Ansal API: सरकारी जमीनों को बेचकर अंसल ने कमाए सैकड़ों करोड़

Sandesh Wahak Digital Desk: सुल्तानपुर रोड स्थित अंसल एपीआई की महाघोटाला टाउनशिप में सरकारी जमीनों को बेचकर बिल्डर ने सैकड़ों करोड़ कमाए, लेकिन जिला प्रशासन को एक ढेला नहीं मिला। अफसरों ने भले पत्र जारी किये, लेकिन शिकंजा कभी प्रशासन और एलडीए के अफसरों ने नहीं कसा। सिर्फ चिट्ठी चिट्ठी का खेल जारी रहा। दो साल पहले तक ही जिला प्रशासन को अंसल से दो सौ करोड़ से ऊपर की रकम वसूलनी थी।

दो साल पहले तक जिला प्रशासन को वसूलना था दो अरब से ज्यादा का मुआवजा

दरअसल टाउनशिप के भीतर सरकारी जमीनों को बिकवाने में एलडीए और जिला प्रशासन के अफसरों का पूरा योगदान रहा था। तभी कार्रवाई का सिर्फ दिखावा करके अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली गयी। दो वर्ष पहले तत्कालीन एडीएम (भूमि अर्जन) ने एलडीए को दो अगस्त 2023 को एक पत्र भेजा था। जो हाईटेक टाउनशिप के भीतर आ रही सरकारी जमीनों के पैसों से संबंधित था। इस पत्र के मुताबिक जुलाई 2023 तक जो सरकारी जमीन अंसल ने टाउनशिप में बेचीं थी। उसके लिए ब्याज समेत करीब 210 करोड़ जिला प्रशासन को दिए जाने थे। प्रशासन ने उक्त पत्र एलडीए को भेजा था।

एलडीए के अफसरों ने अंसल को पत्र भेजकर चुप्पी साध ली। वहीं बिल्डर खुलेआम सरकारी जमीनें बेचता रहा। एलडीए सिर्फ नोटिस जारी करके हाथ पर हाथ धरकर बैठ गया। जिला प्रशासन के अफसरों ने भी आगे कार्रवाई की जहमत नहीं उठायी। इसी अंदाज में एलडीए और प्रशासन के अफसरों ने अंसल के आगे नतमस्तक होकर उसे अवैध तरीके से सैकड़ों करोड़ का मुनाफा कराया है। एलडीए की आंतरिक जांच में तत्समय की गयी इस तरह की मेहरबानियों का राज सामने आ रहा है।

बिल्डर ने आज तक सरकारी जमीनों के एवज में कोई मुआवजा जिला प्रशासन के नहीं जमा कराया है।

ये था नियम

नियमों के मुताबिक जिला प्रशासन को सरकारी जमीनों का पुन: अधिग्रहण करके सुशांत गोल्फ सिटी टाउनशिप के लिए बिल्डर को देना था। लेकिन इसकी एवज में जो पैसा अंसल द्वारा दिया जाना था। उसे बिल्डर ने जमा नहीं किया। अफसरों ने भी सख्ती करना गंवारा नहीं समझा। बिना मुआवजे का पैसा चुकाए अंसल इन जमीनों की खरीद फरोख्त नहीं कर सकता था। उसके बावजूद जमीनें बेची गयी। सरकारी जमीनों को खासतौर पर कई बड़े अफसरों और नेताओं को खुलेआम बेचा गया है। तभी प्रशासनिक तंत्र ने अपनी आंखें मानो बंद कर रखी थीं।

 

 

निबंधन विभाग के अफसर भी जिम्मेदार

अंसल के महाघोटाले के जिम्मेदार निबंधन विभाग के अफसर भी हैं। जिन्होंने सरकारी जमीनों की रजिस्ट्री कराते समय गहराई से दस्तावेजों की पड़ताल करना जरुरी नहीं समझा। निबंधन विभाग में अंसल के एजेंट की तर्ज पर पूरा कॉकस सक्रिय था। नतीजतन खुलेआम सरकारी जमीनों को दूसरों के नाम पंजीकृत कराया जाता रहा। जबकि कई गांवों का अभिनिर्णय तक घोषित नहीं हुआ था। ऐसे में किसान आज तक खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।

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