Ansal API: निवेशकों को ठेंगा, लखनऊ डीएम रहते अभिषेक प्रकाश को अंसल ने दिये दो प्लॉट
बिल्डर ने कौड़ियों के भाव पार्क की जमीन बेचकर खड़ा कराया करोड़ों का आशियाना

Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava: अंसल एपीआई ने सुशांत गोल्फसिटी टाउनशिप में महाघोटाले की इबारत यूं ही नहीं लिखी है। बिल्डर ने मददगार अफसरों-नेताओं को ईनाम के तौर पर मंहगे भूखंड-विला बांटकर उनका कर्ज उतारा है। इन सम्पत्तियों की रजिस्ट्रियां कौड़ियों के भाव कराकर स्टाम्प घोटाले की नींव भी रखी गयी है।
घूसखोरी काण्ड में फंसे आईएएस अभिषेक प्रकाश
तभी अंसल से न सिर्फ अरबों की रिकवरी नहीं की गयी बल्कि सरकारी जमीनों पर खुलेआम कब्जे करवाकर बेचने भी दिया गया। इसीलिए अंसल मनमाफिक डीपीआर और नक्शे पास करता रहा। अफसरों ने आंखें मूंदते हुए कोई आपत्ति नहीं की। इसका एक उदाहरण अरबों के घूसखोरी काण्ड में फंसे आईएएस अभिषेक प्रकाश भी हैं।
जिनको लखनऊ डीएम रहते टाउनशिप में करोड़ों के दो-दो पॉश भूखंड से अंसल ने नवाजा। इसके इतर दूसरी तरफ हजारों निवेशक वर्षों से एक अदद आशियाना पाने के लिए आज तक भटक रहे हैं। तत्कालीन लखनऊ डीएम को दो भूखंड कौडिय़ों के भाव दे दिए गए, वो भी पार्क की जमीन पर। बिल्डर की इस दरियादिली के पीछे का राज तो अभिषेक प्रकाश ही जानते होंगे। ग्रीन बेल्ट की जमीन की बंदरबांट अंसल में खूब हुई है।
यूपी रेरा ने 2019 में अंसल की टाउनशिप में कराये गए फॉरेंसिक ऑडिट में 606 करोड़ के फंड को डायवर्ट करने पर नोटिस जारी किया था। ऐसे में बिल्डर की बेचैनी लाजिमी थी। चंद माह के भीतर लखनऊ में 31 अक्टूबर 2019 को बतौर डीएम इन्वेस्ट यूपी के निलंबित सीईओ अभिषेक प्रकाश की ताजपोशी हो गयी। जो न सिर्फ सात जून 2022 तक डीएम रहे बल्कि 23 अक्टूबर 2020 से 25 जुलाई 2021 तक एलडीए वीसी का अतिरिक्त प्रभार भी संभाले थे।
आवंटियों से अंसल ने पार्क के नाम पर वसूला था लाखों का प्राइम लोकेशन चार्ज
लखनऊ जिला प्रशासन के मुखिया अभिषेक प्रकाश को साधने के लिए बिल्डर ने टाउनशिप के फेज वन के सेक्टर ई पॉकेट एक में कॉर्नर के दो बेहद प्राइम लोकेशन के कीमती प्लॉट दिए। ख़ास बात ये है कि इसके लिए यहां के निवासियों से ठगी करने से तनिक भी गुरेज नहीं किया गया। तत्कालीन लखनऊ डीएम अभिषेक प्रकाश को जो दो प्लॉट अंसल ने दिए। वह जमीन एलडीए से पहले स्वीकृत नक्शे में पार्क दर्ज है।
प्राइम लोकेशन चार्ज के तौर पर अंसल बिल्डर ने वसूले लाखों रूपए
सेक्टर ई में पार्क के सामने रहने वाले आवंटियों से प्राइम लोकेशन चार्ज के तौर पर अंसल बिल्डर ने लाखों रूपए भी वसूले थे। एक स्थानीय निवासी का साफ कहना है कि हमारी रजिस्ट्री में लिखा है कि अगर पार्क किन्ही कारण वश नहीं बना तो नौ फीसदी ब्याज के साथ लिए लाखों रूपए की वापसी होगी। लेकिन आज तक एक भी रूपया बिल्डर ने नहीं दिया और पार्क की जमीन पर तमाम प्लॉट काटकर बेच डाले।
दस्तावेजों के मुताबिक आईएएस अभिषेक प्रकाश, विभा सिन्हा और विजयलक्ष्मी ने पार्क की जमीन पर काटे गए दोनों प्लॉट्स ( ई/1/0051 और ई/1/0050) की रजिस्ट्री दो जुलाई 2020 को कराई है। जिसमें से एक प्लॉट 2153 वर्ग फिट (200 वर्ग मीटर) की रजिस्ट्री 42 लाख रूपए में हुई। दो लाख 94 हजार रुपयों का स्टाम्प मूल्य चुकाया गया।
वहीं दूसरे 2812 वर्ग फुट (261 वर्ग मीटर) प्लॉट की रजिस्ट्री 60 लाख 29 हजार 100 रूपए में करके चार लाख 22 हजार 100 रूपए का स्टाम्प शुल्क अदा किया गया। 2020 से प्लॉट में निर्माण शुरू हुआ था। जो कुछ समय बंद रहने के बाद हाल ही में चंद माह पहले पूरा हुआ है। प्लॉट की रजिस्ट्री 18 हजार रूपए प्रति वर्ग फिट की दर से हुई है।
जबकि यहां 2020 में भूखंड की बाजार कीमत इससे कहीं ज्यादा बताई जा रही है। इसके बाद अभिषेक को एलडीए वीसी का चार्ज भी मिल गया था। स्थानीय निवासियों ने बताया कि हमारे पास मौजूद नक्शे में 7642 वर्ग फिट का पार्क साफ तौर पर दिया है। जिसके बगल में दस प्लॉट्स हैं। लेकिन पार्क की जमीन पर आईएएस समेत कई रसूखदारों को प्लॉट काटकर हमारे साथ अंसल बिल्डर द्वारा धोखाधड़ी की गयी है।
इन्वेस्ट यूपी : विजिलेंस करेगी निलंबित सीईओ की सम्पत्तियों की जांच, अफसरों ने मांगा था 350 करोड़ का कमीशन
इन्वेस्ट यूपी के निलंबित सीईओ अभिषेक प्रकाश पर सीएम योगी बेहद सख्त हैं। आईएएस की सम्पत्तियों की जांच सीएम के आदेश पर विजिलेंस से कराने की पूरी तैयारी है। इसके लिए नियुक्ति विभाग के पत्र पर गृह विभाग ने कार्रवाई भी शुरू कर दी है। विजिलेंस की टीम ने अंदरूनी तौर पर आईएएस की सम्पत्तियों की पड़ताल का खाका खींच लिया है।
आईएएस अभिषेक प्रकाश के पास कई जिलों में सैकड़ों बीघे जमीन और आलीशान मकान बताये जा रहे हैं। एफआईआर की जांच में पुख्ता साक्ष्य मिलने के बाद पूर्व सीईओ की गिरफ्तारी भी होने के प्रबल आसार हैं। इन्वेस्ट यूपी में सात हजार करोड़ के सोलर प्रोजेक्ट के लिए लागत का पांच फीसदी अर्थात 350 करोड़ का कमीशन मांगा गया था। जांच में कई अफसर राडार पर हैं।
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