‘ESMA प्रदेश की बिगड़ती हालत का प्रमाण’, अखिलेश यादव का BJP पर हमला
Sandesh Wahak Digital Desk: उत्तर प्रदेश सरकार ने अनिवार्य सेवा अनुरक्षण क़ानून (ESMA) लागू कर दिया है, जिसके चलते अगले छह महीने तक प्रदेश में हड़ताल पर रोक रहेगी। यह निर्णय सरकारी और अर्द्धसरकारी विभागों में किसी भी प्रकार की हड़ताल को रोकने के उद्देश्य से लिया गया है।
अखिलेश यादव ने साधा निशाना
समाजवादी पार्टी के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि ESMA लागू करना इस बात का संकेत है कि उत्तर प्रदेश में हालात खराब हो रहे हैं। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि भाजपा सरकार जोड़-तोड़ और हेरफेर के दम पर सत्ता में तो आ जाती है, लेकिन उसे कुशलता से शासन चलाना नहीं आता।
अखिलेश यादव ने कहा कि सरकार को अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच पनप रहे विरोध और असंतोष का एहसास है। उन्होंने इसे “सुषुप्त ज्वालामुखी” करार दिया, जो कभी भी फट सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी नीतियों से परेशान कर्मचारी और अधिकारी हड़ताल के लिए मजबूर हो सकते हैं।
ट्वीट में आगे लिखा कि ‘सच्चाई ये है कि भाजपा को जोड़-तोड़ और हेराफेरी से सरकार बनाना तो आता है पर भ्रष्ट आचार-विचार के कारण सरकार चलाना नहीं। जो सरकार अपने अधीन लोगों पर ही पाबंदी लगा रही है, इसका तो सीधा मतलब यही हुआ ना कि वो मान रही है कि कर्मचारियों-अधिकारियों के बीच विरोध और आक्रोश का सुषुप्त ज्वालामुखी कभी भी फट सकता है’।
‘वास्तविकता तो ये है कि उत्तर प्रदेश के ही नहीं, पूरे देश के विभिन्न विभागों और सरकारी व अद्धसरकारी संस्थानों और प्रतिष्ठानों में काम करनेवाले लोग, भाजपाई भ्रष्ट नीतियों और भ्रष्टाचार के हिस्से बनने पर मजबूर किये जा रहे हैं, जिससे उनमें असंतोष पनप रहा है, जो कल को हड़ताल बनकर उभरेगा, यही वो डर है जिसकी वजह से ये आदेश पारित हुआ है’।
तो वहीं दूसरी ओर सरकार का कहना है कि ESMA लागू करना प्रशासनिक स्थिरता बनाए रखने के लिए जरूरी है। इसके तहत आवश्यक सेवाओं में किसी भी प्रकार की रुकावट को रोका जा सकेगा।
क्या है ESMA?
अनिवार्य सेवा अनुरक्षण क़ानून (ESMA) के तहत किसी भी विभाग में कर्मचारियों को हड़ताल करने से रोका जा सकता है। इस कानून का उल्लंघन करने पर कठोर दंड का प्रावधान है।