मदद की दरख्वास्त करने पहुंची महिला को मिली जेल, रायबरेली में भी मैनपुरी जैसा मामला

Sandesh Wahak Digital Desk: रायबरेली में एक बार फिर पुलिस और आम जनता के बीच दूरी का मुद्दा सुर्खियों में है। इस बार मामला रचना मौर्य नाम की महिला का है, जो अपनी समस्या का समाधान खोजने पुलिस अधीक्षक (एसपी) कार्यालय पहुंची थी। लेकिन इस प्रयास का अंजाम महिला के लिए बेहद अप्रत्याशित और परेशान करने वाला रहा।

रचना मौर्य, जो पहले ही पारिवारिक विवादों से जूझ रही थीं, एसपी ऑफिस पहुंचकर अपनी बात रखना चाहती थीं। लेकिन अधिकारियों की ओर से उनकी बात सुनने के बजाय मामला उल्टा पड़ गया। पुलिस के अनुसार, रचना ने ऑफिस में हंगामा किया और उपस्थित लोगों के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग किया। इसके बाद महिला को पुलिस हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया।

तो वहीं दूसरी ओर रायबरेली पुलिस ने अपने बयान में कहा कि रचना मौर्य पारिवारिक संपत्ति विवाद को लेकर अपनी बहन से भिड़ गईं, जो एसपी ऑफिस में कर्मचारी हैं। पुलिस के मुताबिक, महिला ने गाली-गलौज और हंगामा किया। समझाने-बुझाने की कोशिश करने पर भी रचना शांत नहीं हुईं, जिसके चलते उन्हें हिरासत में लेना पड़ा। बाद में न्यायालय ने रचना को छह दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

परिवार ने लगाया अन्याय का आरोप

रचना मौर्य के परिवार का कहना है कि वे न्याय और मदद की उम्मीद से पुलिस के पास गए थे। उनका आरोप है कि पुलिस ने न केवल उनकी समस्या को नजरअंदाज किया, बल्कि रचना के साथ अनुचित व्यवहार भी किया। इस घटना ने एक बार फिर पुलिस और आम जनता के बीच की खाई को उजागर कर दिया है। जहां पुलिस का दावा है कि उन्होंने उचित कार्रवाई की, वहीं जनता का आरोप है कि रचना मौर्य के साथ अन्याय हुआ है।

इस मामले ने स्थानीय स्तर पर चर्चा छेड़ दी है। क्या पुलिस का रवैया जनता के प्रति संवेदनशील है? क्या मदद मांगने वाले हर व्यक्ति को अपराधी समझा जाना चाहिए? ये सवाल अब केवल रचना मौर्य का नहीं, बल्कि हर आम नागरिक का हो चुका है।

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