इलाहाबाद हाईकोर्ट से आजम परिवार को बड़ी राहत, फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में मिली जमानत
Sandesh Wahak Digital Desk: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को आजम परिवार को बड़ी राहत दी है। न्यायालय ने आजम खान को सर्टिफिकेट मामले में मिली सात साल की सजा पर रोक लगा दी है। हालांकि न्यायालय ने आजम खान की पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम की सजा पर रोक नहीं लगाई है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम की सजा पर रोक लगाने वाली याचिका को मंजूर नहीं किया। फिलहाल कोर्ट ने आजम खान पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्लाह आजम तीनों की जमानत मंजूर कर ली है।
बता दें कि बेटे अब्दुल्ला आजम के 2 बर्थ सर्टिफिकेट बनवाए जाने और उनका दुरुपयोग किए जाने के मामले में मिली 7-7 वर्ष की सजा के खिलाफ याचिकाएं दाखिल की गई थीं।
गौरतलब है कि रामपुर की स्पेशल कोर्ट से मिली 7-7 साल की सजा को आजम खान पत्नी तंजीन फात्मा और बेटे अब्दुल्ला आजम ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में आजम खान को राहत दी है। उनकी सजा पर रोक लगा दी है और जमानत भी दे दी है।
पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे को जमानत तो दे दी है, लेकिन सजा पर रोक नहीं लगाई है। रामपुर की स्पेशल कोर्ट ने 18 अक्टूबर 2023 को तीनों को 7-7 वर्ष की सजा सुनाई थी। इसके साथ ही कोर्ट ने 50-50 पचास हजार रूपए का जुर्माना लगाया था। न्यायाधीश संजय कुमार सिंह की सिंगल बेंच ने फैसला सुनाया। तीनों याचिकाओं पर सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने 14 मई को अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया था।
अब्दुल्ला आजम ने चुनावी फॉर्म में उम्र बताई थी गलत
चुनावी नतीजों के बाद उनके खिलाफ हाई कोर्ट में केस दाखिल कर दिया गया था। उन पर आरोप लगाया गया था कि अब्दुल्ला आजम ने चुनावी फॉर्म में जो उम्र बताई है। असल में उनकी उम्र उतनी नहीं है। आरोप था कि अब्दुल्ला विधायक का चुनाव लड़ने की उम्र का पैमाना पूरा नहीं करते हैं। शैक्षणिक प्रमाण पत्र में अब्दुल्ला का डेट ऑफ बर्थ 1 जनवरी 1993 है। जबकि जन्म प्रमाण पत्र में 30 सितंबर 1990 है।
यह मामला हाई कोर्ट पहुंचने के बाद इस पर सुनवाई शुरू हुई थी। अब्दुल्ला आजम की तरफ से पेश किए गए जन्म प्रमाण पत्र को फर्जी पाया गया था। इसके बाद स्वार सीट से उनका चुनाव रद्द कर दिया गया था। अब्दुल्ला पर पहले जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर पासपोर्ट हासिल करने और विदेशी दौरे करने के साथ ही सरकारी उद्देश्य के लिए दूसरे प्रमाण पत्र का इस्तेमाल करने का भी आरोप है।
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