Lucknow: जान बचाने के लिए हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाता रहा अबरार, नहीं पसीजे डॉक्टर, हुई मौत

Sandesh Wahak Digital Desk: यूपी सरकार का दावा हर जिले में मेडिकल कॉलेज खोलकर गरीबों को बेहतर इलाज देने का है। वहीं दूसरी तरफ सीएम योगी की नाक के नीचे लखनऊ में गंभीर मरीजों की सांसें केजीएमयू में वेंटिलेटर की आस में थम रही हैं।

वो भी प्रदेश की सबसे बड़ी मेडिकल यूनिवर्सिटी केजीएमयू में। कुछ ऐसा ही दुबग्गा के छादुईय्या निवासी अबरार अहमद (55)  के साथ केजीएमयू के लॉरी कार्डियोलॉजी विभाग में हुआ। जहां इलाज के लिए बेटा और ऑक्सीजन मास्क पहने बाप डॉक्टरों के आगे गिड़गिड़ाते रहे। लेकिन डॉक्टर नहीं पसीजे और दूसरे अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। देखते ही देखते कुछ देर बाद अबरार की सांसें उखड़ने लगीं और बेटे के सामने ही दम तोड़ दिया। फिर परिजनों ने हंगामा करते हुए डॉक्टरों पर संगीन आरोप भी लगाए।

Brajesh Pathak

सीने में तेज दर्द के बाद कराया गया था भर्ती

ये हाल तब है जब डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक स्वास्थ्य सेवाओं के बेहतर होने के कसीदे पढ़ते रहते हैं। रविवार रात करीब 12:30 बजे अबरार सीने में तेज दर्द की शिकायत पर लॉरी की इमरजेंसी में भर्ती हुए थे। डॉक्टरों ने हालत गंभीर होने पर वेंटिलेटर की जरूरत बताई। लेकिन वेंटिलेटर बेड खाली नहीं होने की बात कहते हुए लोहिया या पीजीआई जाने के लिए कह दिया। जिसके बाद अबरार डॉक्टर से हाथ जोडक़र इलाज के वास्ते गुहार लगाने लगे। डॉक्टरों को तरस नहीं आया। डॉक्टरों से अपील करते अबरार का मार्मिक वीडियो भी वायरल हो रहा है।

ज्यादा शोर कर रहे हैं, इनका मरीज नहीं देखा जाएगा : बेटा

बेटे सैफ ने आरोप लगाते हुए कहा कि लॉरी की इमरजेंसी में मौजूद डॉक्टरों ने कह दिया यह ज्यादा शोर कर रहे हैं, इनके मरीज को नहीं देखा जाएगा। उनकी सांसें थम गईं, तब डॉक्टरों ने उन्हें देखा और बताया कि मौत हो गई। यहां से लेकर जाओ। डॉ. नीरज कुमार के कहने पर तीन से चार इंजेक्शन लगाए गए। कुछ देर बाद ही उनकी नाक और मुंह से खून निकलने लगा। सैफ ने बताया कि वजीरगंज थाने में लॉरी के डॉक्टर नीरज कुमार के खिलाफ लिखित शिकायत कर कार्रवाई करने की मांग की है।

Allahabad-High court

हाईकोर्ट ने दिखाई थी सख्ती, वेंटिलेटर्स बेड की कमी से आये दिन दम तोड़ रहे गंभीर मरीज

इसी साल हाईकोर्ट ने सरकार से अस्पतालों में वेंटिलेटर्स पर रिपोर्ट मांगी थी। सामने आया कि पीजीआई के पास मौजूद 386 वेंटिलेटर्स में से 365 क्रियाशील और 21 वेंटिलेटर्स बैकअप पर रखे हैं। केजीएमयू के पास 394 में से 393 वेंटिलेटर्स काम कर रहे हैं, एक का रिपेयर वर्क चल रहा था।  केजीएमयू में लगातार वेंटिलेटर्स के अभाव में गंभीर मरीज दम तोड़ रहे हैं। जुलाई में 10 माह के मासूम बच्चे की हमीरपुर, कानपुर से लेकर लखनऊ (ट्रॉमा में) तक वेंटिलेटर बेड नहीं मिलने से मौत हो गई थी। लारी में पिछले पांच वर्षों में बेड चार गुना होने पर भी हालात नहीं सुधरे हैं।

वेंटिलेटर बेड फुल थे : प्रवक्ता

केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह का कहना है कि मरीज की वर्ष 2018 में एंजियोप्लास्टी कराई गयी थी। इसके बाद मरीज ओपीडी में फॉलोअप के लिए नहीं आए। गंभीर अवस्था में इमरजेंसी में डॉक्टरों ने तुरंत भर्ती कर ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा। हार्ट फेल था। डॉक्टरों ने वेंटिलेटर की जरूरत बताई। विभाग के सभी आईसीयू-वेंटिलेटर बेड फुल थे। इसलिए तुरंत पीजीआई व लोहिया संस्थान ले जाने की सलाह दी गई। केजीएमयू से एम्बुलेंस भी उपलब्ध कराई गई थी। मौत दुखद है।

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