AAP को मिली करोड़ों की अवैध फंडिंग, सऊदी अरब-कुवैत समेत 8 देशों से आया पैसा, ED ने गृह मंत्रालय में सौंपी रिपोर्ट
Sandesh Wahak Digital Desk: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी ) ने गृह मंत्रालय को दी अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि आम आदमी पार्टी को विदेशी फंडिंग मिली है। रिपोर्ट में ED ने कहा कि 2014 से 2022 के बीच आम आदमी पार्टी (AAP) को कुल 7.08 करोड़ रुपये की विदेशी फंडिंग मिली है। रिपोर्ट के मुताबिक आम आदमी पार्टी को अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, सऊदी अरब, यूएई, कुवैत, ओमान और अन्य देशों से पैसा मिला है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि आम आदमी पार्टी (AAP) ने अपने अकाउंट में पैसे देने वाले लोगों की असली पहचान छिपा दी है। क्योंकि राजनीतिकि दलों के लिए विदेशी फंडिंग पर लगे प्रतिबंध से बचा जा सके। विदेशी लोगों ने पैसा सीधे आम आदमी पार्टी के IDBI बैंक खाते में जमा किया था। MLA दुर्गेश पाठक सहित पार्टी के अन्य नेताओं ने यह पैसा अपने खाते में भी जमा किया।
बुक ऑफ अकाउंट्स में सही दानदाताओं की पहचान भी छिपाई
ED ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अब तक की जांच से पता चला है कि संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में फंड रेजिंग कैंपेन के जरिए न केवल पैसा एकत्र किया गया। बल्कि विदेशी फंड पर FCRA के तहत लगाए गए प्रतिबंधों से बचने के लिए आम आदमी पार्टी ने बुक ऑफ अकाउंट्स में सही दानदाताओं की पहचान भी छिपाई है।
ईडी ने रिपोर्ट में कहा कि कई दानदाताओं ने दान के लिए एक ही पासपोर्ट नंबर का इस्तेमाल किया है। एक ही E.mail का उपयोग किया है। कई दानदाताओं ने एक ही मोबाइल नंबर का इस्तेमाल किया है।कई दानदाताओं ने दान के लिए एक ही क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल किया है।
प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी जांच से संबंधित सभी जानकारी केंद्रीय गृह मंत्रालय को दे दी है। जिसमें सभी दानकर्ताओं का विवरण, चंदा देने वालों के नाम, दानकर्ताओं का देश, पासपोर्ट नंबर, दान की गई धनराशि, प्राप्तकर्ता का बैंक खाता नंबर, बिलिंग नाम और पता, दान का समय और तारीख और पेमेंट के लिए इस्तेमाल किए गया हो। जो कि पीएमएलए, 2002 के तहत जांच के दौरान एकत्र किए गए हैं। फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रेगुलेशन एक्ट और रिप्रेसेंटशन ऑफ पीपल एक्ट के तहत राजनीतिक दलों के लिए विदेशी फंडिंग पर प्रतिबंध है। यह एक अपराध है। ईडी ने अपनी जांच में पाया कि साल 2016 में आम आदमी पार्टी के नेता दुर्गेश पाठक ने कनाडा में हुए एक इवेंट के माध्यम से इकठ्ठा किए और इन पैसों का पर्सनल लाभ के लिए इस्तेमाल किया।
ऐसे हुआ खुलासा
ये सभी खुलासे पंजाब के फाजिल्का में दर्ज स्मग्लिंग के एक मामले के दौरान हुए। इस मामले में पाकिस्तान से भारत ड्रग्स स्मगल करने वाले ड्रग कार्टेल पर एजेंसी काम कर रही थी। इस मामले में फाजिल्का की स्पेशल कोर्ट ने पंजाब के भोलानाथ से आम आदमी पार्टी के MLA सुखपाल सिंह खैरा को आरोपी बनाते हुए समन किया था। ED ने जांच के दौरान खैरा और उसके एसोसिएट्स के यहां जब सर्च ऑपरेशन चलाया था तो खैरा और उसके साथियो के यहां से कई संदिग्ध कागजात मिले थे। जिनमें आम आदमी पार्टी को विदेशी फंडिंग कि पूरी जानकारी थी। बरामद कागजातों में 4 टाइप रिटन पेपर और 8 हाथ से लिखे डायरी के पेज थे, जिनमें USA के डोनर की पूरी जानकारी थी।
सुखपाल सिंह खैरा
डॉक्यूमेंट्स के जरिए ED को पता चला कि अमेरिका से आम आदमी पार्टी को एक लाख 19 हजार डॉलर की फंडिंग मिली थी। सुखपाल सिंह खैरा ने भी अपने बयान में बताया था कि 2017 में पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी ने USA में फंड राइसिंग कैंपेन चलाकर पैसा इकट्ठा किया था। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने AAP के नेशनल सेक्रेटरी पंकज गुप्ता को समन किया था। जिन्होंने कबूल किया था कि आम आदमी पार्टी चेक और ऑनलाइन पोर्टल के जरिए विदेशी फंडिंग ले रही है।
पंकज गुप्ता ईडी को जो डेटा उपलब्ध कराया। उसकी जांच में पता चला कि फॉरेन डोनेशन कानून का उल्लंघन था। उस दौरान ED को मालूम चला था कि विदेश में बैठे 155 लोगों ने 55 पासपोर्ट नंबर उपयोग कर 404 बार में 1.02 करोड़ रुपये दान किये थे। 71 दानदाताओं ने 21 मोबाइल नंबर का इस्तेमाल कर 256 बारी में कुल 9,9,908,70 रुपये डोनेट किये। 75 डोनर ने 15 क्रेडिट कार्ड के जरिए 148 बारी में 19, 92, 123 रुपये डोनेट किए। इससे साफ है कि डोनर की पहचान और उसके देश का नाम छुपाया गया जो FCRA,2010 का उलंघन है।
आदमी पार्टी ओवरसीज इंडिया ने जुटाया फंड
ईडी को जांच के दौरान पता चला कि आम आदमी पार्टी की तरफ से आम आदमी पार्टी ओवरसीज इंडिया का गठन किया गया था। AAP ओवरसीज इंडिया को वॉलिंटियर्स यूएसए कनाडा ऑस्ट्रेलिया जैसे अलग-अलग देश में चलाते थे। जिनका काम आम आदमी पार्टी के लिए फंड एकत्रित करना था। इस बात का भी खुलासा हुआ की साल 2016 में इन स्वयंसेवकों को 50 करोड़ रुपए की दान इकट्ठा करने का टारगेट दिया गया था।
विदेशी नागरिकों के नाम छिपाए
रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि कनाडा नागरिकता के 19 मोबाइल नंबर और Email आईडी का उपयोग करके 51 लाख 15 हजार 44 रुपये की फंडिंग प्राप्त की गई। जांच के दौरान पता चला कि इन कनाडा नेशनल के नाम और उनकी नागरिकता को छुपाने की कोशिश की गई। जिन्हें रिकॉर्ड्स में दर्ज नहीं किया गया। इस दान के बदले में अलग-अलग नाम लिख दिए गए और यह सब जानबूझकर फॉरेन नेशनल की नागरिकता को छुपाने के लिए किया गया जो सीधा-सीधा FCRA 2010 के सेक्शन 3 और आरपीए के सेक्शन 298 का उल्लंघन है।
क्या है FCRA?
फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (FCRA ) को हिंदी में विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम कहा जाता है। इसे साल 1976 में बनाया गया था और 2010 में इसमें संशोधन किया गया। FCRA विदेशी चंदा लेने के लिए इजाजत तो देती ही है साथ ही विदेश से मिल रहे फंडिंग पर नजर भी रखती है। ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जो फंडिंग मिल रही है उसका उद्देश्य क्या है। क्या वह किसी तरह की आतंकी फंडिंग तो नहीं है। इसके अलावा सुरक्षा संबंधी जानकारी भी रखना FCRA का काम है।
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