फिर सुर्खिंयों में अभिषेक प्रकाश, अरबों के मोदी रबड़ भूमि घोटाले को दबाने का आरोप

Sandesh Wahak Digital Desk: अरबों के घूसखोरी काण्ड में फंसे निलंबित आईएएस अभिषेक प्रकाश एक बार फिर सुर्खियां बटोर रहे हैं।

पहले जहां डिफेंस कॉरिडोर घोटाले में नाम कमाया, वहीं अब मेरठ के चर्चित मोदी रबड़ घोटाले में भी इन्वेस्ट यूपी के सीईओ व औद्योगिक विकास विभाग के सचिव रहे अभिषेक प्रकाश के ऊपर संगीन आरोप लगे हैं। मामला विदेशी कम्पनी को बेची गयी जमीन से जुड़ा है। दलाल निकान्त जैन का नाम यहां भी आ रहा है। इस घोटाले में कई अफसरों की गर्दन फंसी है। तत्कालीन एसडीएम को चार्जशीट थमाई  जा चुकी है।

दरअसल मेरठ का ये घोटाला 72 में मोदी रबड़ फैक्ट्री को लीज डीड के आधार पर दी गई जमीन का है। जिसे जर्मनी की विदेशी कंपनी कॉन्टिनेंटल टायर को नियम विपरीत  ट्रांसफर किया गया था। तकरीबन डेढ़ हजार करोड़ की बेशकीमती जमीन को मोदी रबड़ ने अपनी सहयोगी विदेशी कंपनी कॉन्टिनेंटल को बेच कर उसके नाम कर दिया।

दाखिल खारिज पर अंतिम आदेश तत्कालीन एसडीएम अमित कुमार भारतीय के आदेश से हुआ था। हाईकोर्ट में जनहित याचिका के बाद शासन ने उच्चस्तरीय जांच कराई। मेरठ के तत्कालीन कमिश्नर सुरेन्द्र सिंह ने तीन आईएएस अफसरों की टीम से जांच कराई तो घोटाला खुलते देर नहीं लगी।

औद्योगिक विकास विभाग को निरस्त करनी थी भूमि की लीज

कमिश्नर के आदेश पर मेरठ डीएम ने शासन में औद्योगिक विकास विभाग को रिपोर्ट भेजकर कहा कि मुकर्रबपुर पल्हैड़ा की जमीन जो मोदी रबड़ को लीज पर दी गई थी तो उसमें 1.330 हेक्टेयर जमीन फैक्ट्री के प्रयोजन में नहीं है। इस भूमि को राज्य सरकार में निहित कर अन्य प्रोजेक्ट में जमीन का उपयोग किया जा सकता है। रिपोर्ट शासन को भेजकर जमीन की लीज को रद्द करने की संस्तुति 2022 में औद्योगिक विकास विभाग से हो गयी थी। आरोपों के मुताबिक तत्कालीन औद्योगिक विकास सचिव अभिषेक प्रकाश ने सीधे उद्योगपति को स्पष्टीकरण का नोटिस देकर 15 दिन में जवाब मांगा था।

दिसंबर 2022 से इतने गंभीर मामले में रत्ती भर भी प्रगति नहीं हुई। वहीं मेरठ के प्रशासनिक अफसरों ने भी अपने हाथ मानो बांध लिए। सूत्रों की माने तो लम्बे समय तक फ़ाइल लंबित रहने के बावजूद लीज निरस्त नहीं की गयी है। विभाग के अफसरों ने सोशल मीडिया पर इस मामले को सुर्खियां बनते देख चुप्पी साध ली है। इस मामले में भी दलाल निकान्त जैन का नाम आ रहा है। जिसके जरिए लंबा खेल किए जाने की संभावना है। फिलहाल औद्योगिक विकास के टॉप स्तर तक इस मामले की पूरी जानकारी है।

लीज की जमीन का कमर्शियल इस्तेमाल: भाजपा विधायक

मेरठ कैंट से भाजपा विधायक अमित अग्रवाल ने भी औद्योगिक विकास मंत्री के समक्ष मोदी रबड़ का मुददा उठाकर ग्रांट डीड रद्द करने की मांग की थी। विधायक ने आरोप लगाते हुए कहा कि मोदी रबर द्वारा ग्रांट डीड की शर्तों का पूर्व से ही उल्लंघन किया है। जमीन पर एक कर्मशियल मार्केट बना दिया है   और इसका प्रयोग व्यवसायिक रूप में किया जा रहा है। होटल व बैंकटहाल भी बनाए हैं और दो विद्यालयों को संचालन भी किया जा रहा है।

चार्जशीटेड अफसर बना वाराणसी में एडीएम सिविल सप्लाई

जमीन घोटाले के मामले में पूर्व एसडीएम अमित कुमार भारतीय को दोषी करार दिया गया था। तब यह कानपुर में अपर नगर आयुक्त के पद पर थे। शासन ने इस मामले में कानपुर के कमिश्नर अमित गुप्ता को जांच अधिकारी नामित किया था। नियुक्ति विभाग ने आरोप पत्र पिछले वर्ष ही जारी कर दिया था। इसके बाद भी पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में इस दागी अफसर को सीधे एडीएम सिविल सप्लाई बनाकर अहम तैनाती से नवाजा गया।

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