रेपर्टवा फेस्टिवल सीज़न 12: हंसी, रंगमंच और संगीत का अनोखा संगम, मधुर धुनों से जीता दर्शकों का दिल
Sandesh Wahak Digital Desk: राजधानी लखनऊ में रेपर्टवा फेस्टिवल सीज़न 12 का तीसरा दिन साहित्य, संगीत, हास्य और थिएटर की एक अद्भुत पेशकश लेकर आया। साहित्य मंच पर दिन की शुरुआत लक्ष माहेश्वरी की जोरदार स्लैम कविता से हुई। इसके बाद लोकप्रिय गीतकार और कहानीकार राहगीर ने अपनी मधुर धुनों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
दिन का सबसे बड़ा आकर्षण साहित्य जगत के दिग्गज जावेद अख्तर और रोशन अब्बास की बातचीत रही, जिसमें उन्होंने समाज में साहित्य और कविता की प्रासंगिकता और महत्व पर गहन चर्चा की।
हंसी, रंगमंच और संगीत का मिला अनोखा संगम
महोत्सव की शाम में हास्य का तड़का उस समय लगा जब मशहूर स्टैंड-अप कॉमेडियन हर्ष गुजराल ने अपने चुटीले अंदाज और चुटकुलों से दर्शकों को हंसी से लोटपोट कर दिया। इसके बाद, फैजेह जलाली द्वारा निर्देशित थिएटर कॉमेडी ‘रनवे ब्राइड्स’ का मंचन हुआ, जिसमें बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान के बेटे जुनैद खान ने अभिनय किया। नाटक की भावनात्मक गहराई और कॉमिक टाइमिंग ने दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ी।
फंकार स्टेज ने एक बार फिर स्थानीय और उभरते हुए कलाकारों को मंच प्रदान किया, जहां उन्होंने अपनी बेहतरीन प्रतिभा का प्रदर्शन किया। इसके बाद, दिन का समापन डीजे करण कंचन के ऊर्जावान और सेंसेशनल ग्रूव्स के साथ हुआ। उनके अपबीट बॉलीवुड नंबर्स ने महोत्सव के दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया।
महोत्सव का उद्देश्य और सफलता
रेपर्टवा फेस्टिवल के संस्थापक भूपेश राय और सह-संस्थापक प्रियंका सरकार ने महोत्सव के उद्देश्य को साझा करते हुए कहा, “हम प्रदर्शन कला को कम एक्सपोजर वाले दर्शकों के लिए सुलभ बनाना चाहते हैं। हमारा उद्देश्य आयु-आधारित सीमाओं को समाप्त कर, प्रदर्शन कला के जरिए पीढ़ियों को जोड़ना है।”
रेपर्टवा की शुरुआत 2009 में एक साधारण थिएटर फेस्टिवल के रूप में हुई थी। आज, यह भारत का सबसे अनोखा प्रदर्शन कला महोत्सव बन गया है, जो थिएटर, संगीत, साहित्य, स्टैंड-अप कॉमेडी, और फूड और क्राफ्ट बाजार को एक छत के नीचे लाता है।
भूपेश राय ने दर्शकों, प्रशासन और कलाकारों का आभार व्यक्त करते हुए कहा, “हमारे अद्भुत दर्शकों और प्रशासन के अटूट सहयोग ने इस महोत्सव को सफल बनाया। साथ ही, हमारे कलाकारों की रचनात्मकता और समर्पण ने इसे संस्कृति और कला का शानदार उत्सव बना दिया।” रेपर्टवा फेस्टिवल ने तीसरे दिन के शानदार प्रदर्शन से यह साबित कर दिया कि यह सिर्फ एक महोत्सव नहीं, बल्कि लखनऊ की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है।
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