संदेश वाहक की खबर का बड़ा असर: करोड़ों के HIV-हेपेटाइटिस किट फर्जीवाड़े के सात दोषियों पर होगी कार्रवाई
संदेश वाहक की मुहिम का असर, जांच में फर्जीवाड़ा प्रमाणित, शासन ने मेडिकल कार्पोरेशन व एनएचएम एमडी को भेजा पत्र
Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava: उत्तरप्रदेश मेडिकल सप्लाई कार्पोरेशन (यूपीएमएससीएल) फिर चर्चा में है। तय मात्रा से 96 गुना अधिक एचआईवी और एचसीवी (हेपेटाइटिस सी) एलाइजा किटों को खरीदकर करोड़ों का फर्जीवाड़ा करने के मामले में कार्पोरेशन और एनएचएम के सात अफसरों व कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश प्रमुख सचिव स्वास्थ्य पार्थसारथी सेन शर्मा ने दिए हैं। ‘संदेश वाहक’ के सिलसिलेवार खुलासों पर शासन ने फर्जीवाड़े की जांच कराई थी।
शासन ने मेडिकल कार्पोरेशन व एनएचएम एमडी को भेजा पत्र
कमीशनखोरी के खातिर 15 लाख की जगह 15 करोड़ की एलाइजा किटें खरीदी गयी थीं। अफसरों की साजिश एक्स्पायरी होने जा रही किटों को जबरदस्ती खपाकर नियम विपरीत भुगतान कराने की थी। विशेष सचिव स्वास्थ्य शिव सहाय अवस्थी ने 18 जून को यूपीएमएससीएल एमडी को कार्रवाई के लिए पत्र भेजा है। 27 अक्टूबर 2023 को उपलब्ध कराई पांच सदस्यीय जांच समिति की आख्या के आधार पर दोषी पाए गए कार्मिकों के खिलाफ सेवा शर्तों के आधार पर तत्काल कार्यवाही करते हुए शासन को सूचित करने के निर्देश दिए गए हैं। शासन ने एनएचएम एमडी को भी पत्र भेजते हुए ब्लड सेल के स्टेट कोआर्डिनेटनर के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
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वहीं पीएमएस कैडर के दो वरिष्ठ डॉक्टरों के खिलाफ भी अनुशासनिक कार्रवाई प्रस्तावित की गयी है। कार्रवाई शासन के अनुभाग तीन से होगी। जांच को मटियामेट करने के उच्चस्तरीय प्रयास भी खूब हुए। पहली रिपोर्ट में जांच समिति ने फर्जीवाड़े का दोषी ही किसी को नहीं ठहराया। शासन की सख्ती पर पुन: जांच समिति ने दोषी कर्मियों का उत्तरदायित्व निर्धारित किया। हालांकि दोषियों में शामिल कार्पोरेशन के पूर्व जीएम ड्रग आरके अग्रवाल नौकरी छोड़कर जा चुके हैं। जिन पर कार्रवाई अब मुश्किल होगी।
इन सात दोषी अफसरों व कर्मियों पर गिरेगी गाज
एनएचएम (ब्लड सेल) के डिप्टी जीएम डॉ अमरेश बहादुर सिंह, स्टेट कोऑर्डिनेटर अभिषेक सिंह व यूपीएमएससीएल के तत्कालीन सलाहकार ड्रग डॉ. अजय प्रताप सिंह, परामर्शदाता, ड्रग, सजित यू, तत्कालीन जीएम ड्रग डॉ. राज कुमार अग्रवाल, फार्मासिस्ट भुवनेश कुमार व पुनीत कुमार के खिलाफ फर्जीवाड़े में कार्रवाई होने जा रही है।
क्या था फर्जीवाड़े का मामला, बिना मांग 96 गुना ज्यादा खरीदों किटें
एनएचएम ने अगस्त 2020 को यूपीएमएससीएल को मांग पत्र भेजा था। एनएचएम को एचसीवी एलिजा किट के 61390 टेस्ट और एचआईवी के 61390 टेस्ट के लिए किटें चाहिए थी। एक किट से 96 टेस्ट होते हैं। एनएचएम को 1300 किटों की ही दरकार थी। ऑस्कर मेडिकेयर को 15 करोड़ 27 लाख 89 हजार 15 रूपए के क्रयादेश दिए गए। एचआईवी किटों के 61390 बॉक्स (5893440 यूनिट) प्रति 1559.25 की दर से कुल 9 करोड़ 57 लाख 22 हजार 357 रुपयों में खरीदे। वहीं एचसीवी (हेपेटाइटिस सी) एलाइजा किटों की कीमत 61390 बॉक्स (5893440 यूनिट) प्रति 929. 29 की दर से 5 करोड़ 70 लाख 46 हजार 657 रूपए फाइनल हुई। एक बॉक्स में 96 यूनिट किटें हैं। पिछले साल 13 जनवरी को एनएचएम एमडी ने भुगतान से इनकार करते हुए 15 लाख 91 हजार 229 की धनराशि ही समायोजित करने पर हामी भरी थी।
शासन का पत्र क्यों दबाये हैं मेडिकल कार्पोरेशन के एमडी
कार्रवाई के लिए शासन को पत्र भेजे एक हफ्ता होने के बावजूद कोई निर्णय नहीं हुआ। मेडिकल कार्पोरेशन के एमडी जगदीश से दो बार उनके दफ्तर में मिलकर आधिकारिक पक्ष जानने का प्रयास किया गया। मीटिंग में होने की बात कहकर उन्होंने मिलने से मना कर दिया। फोन पर पूछा गया कि दोषियों पर कार्रवाई कब होगी। तब उन्होंने कहा कि आपसे जल्द मिलूंगा।
खरीद को अनुमोदन देने वाले बड़े अफसरों को बख्शा
जांच रिपोर्ट से बड़ों का नाम गायब है। कार्पोरेशन एमडी के साथ अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य रहे अमित मोहन प्रसाद भी जांच की आंच में झुलस सकते हैं। बड़े अफसरों ने खरीद को अनुमोदन दिया था। चार करोड़ से ऊपर की खरीद बोर्ड अध्यक्ष अनुमोदित करता है। निष्पक्ष एजेंसी से विस्तृत जांच जरूरी है।
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