जीएनएम की 17845 सीटों पर केंद्रीयकृत प्रक्रिया से मिलेगा प्रवेश
योगी सरकार के फैसले से नर्सिंग शिक्षा के क्षेत्र में निजी कॉलेजों की मनमानी पर शिकंजा कसा
Sandesh Wahak Digital Desk: निजी नर्सिंग और पैरामेडिकल कॉलेज चला रहे तमाम शिक्षा माफियाओं को योगी सरकार के एक फैसले से तगड़ा झटका पहुंचा है। नर्सिंग शिक्षा की गुणवत्ता बेहद करने को लेकर मुख्यमंत्री योगी बेहद गंभीर हैं। तभी इन कॉलेजों में दाखिले को लेकर हो रही मनमानी पर अंकुश लगाया गया है।
शासन ने प्रवेश संबंधी आदेश जारी कर दिया
यूपी में इसी शैक्षणिक सत्र से नर्सिंग और पैरामेडिकल कॉलेजों में छात्रों का प्रवेश अब केंद्रीयकृत प्रवेश प्रक्रिया के जरिये होगा। जिसके बाद कॉलेज संचालकों की इन दाखिलों के सहारे करोड़ों की कमाई करने के मंसूबों पर पानी फिर गया है। शासन ने प्रवेश संबंधी आदेश जारी कर दिया है।
इस संबंध में प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा पार्थ सारथी सेन शर्मा की तरफ से विशेष सचिव श्री प्रकाश गुप्ता ने 22 मई को सचिव उत्तर प्रदेश स्टेट मेडिकल फैकल्टी को एक आदेश भेजा है।
जिसमें कहा गया है कि शासन ने सम्यक विचारोपरांत शैक्षणिक सत्र 2024-25 में 386 निजी कॉलेजों में जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी (जीएनएम) डिप्लोमा पाठ्यक्रम की समस्त 17845 सीटों पर चयन हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की मेरिट के स्थान पर पारदर्शी प्रतियोगी परीक्षा के जरिए ऑनलाइन केंद्रीयकृत प्रवेश परीक्षा द्वारा कराये जाने का निर्णय लिया गया है। इस आदेश के मुताबिक कार्यवाही कराएं।
केंद्रीयकृत प्रवेश परीक्षा लागू करने के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी
दरअसल शैक्षणिक सत्र 2024-25 से नर्सिंग और पैरामेडिकल डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में ऑनलाइन केंद्रीयकृत प्रवेश परीक्षा लागू करने के संबंध में दिनांक दस अप्रैल को स्टेट मेडिकल फैकल्टी ने शासन को पत्र भेजा था। जिसके बाद शासन ने प्रदेश भर में छात्रों के लिए केंद्रीयकृत प्रवेश परीक्षा लागू करने के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दी है।
अफसरों के मुताबिक अभी तक यह आरोप लगता था कि कॉलेजों की मिलीभगत से कम मेरिट वाले छात्रों को मनचाहे कोर्स और कॉलेज में दाखिला मिल जाता है। पर नई व्यवस्था से पारदर्शिता बढ़ेगी और मेधावी छात्रों के साथ न्याय होगा।
मनचाहे दाखिलों की आड़ में करोड़ों की कमाई
मुख्यमंत्री योगी की मंशा पिछले वर्ष से ही इस नीति को लागू करने की थी। तत्कालीन प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार ने इस संबंध में पहल भी की थी। इसके बाद उन्हें हटा दिया गया। निजी पैरामेडिकल और नर्सिंग कॉलेज साल भर मनचाहे तरीके से छात्रों को दाखिला दिया करते थे। इसके एवज में छात्रों से मोटी डोनेशन फीस ली जाती थी। योगी सरकार के इस फैसले से न सिर्फ दाखिलों में मनमानी पर शिकंजा कसेगा बल्कि केंद्रीयकृत व्यवस्था से ऐसे पाठ्यक्रमों के लिए पढ़ाई में अच्छे छात्रों का चयन भी हो सकेगा। जिससे भविष्य में सकारात्मक परिणाम नजर आएंगे।
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