यूपी में निवेश बढ़ाने के लिए योगी सरकार का बड़ा फैसला, मुख्य सचिव ने बताया पूरा प्लान
Sandesh Wahak Digital Desk: अब जिलाधिकारी व मंडलायुक्त उत्तर प्रदेश में निवेश व क्रेडिट डिपाजिट (सीडी) रेशियो बढ़ाने के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार होंगे। उन्हें हर साल निवेश व सीडी रेशियों का लक्ष्य दिया जाएगा, जिसे उन्हें पूरा करना होगा। इसकी सालाना रिपोर्ट तैयार होगी। इस तरह की व्यवस्था करने वाला यूपी देश का पहला राज्य बन गया है।
मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने शुक्रवार को कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर यह निर्णय लिया गया है और इससे संबंधित शासनादेश जारी कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि इस समय राज्य का सीडी रेश्यिो 59 प्रतिशत है। मुख्यमंत्री ने इसे एक साल में 65 फीसदी करने का लक्ष्य रखा है।
निवेश लाने के प्रयासों की बनानी होगी रिपोर्ट
अब डीएम (जिलाधिकारी) और कमिश्नर (मंडलायुक्त ) को अपने क्षेत्र में निवेश लाने के प्रयासों की रिपोर्ट बनानी होगी। इसमें निवेशकों की सुरक्षा, सुविधाएं और सहूलियतों को ध्यान में रखते हुए किये गये प्रयासों का मूल्यांकन होगा, जिससे ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा मिलेगा।
साथ ही उद्यमियों के लिए समयबद्ध तरीके से लैंड अलॉटमेंट, सब्सिडी, लैंड यूज चेंज, लैंड क्लियरेंस समेत लैंड बैंक को तैयार कर उसकी मॉनीटरिंग और रेगुलर अपडेशन किये जाने का भी मूल्यांकन किया जाएगा। जिन जिलों के डीएम बेहतर प्रदर्शन करेंगे और अधिक निवेश आकर्षित करेंगे, उन्हें उच्च ग्रेडिंग और विशेष सम्मान दिया जाएगा।
दो तीन हफ्तों के अंदर इस व्यवस्था को लागू कर दिया जाएगा। वहीं शासनदेश में कहा गया है कि डीएम व कमिश्नर अपने वार्षिक रिपोर्ट में यह सुनिश्चित करेंगे उनके द्वारा विगत वर्ष में कितनी धनराशि का निवेश और इसके माध्यम से कितने रोजगार का सृजन हुआ। वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) में इसका उल्लेख अनिवार्य होगा।
आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए बनेंगी योजनाएं
मुख्य सचिव ने बताया कि प्रदेश में क्रमश: संभल, अमरोहा, बदायूं, रामपुर, कासगंज, एटा और मुरादाबाद का सीडी रेशियो सर्वाधिक है। वहीं उन्नाव, बलरामपुर, श्रावस्ती जैसे जिलों का सीडी रेशियो कम है। ऐसे जिलों में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने और सीडी रेशियो सुधारने के लिए विशेष योजनाएं बनाई जाएंगी। डीएम और कमिश्नर को हर साल अप्रैल में अपने जिले का सीडी रेशियो बताया जाएगा ताकि वे इसे बढ़ा सकें।