डॉ. रोशन करेंगी खाऊराम का ‘ऑपरेशन’
Sandesh Wahak Digital Desk/Vinay Shankar Awasthi: शहर को चमकाने वाले विभाग का हिसाब-किताब संभालने वाले एक साहब उर्फ मिस्टर खाऊ राम के ज्ञान चक्षु अचानक खुल गए हैं। मैडम की चिट्ठी से दाढ़ी वाले वजीर को भी उनकी लक्ष्मी साधना और मायाजाल का पता चल चुका है। अब वजीर साहब मिस्टर खाऊ राम को देखते ही अपनी दाढ़ी चलता करने वाले अंदाज में खुजलाने लगते हैं। वजीर की इस बेरुखी से मिस्टर खाऊ राम को भी अंदाजा लग चुका है कि अब उनका दाना-पानी यहां से जल्द ही उठने वाला है। अब कोई चाल-चालाकी नहीं चलने वाली। दाढ़ी वाले वजीर भी घाट-घाट का पानी पीकर यहां तक पहुंचे हैं, इसलिए लक्ष्मी साधना के प्रसाद से भी कोई चमत्कार होने वाला नहीं दिख रहा है। दिलजलों का कहना है कि मिस्टर खाऊ राम की स्थिति मंदिर के घंटे की तरह हो गई है, जो देखो वही बजा देता है। इस घंटे की ध्वनि अब विधान परिषद तक गूंज रही है। साहब की लक्ष्मी साधना की चर्चा पूरे ब्रह्माण्ड में हो रही है। इसी खुशी में दूसरे विभागों के लक्ष्मी साधकों ने उन्हें अपना गुरु घोषित कर दिया है। वे बाकायदा उनसे गुरु दीक्षा तक लेने को तैयार हैं। अब उन्हें कौन समझाए कि साहब खुद लक्ष्मी साधना के साइड इफेक्ट से जूझ रहे हैं। साहब की हालत डायरिया के गंभीर मरीज जैसी हो गई है, खाया-पीया खुद-ब-खुद बाहर निकल रहा है। साहब राजनैतिक वैद्य-हकीमों के चक्कर काट रहे हैं, फीस पर फीस भी भर रहे हैं। फिलहाल उन्हे कोई सटीक दवा नहीं मिली है। दाढ़ी वाले वजीर ने उन्हें डॉ. रोशन के अस्पताल तक पहुंचा दिया है, सुना है वहां खाऊ राम के पेट का ऑपरेशन कर मलाई की मात्रा जांची जाएगी।
ऑपरेशन से पहले रही-सही कसर खबरनवीस निकाल रहे हैं, बेचारे साहब कुर्सी पर बैठे नहीं कि पता नहीं कहां से खबरनवीस हुक्का उनके मुंह की तरफ कर देते हैं। हां तो साहब बताओ कितनी मलाई गटक चुके हो। अब बेचारे क्या जवाब दें, सीधे द्वापर युग में पहुंच जाते हैं और बोल देते हैं भइया मेरे! मैं नहीं माखन खायो। सारा दोष मैडम पर मढ़ कर अपने को पाक-साफ बता देते हैं। सिनेमा दिखाने वाला सवाल सुनते ही साहब दोहरे हो जाते हैं, हाथ जोड़ कर पीछा छुड़ते नजर आते हैं।
वैसे इस बार के कांड से खाऊ राम के सरदार भी खड़भड़ा गए हैं, अपने चेले (खाऊ राम) को डॉ. रोशन के हत्थे चढ़ा देख घबरा गए हैं। वो अपने हथियार डालकर खुद त्राहिमाम की मुद्रा में सरेंडर कर चुके हैं। बीमारी की स्थिति बिगड़े इससे पहले मिस्टर खाऊ राम अपना अनुष्ठान पूरा करने के लिए जोर-शोर से जुट गए हैं। सुना है उन्हें कुर्सी छोडऩे की इतनी जल्दी है कि अभी से ही अपना आसन लपेटने लगे हैं। उनके चेलों का कहना है कि साहब का घंटा जब से बजना शुरू हुआ है, उनका मानसिक संतुलन बिगड़ चुका है। अपने विभाग के हर अफसर-कर्मचारी को शक की नजर से देखने लगे हैं। सभी में उन्हें हरिराम नाई नजर आने लगा है, इसी मानसिक बीमारी के चक्कर में साहब ने कुछ चेलों के नाम भी नोट कर रखे हैं। संदिग्ध चेलों के पीछे अपना खुफिया तंत्र लगा दिया है। अब देखना यह होगा कि साहब अपने बीच में छुपे हरिराम नाई को खोज पाते हैं या फिर उनकी खोज अधूरी जाएगी। खैर अब मिस्टर खाऊ राम जानें और उनके दाढ़ी वाले वजीर। हमें क्या हम तो चुप ही रहेंगे।
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