आरक्षण पर कोर्ट के फैसले के विरोध में भारत बंद का ऐलान, हिंसा भड़कने की आशंका में प्रशासन कर रहा तैयारी
Sandesh Wahak Digital Desk : अनुसूचित जाति, जनजाति के आरक्षण के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति ने 21 अगस्त को भारत बंद का ऐलान कर दिया है। इससे जुड़े संगठन जिलेवार बड़े प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं। इस दौरान हिंसा भड़कने की आशंका को देखते हुए पुलिस और प्रशासनिक अमला भी अपनी तैयारी कर रहा है।
क्रीमी लेयर को आरक्षण से बाहर करने के फैसले के विरोध में सोशल मीडिया पर कैंपेनिंग शुरू हो गई है। इसकी जानकारी होते ही 15 अगस्त को यूपी में नौकरशाही की एक हाई लेवल मीटिंग बुलाई गई। वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सभी मंडलायुक्त, जिलाधिकारी और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को मीटिंग में शामिल किया गया। प्रमुख सचिव गृह और डीजीपी ने मीटिंग को लीड किया। सभी जिलों के अधिकारियों को 21 अगस्त को होने वाले प्रदर्शनों को लेकर तैयारी करने के निर्देश दिए गए हैं। पश्चिमी यूपी को ज्यादा संवेदनशील मानकर वहां पुलिस को अलर्ट मोड पर रखा गया है।
इंटेलिजेंस ने आगजनी और बड़ी हिंसा भड़कने की दी है रिपोर्ट
सूत्रों के मुताबिक इंटेलिजेंस ने इस आंदोलन की जानकारी टॉप लेवल पर दी है। इसमें बताया गया की आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के तत्वाधान में चन्दौली में भीम आर्मी के अध्यक्ष शेरू निगम, कानपुर देहात में भारत मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष रमर कटेरिया, मेरठ में बहुजन जनता दल (खोडावाल) के अध्यक्ष अतुल खोडावाल, मैनपुरी द बुद्धिस्ट सोसायटी आफ इण्डिया के अध्यक्ष विपिन बौद्ध के नेतृत्व में भारी संख्या में लोग सड़क पर उतरने की तैयारी कर चुके हैं। रिपोर्ट में कहा गया है की आंदोलन का स्वरूप काफी व्यापक होगा। इस दौरान तोड़फोड़, आगजनी से इंकार नहीं किया जा सकता है। अगर ऐसा हुआ तो पूरे प्रदेश में हिंसा भड़क सकती है। इसलिए सभी जिलों के अधिकारियों को कहा गया है की आंदोलन को पैदल मार्च, ज्ञापन तक सीमित दायरे में रखने की तैयारी कर लें।
प्रधानमंत्री के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल भी ले चुकी है फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने 10 अगस्त को अनुसूचित जाति, जनजाति में क्रीमी लेयर को आरक्षण से बाहर करने का फैसला दिया था। इसपर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक हुई। जिसमे संविधान में दिए गए एससी और एसटी के लिए आरक्षण के उप-वर्गीकरण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर विस्तृत चर्चा हुई। बैठक में स्पष्ट किया गया कि डॉ. बीआर अंबेडकर द्वारा तैयार संविधान में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षण प्रणाली में “क्रीमी लेयर” का प्रावधान नहीं है। ऐसे में अंबेडकर के संविधान के मुताबिक ही आरक्षण का प्रावधान होना चाहिए।
आरक्षण को लेकर चर्चा में रहीं आईएएस टीना डाबी
राजस्थान कैडर की आईएएस टीना डाबी के आरक्षण का मुद्दा सुर्खियों में रहा है। साल 2016 में टीना डाबी को आरक्षण का लाभ लेकर आईएएस टॉपर बनने की चर्चा खूब हुई। देश भर में इसका भारी विरोध हुआ था। हालांकि बाद में यह बात सामने आई कि टीना ने बिना आरक्षण का लाभ लिए सबसे अधिक अंक हासिल किए थे। कोर्ट ने अनुसूचित जाति, जनजाति के ऐसे ही लोगों को आरक्षण के लाभ से बाहर करने का निर्णय दिया है। बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया मैनपुरी के अध्यक्ष विपिन बौद्ध का कहना है की हमे 22 फीसदी आरक्षण का लाभ मिल रहा है। लेकिन सरकारी नौकरियों में समाज के 11 फीसदी लोग ही पहुंच पा रहे हैं। ए श्रेणी की नौकरी पाने वाले लोगों को क्रीमी लेयर मानकर आरक्षण की व्यवस्था किया जाना सही होता, लेकिन तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की नौकरी करने वालों को इसमें शामिल करने से समाज का पिछड़ापन बना रह जायेगा। उन्होंने बताया की 21 अगस्त के भारत बंद का एलान उच्च स्तर से किया गया गया। इसकी तैयारी हो चुकी है। जिलेवार प्रदर्शन होगा और ज्ञापन दिया जायेगा।
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