Gonda News: खाता न बही, जो मोतीगंज पुलिस कहे वही सही!

 दीवाली के दिन हुई मार-पीट की घटना में पुलिस ने की अलग-अलग कार्रवाई

Sandesh Wahak Digital Desk/A.R.Usmani: दिवाली के दिन पटाखा खरीदने को लेकर हुआ विवाद तूल पकड़ता देखकर मौके पर पीएसी तैनात की गई। करीब सप्ताह भर पुलिस व पीएसी के जवान तैनात रहे। इस मामले में इलाकाई पुलिस को दोहरा चेहरा सामने आया है। थाने की पुलिस ने दुकानदार की बर्बरता पूर्वक पिटाई करने वाले दबंगों के खिलाफ महज एनसीआर दर्ज किया, जबकि उपद्रव करने के आरोपी की ओर से पीड़ित व उसके परिजनों पर गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया।

मामला गोंडा जिले के मोतीगंज थाना क्षेत्र के अंतर्गत मोतीगंज कस्बे का है। दिवाली के दिन 31 अक्टूबर को क्षेत्र के ग्राम गौरवा कानूनगो के मजरा दुल्हापुर निवासी विशाल सिंह अपने साथियों के साथ पटाखा खरीदने मोतीगंज रेलवे स्टेशन के सामने अजीजुद्दीन व फखरूद्दीन की दुकान पर पहुंचा, जहां पैसे को लेकर दोनों में कहासुनी हो गई।

सांप्रदायिक तनाव के मद्देनजर मोतीगंज कस्बे में सप्ताह भर तैनात रही पुलिस व पीएसी

आरोप है कि विशाल ने अपने साथियों के साथ दुकानदार को भद्दी-भद्दी गालियां देते हुए लाठी-डंडों से मारा-पीटा। इसके बाद सभी अपने गांव चले गए और वहां से बड़ी संख्या में लोगों को साथ लेकर दुकानदार की पिटाई करने के लिए मोतीगंज बाजार आ रहे थे। जानकारी होने पर कस्बे के कुछ दुकानदारों ने इसकी सूचना मोतीगंज थाने की पुलिस को दी। प्रभारी निरीक्षक अनीता यादव मयफोर्स कस्बे में पहुंचीं और उन्होंने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए उच्चाधिकारियों से बात कर मौके पर पुलिस व पीएसी की तैनाती करा दी।

इस मामले में दुकानदार के पिता सलाहुद्दीन की तहरीर पर विशाल सिंह उर्फ अनूप सिंह पुत्र दृगराज सिंह व मुकुंद सिंह पुत्र बलजीत सिंह के खिलाफ एक नवंबर को एनसीआर दर्ज किया, जबकि इस पूरे घटनाक्रम के मुख्य आरोपी विशाल सिंह द्वारा दी गई तहरीर पर 31 अक्टूबर को ही अजीजुद्दीन व सलाहुद्दीन समेत छह लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। हालांकि, मारपीट की इस घटना में दोनों पक्षों को चोटें आई थीं। वहीं, विशाल सिंह द्वारा दुकान पर जाकर अपने साथियों संग बवाल किया गया, लेकिन इसके बावजूद मोतीगंज पुलिस ने इसे नजरंदाज करते हुए एकतरफा कार्रवाई कर दी।

उच्चाधिकारियों को गुमराह किया गया

इतना ही नहीं, बिना लाइसेंस के पटाखों की बिक्री पर पूरी तरह प्रतिबंध के बावजूद इलाकाई पुलिस की अनदेखी से गोलों-पटाखों की दुकानों से बाजार गुलजार रही। हालांकि, पुलिस ने इसे सिरे से खारिज करते हुए उच्चाधिकारियों को भी गुमराह करने का काम किया। सबसे बड़ी बात यह भी रही कि दीपावली जैसे संवेदनशील त्योहार पर भी बाजार में पुलिस की मौजूदगी नहीं रही, जिसके चलते दो समुदाय के लोगों में मारपीट की घटना हुई, जो थाने की पुलिस की लापरवाही से सांप्रदायिक रूप ले सकती थी, लेकिन पुलिस अधीक्षक विनीत जायसवाल की तत्परता से बड़ी घटना होने से बच गयी थी। एसपी ने घटना को गंभीरता से लेते हुए मोतीगंज बाजार में पीएसी व पुलिस की तैनाती कर दी थी।

करीब सप्ताह भर कस्बे में पीएसी तैनात रही। इस गंभीर मामले में मोतीगंज पुलिस द्वारा की गयी एकतरफा कार्रवाई चर्चा का विषय बनी हुई है। बाजार के एक व्यापारी का कहना है कि इस मामले में मोतीगंज पुलिस की कार्यशैली ठीक नहीं है। जिस दुकानदार को दबंगों द्वारा मारा-पीटा गया, उसी पर गंभीर धाराओं में केस दर्ज करना तमाम सवाल खड़ा करता है। सवाल यह भी उठाया जा रहा है कि आखिर मार-पीट की घटना में पुलिस भेदभावपूर्ण कार्रवाई कैसे कर सकती है?

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