनात डाक विभाग के अधिकारी टीपी सिंह ने अलीगढ़ के बन्नादेवी के सुरक्षा विहार स्थित अपने आवास पर सुसाइड की है। सुसाइड करने वाले डाक अधिकारी मूल रूप से लोधा के गांव अकराबाद के रहने वाले थे। उन्होंने SSP के नाम लिखे सुसाइड नोट में कई लोगों के नाम लिखे हैं। उनको ही इसके लिए जिम्मेदार बताया है।

सीबीआई की छह सदस्यीय टीम ने मारा था छापा

डाक अधीक्षक की सुसाइड से एक दिन पहले बुलंदशहर के प्रधान डाकघर में मंगलवार को सीबीआई की 6 सदस्यीय टीम ने जांच की थी। इस दौरान टीम ने वर्ष 2016 से अब तक के कर्मचारियों से संबंधित दस्तावेजों को जांचा। विभाग के एक सेवानिवृत्त कर्मी ने कई अन्य कर्मियों के भ्रमण भत्ते का बिल पास न करने के मामले में शिकायत की थी। उन्होंने डाक अधीक्षक पर रिश्वत का आरोप लगाया था। उसके बाद जांच के लिए टीम आई थी। इधर विभागीय अधिकारी इसे सीबीआई की जगह विजिलेंस टीम बता नियमित ऑडिट करने की बात कह रहे हैं।

सीबीआई की टीम मंगलवार रात करीब नौ बजे तक शाखा डाकपाल पदों पर हुई नियुक्तियों, लीप टूर कन्वेंस, गबन, चार्जशीट संबंधी फाइल खंगालती रही। विभाग के सेवानिवृत्त कर्मी बनवारीलाल ने बताया कि भ्रमण भत्ते का बिल पास नहीं हुआ। कई बार मांग करने पर रिश्वत की मांग की गई। रिश्वत मांगे जाने पर इसकी शिकायत सीबीआई कार्यालय में की थी। शिकायतकर्ता 31 मार्च 2022 को सेवानिवृत्त हुए थे। वहीं, करीब पांच लाख रुपये के बिल पास न करने पर शिकायत की बात कही।

डाक अधीक्षक पर लगे थे गंभीर आरोप

सुसाइड करने वाले डाक अधीक्षक पर रिश्वत मांगने के गंभीर आरोप लगे थे। सिकंदराबाद डाककर्मी सतीश का आरोप है कि डाक अधीक्षक ने निर्धारित से अधिक गांव में डाक वितरण करवाने के बाद अतिरिक्त भुगतान की धनराशि का आधा हिस्सा रिश्वत के तौर पर मांगा था। इस संबंध में उच्च अफसरों से शिकायत की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। आरोप है कि डाक अधीक्षक बिना रिश्वत के कोई कार्य नहीं करते थे। विभागीय कर्मियों का भी कहना है कि टीम एक घोटाले की जांच करने आई थी।

 

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