‘जब मां गंगा बुलाएंगी तब जाऊंगा’, प्रयागराज में संगम स्नान पर बोले अखिलेश यादव

Sandesh Wahak Digital Desk: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मकर संक्रांति के अवसर पर हरिद्वार में गंगा स्नान के बाद बड़ा बयान दिया है। प्रयागराज में महाकुंभ के आयोजन को लेकर पूछे गए सवाल पर अखिलेश यादव ने कहा, “गंगा कोलकाता तक बहती है, जो जहां चाहे गंगा में डुबकी लगा सकता है। हर जगह का अपना महत्व है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि वह प्रयागराज संगम तभी जाएंगे, “जब मां गंगा बुलाएंगी।”

हरिद्वार में किया गंगा स्नान

सोमवार को अखिलेश यादव ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर हरिद्वार में गंगा स्नान करते हुए कुछ तस्वीरें साझा की थीं। उन्होंने कैप्शन में लिखा, “मकर संक्रांति के पावन पर्व पर मां गंगा का आशीर्वाद लिया।” इसके बाद मंगलवार सुबह उन्होंने परिवार सहित हरिद्वार के नमामि गंगे घाट पर पूजा-अर्चना की और अपने दिवंगत चाचा राजपाल सिंह यादव की अस्थियां गंगा में विसर्जित की।

गौरतलब है कि अखिलेश के चाचा राजपाल सिंह यादव का गुरुवार को गुरुग्राम के एक अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद 73 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था। उनका अंतिम संस्कार सैफई में किया गया था।

महाकुंभ के आयोजन को लेकर अखिलेश ने कहा, “यह आयोजन हमारी हिंदू परंपरा के तहत हजारों साल से होता आया है। उम्मीद है कि सरकार महाकुंभ के दौरान किसी भी प्रकार की कमी न छोड़े और उचित इंतजाम करे ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।” उन्होंने कहा कि महाकुंभ में साधु-संतों से मिलने और दर्शन करने का अवसर मिलता है, जो आम दिनों में दुर्लभ होता है।

दिल्ली चुनाव पर बोले अखिलेश

दिल्ली विधानसभा चुनाव में ‘आप’ और कांग्रेस के संभावित गठबंधन पर प्रतिक्रिया देते हुए अखिलेश यादव ने कहा, “जब ‘इंडिया अलायंस’ बना था, तब यह तय हुआ था कि जहां जो क्षेत्रीय पार्टी मजबूत है, वहां उसी पार्टी को समर्थन दिया जाएगा। दिल्ली में आम आदमी पार्टी मजबूत है, इसलिए हमने ‘आप’ को समर्थन दिया है। हमें ‘इंडिया अलायंस’ के साथ मजबूती से खड़ा रहना चाहिए।” उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के साथ खड़ी है।

आपको बता दें कि मंगलवार रात को अखिलेश यादव उत्तराखंड पहुंचे। जहां जौलीग्रांट एयरपोर्ट से सीधे हरिद्वार रवाना हो गए थे। इसके बाद मकर संक्रांति के मौके पर उन्होंने गंगा में पावन डुबकी लगाई और पूजा-अर्चना की। इसके बाद उन्होंने अपने चाचा की अस्थियों का विधि-विधान से गंगा में विसर्जन किया।

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