यूपी के सियासी प्रयोग को देशभर में आजमाएगी भाजपा
देश में सत्ता का रास्ता यूपी से होकर गुजरता है। इस लिहाज से उत्तर प्रदेश में अपनाये गए सियासी प्रयोगों को सभी दल देश भर में अक्सर लागू करते हैं।
Sandesh Wahak Digital Desk: देश में सत्ता का रास्ता यूपी से होकर गुजरता है। इस लिहाज से उत्तर प्रदेश में अपनाये गए सियासी प्रयोगों को सभी दल देश भर में अक्सर लागू करते हैं। इस बार भाजपा भी मुस्लिम उम्मीदवारों के मामले में यूपी में अपनाये सियासी समीकरणों को देश भर के लिए नजीर बनाने पर शिद्द्त से विचार कर रही है। प्रयोग के नतीजे सत्ताधारी पार्टी के लिए सकारात्मक भी रहे हैं।
यूपी निकाय चुनाव में पहली बार सबसे अधिक 391 मुस्लिम उम्मीदवारों को भाजपा ने टिकट दिया। इनमें से 60 से अधिक चुनाव जीत जाते हैं। इसके साथ भाजपा ने अपने सहयोगी के साथ रामपुर की स्वार सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारा, जिसकी जीत हुई।
गहराई से मंथन में जुटी भाजपा
पसमांदा मुसलमानों को लकर भाजपा काफी समय से रणनीति तैयार कर रही है। यूपी में इस समुदाय से आने वाले दानिश अंसारी को मंत्री भी बनाया है। पसमांदा मुसलमानों को लेकर जो तैयारी चल रही थी, उस फॉर्मूले का यूपी निकाय चुनाव में टेस्ट किया गया था। भाजपा ने निकाय चुनाव में यूपी में जिन मुस्लिम उम्मीदवारों को उतारा उनमें अधिक संख्या पसमांदा मुसलमानों की है। यूपी निकाय चुनाव में यह रणनीति काफी हद तक कारगर रही। 2024 के आम चुनाव में इस सियासी रणनीति को भाजपा आगे के चुनाव में शामिल करने पर गहराई से मंथन में जुटी है।
भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी के मुताबिक 66 लोकसभा सीटों पर टीम बनाई गई है। इन सीटों पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
लोकसभा चुनावों में मुस्लिम उम्मीदवार जीत से रहे दूर
सिद्दीकी ने कहा कि जिस तरीके से यूपी में कई मुस्लिम पार्षद पार्टी के टिकट पर चुने गए हैं, उसी तरह बहुतों को टिकट मिलेगा और वे लोकसभा चुनाव में भी जीतेंगे। भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के दावों के इतर वर्तमान समय में पार्टी का कोई सांसद न ही लोकसभा में है और न राज्यसभा में। इसके अलावा राज्यों में भी गिनती के मुस्लिम विधायक हैं। नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा 2014 और 2019 के आम चुनाव में कोई मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव जीतकर लोकसभा नहीं पहुंचा था।
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