UP News: नहीं खंगाली जा रहीं दागी आईपीएस अफसरों की संपत्तियां

अवैध वसूली में सुर्खियां बटोर रहे पुलिस अफसरों पर भी ईडी और आयकर ने नहीं कसा शिकंजा

Sandesh Wahak Digital Desk: बेनामी सम्पत्तियों और मनीलांड्रिंग की जांच का जिम्मा आयकर विभाग और ईडी का है। बीते कुछ वर्षों में दोनों एजेंसियों के राडार पर कई भ्रष्ट आईएएस अफसर आये। लेकिन आईपीएस अफसरों के मामले में एजेंसियों के हाथ मानो पूरी तरह खाली हैं।

मणिलाल पाटीदार

जबकि अवैध वसूली से लेकर भ्रष्टाचार के मामलों में यूपी के कई आईपीएस ने सुर्खियां बटोरी हैं। गड़बड़ छवि के चलते जिन आईपीएस को सरकार ने बर्खास्त किया। उनके खिलाफ भी एजेंसियों ने जांच शुरू करना मुनासिब नहीं समझा। सबसे पहला नाम महोबा के एसपी रहे बर्खास्त आईपीएस मणिलाल पाटीदार का है।

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दर्जनों पुलिसकर्मियों पर लगे संगीन आरोप

एसपी महोबा रहते बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे निर्माण में गिट्टी, मिट्टी सीमेंट, सरिया आदि की ढुलाई में लगे ट्रकों व डम्फरों से तकरीबन 40 पुलिसकर्मियों के गैंग के सहारे पाटीदार के ऊपर करोड़ों की काली कमाई करने के संगीन आरोप लगे थे। एफआईआर भी दर्ज हुई। इसके बावजूद ईडी से लेकर आयकर की बेनामी इकाई के शिकंजे से पाटीदार दूर है। राजस्थान के डूंगरपुर समेत कई शहरों में पाटीदार की तकरीबन 60 करोड़ की अवैध सम्पत्तियां बतायी जा रही हैं। पाटीदार के अलावा भी कई आईपीएस पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे।

जांच में एक एक करके सबको क्लीनचिट देते हुए प्रमोट किया जा रहा है। कुछ माह पहले बलिया में एडीजी वाराणसी ने कार्रवाई करते हुए नरही थाने में करोड़ों की अवैध वसूली का खुलासा किया था। जिसमें कई पुलिस अफसरों का नाम आया। लेकिन एजेंसियों की आखें यहां भी नहीं खुलीं।

आईपीएस अनिरुद्ध सिंह रेपकांड में एक स्कूल संचालक से 20 लाख की घूस मांगते वीडियो में दिखे। डीजीपी मुख्यालय द्वारा कराई जांच में अनिरुद्ध दोषी साबित हुए। ऐसे पुलिस अफसरों की फेहरिस्त लम्बी है। लेकिन ईडी और आयकर की बेनामी विंग आईपीएस पर मेहरबान है।

चंदौली : 24 घंटे में अवैध वसूली पर मिली क्लीनचिट!

हाल ही में यूपी के गाजीपुर में चंदौली के 18 पुलिसकर्मियों पर अवैध वसूली और बर्खास्त सिपाही के अपहरण के मामले में एफआईआर कोर्ट के आदेश पर दर्ज की गई है। मुगलसराय थाने के प्रभारी शिवानंद मिश्रा और एसपी अमित कुमार के संरक्षण में प्रतिमाह 12 लाख 50 हजार की वसूली की जाती थी। तत्कालीन डीआईजी विजिलेंस लव कुमार ने जांच में आरोप सही पाया। लेकिन 24 घंटे के भीतर ही इस मुकदमें को खत्म करने की बात सामने आ रही है। पुलिस अफसरों के मुताबिक जांच में मामला झूठा निकला है। ईडी और आयकर विभाग ने यहां भी सिर्फ चुप्पी साधना ही मुनासिब समझा।

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