आसाराम को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, 31 मार्च तक मिली जमानत
Sandesh Wahak Digital Desk: नाबालिग से दुष्कर्म के आरोप में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे आसाराम बापू को सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल आधार पर अंतरिम जमानत दी है। कोर्ट ने यह जमानत 31 मार्च तक के लिए मंजूर की है। फिलहाल आसाराम को जोधपुर सेंट्रल जेल से भगत की कोठी स्थित आरोग्य चिकित्सा केंद्र में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज जारी है। बताया जा रहा है कि आसाराम को दिल की बीमारी है और वह पहले हार्ट अटैक का सामना कर चुका है।
सुप्रीम कोर्ट ने जमानत के दौरान कड़ी शर्तें लगाई हैं। इनमें प्रमुख शर्त यह है कि आसाराम अपने किसी भी अनुयायी से नहीं मिल सकता। साथ ही पुलिसकर्मियों की तैनाती भी सुनिश्चित की गई है।
दुष्कर्म के आरोप में काट रहे सजा
बता दें कि आसाराम पर 2013 में एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म का आरोप लगा था। लड़की के माता-पिता ने शिकायत दर्ज करवाई थी कि उनकी बेटी छिंदवाड़ा के गुरुकुल में पढ़ाई करती थी। एक दिन उन्हें फोन पर सूचना मिली कि उनकी बेटी पर भूत-प्रेत का साया है और उसका इलाज सिर्फ आसाराम कर सकता है। जब वे अपनी बेटी को लेकर जोधपुर आश्रम पहुंचे, तो आसाराम ने कथित तौर पर कुटिया में बुलाकर लड़की का यौन शोषण किया।
तो वहीं शिकायत दर्ज होने के बाद पुलिस ने 31 अगस्त 2013 को आसाराम को इंदौर से गिरफ्तार किया। करीब पांच साल तक चली सुनवाई के बाद अप्रैल 2018 में जोधपुर की अदालत ने आसाराम को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। आसाराम के खिलाफ मामला सामने आने के कुछ ही महीनों बाद सूरत की दो बहनों ने भी आरोप लगाया कि 2001 से 2006 के बीच आसाराम और उनके बेटे नारायण साईं ने उनका यौन शोषण किया। सूरत की अदालत ने अप्रैल 2019 में नारायण साईं को भी दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने पीड़िता को 5 लाख रुपये मुआवजा देने का भी आदेश दिया था।
तो वहीं इस मामले में आसाराम की पत्नी लक्ष्मी और बेटी भारती को भी आरोपी बनाया गया था। हालांकि, अदालत ने मुख्य दोषी के रूप में आसाराम और नारायण साईं को उम्रकैद की सजा दी।
आसाराम को मेडिकल आधार पर दी गई अंतरिम जमानत को लेकर कई लोग सवाल उठा रहे हैं। उनका मानना है कि यह सजा से बचने का एक तरीका हो सकता है। हालांकि, कोर्ट ने पुलिस की कड़ी निगरानी में इलाज कराने का आदेश दिया है।
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