NCR बैंक-बिल्डर गठजोड़: सूचनाओं के अभाव में सीबीआई जांच का रोडमैप लटका

Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava: एनसीआर में ठगे गए हजारों होम बायर्स के घावों पर सुप्रीम कोर्ट के मरहम के बावजूद बैंको-बिल्डरों के बीच भ्रष्ट गठजोड़ की सीबीआई जांच का खाका तैयार नहीं हो सका है।
सुप्रीम कोर्ट ने दो हफ्ते में मांगा था जांच का प्रस्ताव
हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने जरुरी जानकारियां जुटाना शुरू कर दिया है। एजेंसी ने एनसीआर के तीनों प्रमुख प्राधिकरणों को निर्धारित फॉर्मेट भेजकर आठ बिंदुओं पर जानकारियां मांगी हैं। इसके बाद ही सीबीआई जांच का रोड मैप तैयार कर सकेगी।
दिल्ली में सीबीआई मुख्यालय की आर्थिक अपराध शाखा (इकोनॉमिक ऑफेंस जोन) ईओ एक के प्रमुख और डीआईजी गगनदीप सिंगला की तरफ से 29 मार्च को ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी), यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा), नवीन ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा अथॉरिटी) के सीईओ को इस संबंध में पत्र भेजा गया है। जिसमें कहा गया है कि एसएलपी हिमांशु सिंह बनाम केंद्र सरकार के सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई को इस संबंध में दो हफ़्तों के भीतर विस्तृत जांच प्रस्ताव दाखिल करना है।
सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गुरुग्राम(हरियाणा) और आसपास के क्षेत्रों में जारी आवासीय योजनाओं में बैंकों और बिल्डरों के बीच गठजोड़ का संज्ञान लिया था। सीबीआई ने एक अप्रैल तक जानकारियां मांगी थी। अभी तक सिर्फ ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने ही मांगी जानकारियां उपलब्ध कराई हैं।
एनसीआर के तीन में से दो प्राधिकरणों ने नहीं भेजा जवाब
वहीं यीडा और नोएडा अथॉरिटी के अफसर सूचनाओं का जवाब दो हफ्ते बाद भी तैयार नहीं कर सके हैं। सीबीआई ने निर्धारित प्रोफार्मा पर आठ सेगमेंट के जरिये ठप प्रोजेक्टों का पता और नाम, संबंधित बिल्डरों का पता और नाम, भूमि आवंटित करने की तिथि, संबंधित अथॉरिटी का कुल बकाया, 25 फीसदी पैसा जमा किया गया या नहीं, ठप-पुनर्जीवित-सरेंडर प्रोजेक्टों की ताजा स्थिति, रेरा रजिस्ट्रेशन और अतिरिक्त सूचनाएं (यदि हों, कमेंट्स) मांगा है।
दो प्राधिकरणों से जानकारियां नहीं मिलने के कारण सीबीआई जांच के लिए तय होने जा रहे रोडमैप का खाका खटाई में पड़ता नजर आ रहा है। सीबीआई की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दो हफ़्तों के भीतर जांच कैसे की जायेगी, इसका रोडमैप तैयार करने का भरोसा दिया गया था। एनसीआर के 40 बिल्डर और 30 बैंक/फाइनेंशियल संस्थाओं पर 18 मार्च को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बेहद सख्त रवैया अख्तियार किया था।

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