क्या आईएएस अभिषेक प्रकाश से मैनेजमेंट करने में जुटे हैं ईडी के अफसर?
करीब दो हफ्ते बाद भी मनी लॉड्रिंग का ईसीआईआर का अभी तक कोई पता नहीं, विजिलेंस तक ने शुरु की दी जांच

Sandesh Wahak Digital Desk: पीएम मोदी की प्राथमिकता काले धन को सफेद करने वालों पर शिकंजा कसना है। जिसका जिम्मा मनीलांड्रिंग कानून के तहत केंद्रीय एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के कंधों पर है।
उसके बावजूद यूपी में नौकरशाही के भ्रष्टों पर इस एजेंसी की दरियादिली देखते ही बनती है। तभी अरबों के घूसखोरी काण्ड में सुर्खियां बटोर रहे इन्वेस्ट यूपी के निलंबित सीईओ अभिषेक प्रकाश के खिलाफ अभी तक पीएमएलए ऐक्ट के तहत प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दर्ज नहीं की गयी है।

तकरीबन दो हफ्ते पहले सोलर फर्म से चार अरब की रिश्वत मांगने पर आईएएस अभिषेक प्रकाश के दलाल निकान्त जैन पर गोमतीनगर थाने पर एफआईआर दर्ज हुई थी। इसके बाद ईडी ने भी मामले में प्रारम्भिक जांच शुरू की। माना जा रहा था कि एफआईआर का संज्ञान लेने के बाद ईडी मनी लांड्रिंग के तहत केस जल्द दर्ज करेगी।
दलाल निकांत जैन की अभिषेक प्रकाश के अलावा कई अफसरों से साठ-गांठ
दलाल जैन और उसके पिता को बड़े ठेकों से अफसरों ने खूब नवाजा है। बेहिसाब सम्पत्तियां ही अर्जित की गई हैं। इसके जरिये अफसरों की काली कमाई को सफेद करने का खेल बड़े पैमाने पर हुआ। दलाल जैन के सर पर अभिषेक प्रकाश जैसे तमाम आईएएस का हाथ है। करीब दो हफ्ते बाद शासन के आदेश पर जहां विजिलेंस ने आईएएस अभिषेक प्रकाश और निकान्त जैन की अकूत सम्पत्तियों का पता लगाने के लिए गोपनीय जांच शुरू कर दी है।
वहीं ईडी अफसरों ने एक भी सर्च अभियान शुरू करना मुनासिब नहीं समझा। आईएएस अभिषेक प्रकाश के पास कई जिलों में सैकड़ों बीघे जमीनें, फर्जी कंपनियों का खेल और कीमती प्लॉट और मकान बताये जा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक ईडी के बड़े अफसर आईएएस अभिषेक प्रकाश को लेकर मेहरबानी के मूड में हैं। पहले भी कई भ्रष्टों को बख्शा गया है। जिसमें कई ईडी अफसरों की भूमिका संदिग्ध है।
अब 1500 करोड़ की सरकारी भूमि में खेल करने का संगीन आरोप
आईएएस अभिषेक प्रकाश के ऊपर लखनऊ डीएम और एलडीए वीसी रहते कई खेल करने के संगीन आरोप लग रहे हैं। ताजा आरोप शहीद पथ के निकट करीब डेढ़ हजार करोड़ कीमत की 90 एकड़ सरकारी जमीन का है। जिसे अभिषेक प्रकाश ने 2020 में जिला प्रशासन और एलडीए का मुखिया रहते बिल्डरों के कब्जे से मुक्त कराया था। उसके बाद इन्ही भूमाफिया बिल्डरों को एलडीए द्वारा बेशकीमती भूमि सौंपने के आरोप लग रहे हैं। दो बड़े बिल्डर इस खेल के सूत्रधार हैं। ये एलडीए की अर्जित भूमि थी।
जिसे प्लॉटिंग के जरिये बड़े-बड़े लोगों को बेख़ौफ बेचा गया था। 2020 में सरोजनीनगर तहसील के सरसवां व सदर तहसील के मलेशेमऊ बार्डर पर गोमती किनारे बिल्डर्स द्वारा अवैध रूप से कब्जा की गई जमीन एलडीए ने कब्जे में ली थी। खेल में एलडीए के तत्कालीन सीटीपी नितिन मित्तल भी शामिल बताये जा रहे हैं। जिन्हे बिल्डरों का एजेंट कहा जाता है। मित्तल की गहराई से जांच में काफी सम्पत्तियां मिलेंगी।
एजेंसी की इंटेलिजेंस यूनिट ने जानकारियां जुटाईं
ईडी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक सौर ऊर्जा के कलपुर्जे बनाने का संयंत्र लगाने वाली कंपनी से अरबों का कमीशन मांगे जाने के मामले में एजेंसी की इंटेलिजेंस यूनिट ने जरुरी जानकारियां जुटा ली हैं। लेकिन मनी लॉन्ड्रिंग केस के मामले में अफसरों ने रहस्मयी चुप्पी साध रखी है। जैन की कंपनियों के खातों में बड़े लेनदेन हुए हैं। लेकिन एफआईआर में अभिषेक प्रकाश का नाम न होने के चलते ईडी के अफसर बचाने के प्रयासों में जुटे हैं।
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