‘बूथ संभालेंगे भाजपा के संगी-साथी’, यूपी उपचुनाव में RSS की तैयारियों को लेकर अखिलेश यादव का तंज
Sandesh Wahak Digital Desk: लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन से बीजेपी को करारा झटका लगा है। पार्टी अब आगामी विधानसभा उपचुनाव को लेकर भाजपा संगठन के साथ आरएसएस भी यूपी में सक्रिय हो गया है। इस पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सियासी तंज कसा है।
अखिलेश यादव ने आरएसएस का नाम लिए बिना कहा कि अब जब बीजेपी के ‘संगी-साथी’ कह रहे हैं कि वो बूथ पर जाकर व्यवस्था संभालेंगे तो इसका मतलब साफ है कि लोकसभा चुनाव में हुई ऐतिहासिक पराजय को देखते हुए वह मानकर चल रहे हैं कि भाजपा का कार्यकर्ता हताश होकर बूथ छोड़कर भाग चुका है।
एक्स पर सपा प्रमुख ने कहा कि चुनाव में हार के बाद भाजपाई गुटों ने आपस में विश्वास खो दिया है। इसका एक और पहलू यह भी है कि भाजपा का ‘संगी-साथी’ पक्ष ये दिखाना चाहता है कि हार का कारण वो नहीं था, वो तो अभी भी शक्तिशाली है, कमजोर तो भाजपा हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि बांटने की राजनीति करने वाले लोग खुद बंट गये हैं। आरएसएस की सपा के पिछड़ा, दलित , अल्पसंख्यक (पीडीए) के जवाब में हिंदुत्व कार्ड खेलने की तैयारी पर भी सपा अध्यक्ष ने निशाना साधा।
अब जब भाजपा के संगी-साथी कह रहे हैं कि वो बूथ पर जाकर व्यवस्था संभालेंगे तो इसका मतलब साफ़ है कि वो लोकसभा चुनाव में हुई ऐतिहासिक पराजय को देखते हुए, ये मानकर चल रहे हैं कि भाजपा का कार्यकर्ता हताश होकर बूथ छोड़कर भाग चुका है या फिर अब भाजपा के मुखौटाधारी केवल सत्ता लोलुप…
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) August 23, 2024
सपा प्रमुख ने एक्स पर कही ये बात
ऐसे भूतपूर्व भाजपाई पन्ना प्रमुख ये सच्चाई भी जान चुके हैं कि भाजपा में किसी की कोई सुनवाई नहीं है, तो ऐसे दल में रहकर कभी भी कोई मान-सम्मान-स्थान उन्हें मिलनेवाला नहीं है। इसीलिए वो ऐसे उन अन्य दलों में ठिकाना ढूँढ रहे हैं। जो सच में जनता के साथ हैं और जनता उन जन-हितैषी दलों के साथ। वो ऐसे दलों की सच्चाई भी जान चुके हैं। जो भाजपा की राजनीति के मोहरे बनकर काम कर रहे हैं।
वो देख रहे हैं कि जनता अब PDA की एकता और एकजुटता के साथ है क्योंकि PDA की सकारात्मक राजनीति लोगों को जोड़ती है और जनता के भले के लिए राजनीति को एक सशक्त माध्यम मानती है। इसीलिए समाज का अंतिम पंक्ति में खड़ा सर्वाधिक प्रताड़ित और शोषित-वंचित समाज भी PDA में ही अपना भविष्य देख रहा है।
आज़ादी के बाद सामाजिक-मानसिक और आर्थिक परिप्रेक्ष्यों में PDA सर्वाधिक शक्तिशाली और सफल क्रांतिकारी आंदोलन बनकर उभरा है। PDA के लिए राजनीति साधन भर है, साध्य है समाज का कल्याण। इसके ठीक विपरीत भाजपा के लिए चुनावी जीत और सत्ता की किसी भी तरह प्राप्ति करके जनता के हितों को ताक पर रखकर भ्रष्टाचार करना ही साध्य है।
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