आदाब अर्ज़ लखनऊ का आयोजन: ग्रामीण और शहरी समाज के बीच संवाद को बढ़ावा

Sandesh Wahak Digital Desk: “बच्चे हमारे देश का भविष्य हैं। उनके बौद्धिक विकास के लिए शिक्षा के साथ-साथ खेलकूद और सांस्कृतिक गतिविधियों में भागीदारी भी जरूरी है,” यह बात आदाब अर्ज़ लखनऊ द्वारा रेवां कलां गांव में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान सबीहा अहमद और फरहीन इकबाल ने कही।

कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों के बौद्धिक और सांस्कृतिक विकास को प्रोत्साहन देना था। सबीहा अहमद, जो उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की सदस्य और भारतीय मुस्लिम प्रगति और सुधार की राज्य समन्वयक हैं, ने कहा कि ग्रामीण बच्चों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। उन्हें सही अवसर मिलने पर वे खेलकूद और सांस्कृतिक गतिविधियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि समाज का दायित्व है कि बच्चों की छिपी प्रतिभा को पहचानने और निखारने के लिए समय-समय पर ऐसे आयोजन किए जाएं।

विभिन्न क्षेत्रों में देश का नाम रोशन कर रहे बच्चे

फरहीन इकबाल ने बच्चों पर पढ़ाई का अनावश्यक बोझ न डालने की अपील करते हुए कहा, “बच्चों को उनकी रुचि के अनुसार खेलकूद और सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रेरित करना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों के कई बच्चे आज विभिन्न क्षेत्रों में देश का नाम रोशन कर रहे हैं। क्रिकेट, वॉलीबॉल, कुश्ती, नौकायन और कबड्डी जैसे खेलों में उनकी भागीदारी उल्लेखनीय है।”

समाज सेविका पूनम सिंह ने कहा कि बच्चों के समग्र विकास के लिए उन्हें उनकी पसंद के क्षेत्रों में आगे बढ़ने का मौका दिया जाना चाहिए। “बच्चों पर अपनी इच्छाएं थोपने के बजाय, उन्हें उनकी रुचियों के अनुसार मार्गदर्शन देना चाहिए,” उन्होंने जोड़ा। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से सबीहा अहमद, फरहीन इकबाल, पूनम सिंह, शिभांगिनी मल्होत्रा (पूर्व सचिव), ग़ज़ाला, ज़ोहेर हुसैन और अन्य सम्मानित हस्तियों ने भाग लिया।

आदाब अर्ज़ लखनऊ का यह आयोजन ग्रामीण और शहरी समाज के बीच संवाद स्थापित करने और सांस्कृतिक जागरूकता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। कार्यक्रम में बच्चों और ग्रामीण समुदाय ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, जिससे आयोजन अत्यंत सफल रहा।

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