आयुष फर्जीवाड़ा: पहले भी खूब विवादों में रहे हैं अपर मुख्य सचिव प्रशांत त्रिवेदी
आयुष कॉलेजों में फर्जी तरीके से 891 छात्रों के दाखिला फर्जीवाड़े में शामिल आरोपियों का रसूख बेहद तगड़ा है। इसका सीधा प्रमाण रिश्वत लेने के आरोपों से घिरे पूर्व मंत्री धर्म सिंह सैनी और तत्कालीन प्रमुख सचिव प्रशांत त्रिवेदी है।
Sandesh Wahak Digital Desk: आयुष कॉलेजों में फर्जी तरीके से 891 छात्रों के दाखिला फर्जीवाड़े में शामिल आरोपियों का रसूख बेहद तगड़ा है। इसका सीधा प्रमाण रिश्वत लेने के आरोपों से घिरे पूर्व मंत्री धर्म सिंह सैनी और तत्कालीन प्रमुख सचिव प्रशांत त्रिवेदी है। रिश्वत देने वाले भले जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गए, लेकिन लेने वाले अभी भी मौज काट रहे हैं। हाईकोर्ट के आदेशों के बाद सीबीआई कभी भी इस फर्जीवाड़े में मुकदमा दर्ज कर सकती है। रिश्वतखोरी में फंसे आईएएस प्रशांत त्रिवेदी का नाम पहले भी विवादों में खूब सुर्खियां बटोर चुका है। त्रिवेदी फिलहाल अपर मुख्य सचिव वित्त के पद पर तैनात हैं और अगले माह उनका रिटायरमेंट है। इस बड़े अफसर पर 25 लाख रुपये लेने के आरोप हैं।
मायावती सरकार के दौरान हसन अली मामले में सुर्खियां बटोर चुके पूर्व कद्दावर आईएएस विजय शंकर पांडेय के बेहद करीबी अपर मुख्य सचिव प्रशांत त्रिवेदी 14 अक्टूबर 2008 से लेकर 12 जून 2012 तक लखनऊ के मंडलायुक्त ( कमिश्नर) के पद पर तैनात थे। इसी दौरान अरबों के स्मारक घोटाले की कलंक कथा भी लिखी गयी। लेकिन लोकायुक्त की जांच से तत्कालीन कमिश्नर प्रशांत त्रिवेदी का नाम गायब था। हालांकि ईओडब्ल्यू के तत्कालीन एडीजी एएल बनर्जी की प्रारम्भिक रिपोर्ट में करीब आधा दर्जन आईएएस अफसरों का जिक्र था।
खूब विवादों में रहे हैं प्रशांत त्रिवेदी
मायावती के करीबी अफसरों में शुमार तत्कालीन लखनऊ कमिश्नर डॉ. प्रशांत त्रिवेदी के ऊपर तत्समय एक और संगीन आरोप लगा था। त्रिवेदी ने प्रशासनिक अफसरों को पत्र लिखकर स्मारक के कार्यों में लगे वाहनों को नहीं रोकने का फरमान जारी किया था। ये वाहन करोड़ों का अवैध खनन कराने के सिंडिकेट का हिस्सा थे। ये प्रकरण मीडिया में खूब चर्चा का विषय बना और प्रशांत की खूब किरकिरी भी हुई।
तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती की इस अफसर के ऊपर इतनी कृपा बरसती थी कि इन्हें बसपा सरकार का प्रचार प्रसार करने के लिए सचिव सूचना जैसे अहम पद का प्रभार भी सौप दिया गया था। इसके बाद सपा सरकार के दौरान जांच के डर से आईएएस त्रिवेदी ने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति का रास्ता अख्तियार कर लिया।
योगी सरकार में भी हुई इन पर मेहरबानी
2017 में योगी सरकार बनने के बाद आईएएस प्रशांत त्रिवेदी ने यूपी का रुख किया और सीधे प्रमुख सचिव स्वास्थ्य जैसी अहम जिम्मेदारी से नवाजे गए। इस दौरान भी आईएएस प्रशांत त्रिवेदी के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। ‘करप्शन वॉच डॉग’ नामक एक संस्था ने इनके कारनामों की शिकायत साक्ष्यों के साथ सीधे प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से की। आरोपों के मुताबिक तत्कालीन मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव स्वास्थ्य प्रशांत त्रिवेदी के सहयोग से एक बड़े ठेकेदार ने करोड़ों के घोटाले किये थे। सरकारी अस्पतालों में अनावश्यक जरूरतें पैदा करके मनचाहे लोगों को ठेके आवंटित किये गए। मसलन जिन संस्थानों को ठेके मिले, वो वित्त विभाग से अधिकृत होने चाहिए। लेकिन जल निगम की नलकूप विंग को भी कार्य दिए जाने का आरोप है।
इसी तरह दिसंबर 2017 में एनएचएम में एएनएम और स्टाफ नर्सों समेत कई पदों के लिए हो रही हजारों भर्तियों में गड़बडिय़ों का खुलासा हुआ। उस समय ये अफसर प्रमुख सचिव स्वास्थ्य के पद पर था।
कभी भी केस दर्ज कर सकती है सीबीआई
आयुष फर्जीवाड़े में सीबीआई कभी भी केस दर्ज कर करती है। सीबीआई ने एसटीएफ की चार्जशीट समेत कई दस्तावेज हासिल कर लिए हैं। केस दर्ज होते ही पूर्व आयुष मंत्री धर्म सिंह सैनी और तत्कालीन प्रमुख सचिव प्रशांत त्रिवेदी की मुश्किलें बढऩी तय हैं। आयुष विभाग में मंत्रियों के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप कतई नए नहीं है। इससे पहले बसपा सरकार में होम्योपैथी मंत्री रहे नन्द गोपाल गुप्ता के ऊपर भी अरबों के लैकफेड घोटाले में शामिल होने के आरोप लग चुके हैं।
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