VIDEO: यूपी में नौकरशाही से सरेआम लोहा लेने में जुटे भाजपा विधायक, सार्वजनिक धमकियां देने से नहीं करते हैं परहेज

Sandesh Wahak Digital Desk: लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद भाजपा विधायकों ने खराब प्रदर्शन के लिए नौकरशाही को भी जिम्मेदार ठहराया था।

हार की समीक्षा के लिए भाजपा की टीमें प्रदेश भर में भेजी गयी, उन्होंने भी जनता के बीच आक्रोश का ठीकरा अफसरों के सर फोडऩे में तनिक भी देर नहीं लगाई। अब मिशन 2027 और सेमीफाइनल माने जाने वाले उपचुनाव पर सरकार और संगठन का पूरा फोकस है। इसी बीच भाजपा विधायकों ने खुद नौकरशाही  से सरेआम लोहा लेना मानो शुरू कर दिया है।

सार्वजनिक धमकियां देने से नहीं करते हैं परहेज

जिस प्रकार की घटनाएं और वायरल वीडियो बीते दिनों सामने आये हैं। उसमें बाकायदा हाथ-पैर तोडऩे से लेकर जूते से मारने तक धमकियां देने से सत्ता पक्ष के विधायकों को तनिक भी परहेज नहीं है।

इसी सोमवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर मिर्जापुर के नीबी गहरवार गांव के सार्वजनिक कार्यक्रम में पहुंचे भाजपा विधायक रत्नाकर मिश्रा एक राजस्व अफसर पर भड़क गए। विधायक ने एसडीएम से कहा कि कार्रवाई नहीं हुई तो उसके हाथ पैर तोड़ दिए जाएंगे।

इस माह की शुरुआत में बुलंदशहर के खुर्जा से भाजपा विधायक मीनाक्षी सिंह ने एक आवासीय सोसाइटी में मंदिर का चबूतरा गिराने पहुंचे अफसरों को जूते से मारने की धमकी दे डाली। 22 अगस्त को बरेली के भाजपा विधायक संजीव अग्रवाल ने तिरंगा यात्रा के दौरान दरोगा को झिडक़ते हुए कहा कि हट पीछे, अपनी नजरें नीची कर। दरोगा का कसूर सिर्फ इतना था कि तिरंगा नीचे आने पर उसने चेताया था। जो वायरल वीडियो में साफ़ सुनाई दे रहा है।

जुलाई में कानपुर से भाजपा विधायक सुरेंद्र नैथानी अवैध बस्ती को खाली कराने पर इतना भडक़ गए कि प्रशासनिक अफसर और इंजीनियर से बोले कि अगर बुलडोजर चला तो तुमको और बुलडोजर दोनों को नहर में घुसेड़ दूंगा। दो दिन पहले गाजियाबाद से भाजपा विधायक नंद किशोर गुर्जर ने कहा कि जब से कमिश्नरेट सिस्टम लागू हुआ है तब से अपराध में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। कोई अधिकारी सुनने को तैयार नहीं है। हालात नहीं सुधरे तो खुद बुलडोजर लेकर निकलेंगे। वहीं सोशल मीडिया पर भी भाजपा विधायक लगातार अपनी भड़ास निकाल रहे हैं।

सार्वजनिक बेइज्जती अफसरों का मनोबल प्रभावित करती है

मुख्य सचिव के पद से रिटायर एक अफसर ने कहा कि घटनाएं हर सरकार में होती हैं। चुनाव करीब आते ही इनमें इजाफा होता है। नौकरशाही को बिना किसी के प्रभाव में आकर निष्पक्ष तरीके से काम करना चाहिए। सार्वजनिक रूप से बेइज्जत करने से ईमानदार अफसरों का मनोबल गिर सकता है।

अनियंत्रित होने का आभास कराती है नौकरशाही

भाजपा से जुड़े एक नेता ने कहा कि पूर्व की सरकारों में तो गुंडे रूपी कार्यकर्ता सीओ को सीधे गाडी के बोनट पर टांग दिया करते थे। वर्तमान में नौकरशाही अक्सर खुद के अनियंत्रित होने का आभास कराती है। बैठकों में कई बार अनियंत्रित नौकरशाही का मुद्दा उठा है। जनता अपना दर्द लेकर जनप्रतिनिधियों के पास ही जाती है। पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल भी अक्सर टूटता है।

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