Lucknow: भारतीय संस्कृति की मशाल थामे प्रो. कनक द्विवेदी का प्रेरणादायक प्रयास
Sandesh Wahak Digital Desk: राजधानी लखनऊ के बीबीडी विश्वविद्यालय की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर कनक द्विवेदी ने भारतीय संस्कृति और मूल्यों के संरक्षण में अपनी अग्रणी भूमिका निभाते हुए एक अनूठी मिसाल पेश की है। जब पश्चिमी जीवनशैली और बाजारवाद भारतीय समाज पर गहरा प्रभाव डाल रहे हैं, प्रो. द्विवेदी अपने आचरण और कार्यों के माध्यम से भारतीयता का ध्वज थामे हुए हैं।
पश्चिमी प्रभाव के इस युग में, प्रो. द्विवेदी का साड़ी पहनना और भारतीय संस्कृति को अपनाना उन्हें सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बना देता है। अपने संवाद, अध्यापन शैली, और समर्पण से वह युवा पीढ़ी को भारतीय परंपराओं, संस्कारों, और मूल्यों से जोड़ने का महत्वपूर्ण कार्य कर रही हैं।
हाल ही में, प्रो. कनक द्विवेदी ने अपनी टीम – डॉ. मेहविश सिद्दीकी और डॉ. बृजेश त्रिपाठी के साथ छात्राओं के एक समूह को लेकर समाजसेवी टीपी पांडे द्वारा संचालित वृद्धाश्रम का दौरा किया। उन्होंने वृद्धाश्रम में वृद्धजनों से बातचीत कर छात्राओं को पारिवारिक रिश्तों और सामाजिक जिम्मेदारियों के महत्व को समझाया।
युवा पीढ़ी को पढ़ाया भारतीयता का पाठ
प्रो. द्विवेदी ने छात्राओं को बताया कि कैसे परिवार और रिश्ते हमारी संस्कृति की रीढ़ हैं। उन्होंने उन्हें यह भी समझाया कि बढ़ती पीढ़ी पर भारतीयता को आगे बढ़ाने का दायित्व है।
वृद्धाश्रम में स्वास्थ्य, सफाई और देखभाल की उत्तम व्यवस्था के लिए प्रो. द्विवेदी ने टीपी पांडे की सराहना की। टीपी पांडे पिछले दो दशकों से मलिन बस्तियों में बच्चों को शिक्षित करने और कौशल विकास प्रशिक्षण देने में जुटे हुए हैं। उनके प्रयास समाज के लिए प्रेरणास्रोत हैं। प्रो. कनक द्विवेदी जैसे शिक्षकों के प्रयास भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए एक मजबूत स्तंभ हैं। उनका यह कार्य न केवल युवाओं को प्रेरित कर रहा है, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव की दिशा भी तय कर रहा है।
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