भूख से बेबस मासूम का संघर्ष: लखनऊ की सड़कों पर जोखिम भरा मंजर
Sandesh Wahak Digital Desk: राजधानी लखनऊ के कमता तिराहे पर एक घटना ने समाज की असमानता और बच्चों की मजबूरी की तस्वीर उजागर की। जहां ट्रैफिक सिग्नल पर गाड़ी के रुकते ही एक छोटी बच्ची भूख से मजबूर होकर गाड़ी का शीशा साफ करने दौड़ पड़ी।
बच्ची ने गाड़ी का शीशा साफ किया, उसे उम्मीद थी कि कुछ पैसे मिल जाएंगे। हैरानी की बात तो ये है कि जब उसने गाड़ी में बैठे लोगों से हाथ फैलाकर मदद मांगी, तो ड्राइवर ने अनसुना कर दिया और गाड़ी बढ़ा दी। बच्ची ने भी हार नहीं मानी और पैसे पाने की उम्मीद में गाड़ी से लटक गई। लगभग 200 मीटर तक गाड़ी के साथ लटकती बच्ची ने खुद को गिरने से बचाने की कोशिश की।
यह घटना न केवल बच्चों की लाचारी को उजागर करती है, बल्कि एक बड़े सवाल को भी जन्म देती है। क्या इस तरह की घटनाएं किसी बड़े हादसे को दावत तो नहीं दे रहीं? बच्चों का इस तरह सड़कों पर जोखिम उठाना, उनकी सुरक्षा और उनके अधिकारों पर गहरा प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।
इस मामले ने एक बार फिर से प्रशासन और समाज की जिम्मेदारी पर सवाल खड़ा कर दिया है। बाल अधिकारों की अनदेखी और गरीबी की इस दर्दनाक तस्वीर को दूर करने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। सरकार और सामाजिक संस्थाओं को इस दिशा में जागरूकता अभियान और पुनर्वास के प्रयास तेज करने होंगे, ताकि मासूम बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो सके।
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