अफजाल अंसारी की सांसदी रहेगी बरकरार, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पलटा गाजीपुर कोर्ट का फैसला

Sandesh Wahak Digital Desk: समाजवादी पार्टी के सांसद अफजाल अंसारी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है। हाईकोर्ट ने गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट द्वारा सुनाई गई 4 वर्ष की सजा पर रोक लगा दी है। आपको बता दें कि बीते साल अप्रैल में कृष्णानंद राय हत्याकांड में दर्ज हुए गैंगस्टर केस में अफजाल को चार साल की सजा सुनाई गई थी।

संसद सदस्यता पर कोई खतरा नहीं

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गाजीपुर कोर्ट के फैसले को पलट दिया है। उच्च न्यायालय के इस फैसले से ये तय हो गया है कि अफजाल अंसारी की संसद की सदस्यता अब बरकरार रहेगी। इस मामले में अदालत ने 4 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

दरअसल गैंगस्टर मामले में अफजाल अंसारी को पिछले साल 29 अप्रैल 2023 को 4 साल की सजा सुनाई गई थी। 4 साल की सजा होने की वजह से अफजाल अंसारी को जेल जाना पड़ा था और उनकी संसद की सदस्यता निरस्त हो गई थी। हालांकि उच्चतम न्यायालय द्वारा सजा पर रोक लगाए जाने की वजह से अफजाल की सदस्यता बहाल हो गई थी। लोकसभा चुनाव 2024 में अफजाल अंसारी ने गाजीपुर से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी।

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2004 में पहली बार सांसद बने थे अफजाल

बता दें कि अफजाल अंसारी सबसे पहले 2004 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर गाजीपुर से सांसद बने। लेकिन 29 नवंबर 2005 को भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या हो गई और दिसम्बर 2005 को अफजाल अंसारी को साजिश रचने के आरोप में जेल जाना पड़ा।

2009, 2014 में हारे थे लोकसभा चुनाव

2009 में अफजाल अंसारी ने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन चुनाव हार गए। 2014 में बलिया सीट से कौमी एकता दल के टिकट पर चुनाव लड़ा वहां फिर चुनाव हार गए। 2019 में सपा बसपा का गठबंधन हुआ। इसमें अफजाल अंसारी बसपा के टिकट पर गाजीपुर से चुनाव लड़े। दूसरी बार सांसद चुने गए। लेकिन दूसरी बार सांसद बनने के 4 साल बाद अप्रैल 2023 में गाजीपुर की MP/MLA कोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट में 4 साल की सजा सुनाई और अफजाल अंसारी को जेल जाना पड़ा।

इलाहाबाद हाई कोर्ट से जमानत और सुप्रीम कोर्ट से सजा पर अंतरिम रोक के फैसले के बाद फिर अफजाल अंसारी तीसरी बार गाजीपुर से सांसद बने हैं। अब अफजाल अंसारी पर सांसद बनने और जेल जाने का इत्तेफाक तीसरी बार होगा या इत्तेफाक होकर रह जाएगा। यह आज इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के साथ तय हो जाएगा।

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