69000 शिक्षक भर्ती विवाद पर अखिलेश यादव ने दी अभ्यार्थियों को सलाह, बोले- अभी थमा नहीं है…
Sandesh Wahak Digital Desk: समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 69 हजार शिक्षक भर्ती की सूचियां उच्च न्यायालय से निरस्त होने के बाद शिक्षकों द्वारा बांदा जिला सहकारी बैंक से लिए गए किसी भी प्रकार के ऋण की वसूली का जारी आदेश रद्द किये जाने के पूरे मामले को लेकर उत्तर प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार को घेरा।
यादव ने बुधवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर बांदा जिला सहकारी बैंक के एक आदेश को टैग करते हुए कहा, 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में भाजपा राज की नाइंसाफ़ी की एक और ‘आर्थिक-सामाजिक-मानसिक’ मार परंतु एकता की शक्ति के आगे हार।
उन्होंने कहा 69 हजार शिक्षक भर्ती अदालत से निरस्त होते ही बांदा डिस्ट्रिक्ट कॉपरेटिव बैंक ने शिक्षकों से, बैंक से लिए गए किसी भी प्रकार के ऋण की वसूली का फ़रमान जारी किया और आगे भी किसी भी प्रकार के लोन का रास्ता बंद करने की साज़िश रची परंतु युवाओं के आक्रोश के आगे ये फ़रमान एक दिन भी टिक नहीं पाया और भाजपा सरकार को इसे भी रद्द करने का आदेश निकालना पड़ गया।
69000 शिक्षक भर्ती मामले में भाजपा राज की नाइंसाफ़ी की एक और ‘आर्थिक-सामाजिक-मानसिक’ मार परंतु एकता की शक्ति के आगे हार :
69000 शिक्षक भर्ती कोर्ट से निरस्त होते ही बांदा डिस्ट्रिक्ट कॉपरेटिव बैंक ने भर्ती हुए शिक्षकों से, बैंक से लिए गए किसी भी प्रकार के ऋण की वसूली का फ़रमान… pic.twitter.com/QVRSwVyC5L
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) August 21, 2024
उन्होंने कहा लेकिन याद रहे उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ये काम मन से नहीं दबाव से कर रही है, इसीलिए इस आदेश को पूरी तरह रद्द नहीं बल्कि कुछ समय के लिए स्थगित मानकर इसका भरपूर विरोध जारी रखना चाहिए।
भाजपा परिवारों को दुख-दर्द देकर सत्ता की धौंस दिखाना चाहती- अखिलेश
यादव ने इसी पोस्ट में कहा भर्ती हुए जिन शिक्षकों ने अपने घर-परिवार और बाक़ी सामान के लिए नौकरी की निरंतरता की उम्मीद पर कुछ लोन लिया था तो क्या अब ये सरकार उनके घरों और सामानों को क़ब्ज़े में लेने की साज़िश कर रही है। ये निहायत शर्मनाक कृत्य है कि भाजपा परिवारों को दुख-दर्द देकर सत्ता की धौंस दिखाना चाहती है।
उन्होंने कहा शिक्षक भर्ती में उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार की बदनीयत की जिस तरह फ़ज़ीहत हुई है, शायद उसका बदला वो अभ्यर्थियों से लेना चाहती थी। तभी ऐसे फ़रमान निकलवा रही है। इससे पहले से ही नौकरी खोने के डर से भयभीत शिक्षकों पर अत्यधिक मानसिक दबाव बढ़ेगा। जब इन लोन की वसूली के लिए बैंक उनके घरों पर जाएगा तो उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा को भी ठेस पहुंचेगी।
उन्होंने कहा जनता और परिवार वालों को दुख देकर न जाने भाजपा को क्या सुख मिलता है। यादव ने अपनी इस पोस्ट के साथ बांदा जिला सहकारी बैंक का एक कथित आदेश भी टैग किया है।
हाईकोर्ट ने दिए थे नई सूची जारी करने के आदेश
दरअसल इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने 2019 में हुई 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती के चयनित अभ्यर्थियों की सूची नए सिरे से जारी करने का आदेश दिया है। अदालत ने एक जून 2020 और पांच जनवरी 2022 की चयन सूचियां को दरकिनार कर नियमों के तहत तीन माह में नई चयन सूची बनाने के निर्देश दिये हैं। इस आदेश के बाद पिछली सूची के आधार पर नौकरी कर रहे शिक्षकों की सेवा पर भी संकट खड़ा हो गया है।
न्यायमूर्ति ए. आर. मसूदी और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने आरक्षण कोटे का सही से अनुपालन न किए जाने के मामले में पिछले मार्च में सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित कर लिया था। फैसला न्यायालय की वेबसाइट पर पिछले शुक्रवार को अपलोड किया गया था।
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