जेलों से चल रहा दहशत का कारोबार, ‘सिस्टम’ तोड़ने में सरकारें नाकाम

बन रहीं माफियाओं-अपराधियों की सबसे सुरक्षित पनाहगाह, भक्षक की भूमिका में जेल अफसर-कर्मी

Sandesh Wahak Digital Desk: अहमदाबाद की साबरमती जेल से दुनिया भर में फैले अपने गैंग के 700 शूटरों को लॉरेंस बिश्नोई आपरेट करके दहशत का खुला कारोबार चला रहा है। ये हाल साबरमती समेत देश भर की जेलों का है। जिसमें यूपी की जेलें भी शामिल हैं।

जेलें अब माफियाओं और अपराधियों की पनाहगाह बन चुकी हैं। जेलों के अंदर एनकाउंटर से भी ऐसे गैंगस्टर पूरी तरह सुरक्षित हैं। जेलों के सिस्टम को तोडऩे के लिए यूपी सरकार ने कई प्रयास किये। जो फिलहाल नाकाफी साबित हो रहे हैं।

जेलों से हत्या रंगदारी, अपहरण लूट जैसे जघन्य अपराधों की रची जा रहीं साजिशें

यूपी में जेलें न सिर्फ हत्याओं के लिए कुख्यात हैं बल्कि लूट, अपहरण से लेकर हाई प्रोफाइल लोगों को मारने की साजिशें भी यहीं तैयार हो रही हैं। कुल मिलाकर जेलों के भीतर से अपराधियों का सिस्टम किसी सुपरफास्ट एक्सप्रेस की तर्ज पर लगातार दौड़ रहा है। इस सिस्टम को ध्वस्त किये बिना अपराधियों का नेटवर्क तोडऩा और अपराधों का खात्मा सरकारी दावों की तर्ज पर सिर्फ दूर की कौड़ी है।

पैसा फेंकते ही माफिया के लिए बिछ जाते हैं जेल अफसर, हर प्रतिबन्धित सामान होता है मुहैया

इस सिस्टम के सबसे बड़े मददगार खुद जेलों के अंदर बैठे रक्षक रूपी अफसर हैं, जो भक्षक की शक्ल अख्तियार कर चुके हैं। एक हफ्ते पहले ही डीआईजी जेल एसके मैत्रेय ने सिद्धार्थनगर जेल को नशे का अड्डा बनाने के मामले में गांजा रखने और मोबाइल फोन मिलने के सबूत के बाद डिप्टी जेलर समेत चार जेलकर्मियों का निलंबन किया है। ये नजीर उतनी बड़ी नहीं है और सभी जेलों के अंदर बेहद आम है।

एक बार रायबरेली की जेल में अंशु दीक्षित नाम के कुख्यात अपराधी ने मुर्गे और दारू की पार्टी की थी। ऐसी पार्टियां जेलकर्मियों से साठगांठ पर आए दिन आयोजित होकर उन्हें अय्याशी का अड्डा साबित कर रही हैं। अंशु जेल से ही फोन पर अपने गुर्गों को रंगदारी और अपहरण जैसे अपराधों को करने के निर्देश देता था। फिर इसी कुख्यात अपराधी ने तीन साल पहले चित्रकूट जेल में पिस्टल से तीन बंदियों की हत्या करके पूरे सिस्टम को बेनकाब कर दिया।

अतीक के सारे धंधे बरेली जेल से अशरफ कर रहा था आपरेट

माफिया अतीक अहमद के सारे धंधे अशरफ बरेली जेल से कैसे आपरेट कर रहा था। इसका खुलासा भी हो चुका है। अतीक ने लखनऊ के रियल एस्टेट कारोबारी का अपहरण करके देवरिया जेल में खूब मारपीट की थी। जिसकी जांच सीबीआई ने भी की। बागपत जेल में माफिया मुन्ना बजरंगी की सुनियोजित हत्या और सेंट्रल जेल बरेली में सुपारी किलर आसिफ का लाइव वीडियो चैट किसी से छुपा नहीं है। वहीं उन्नाव जेल में असलहे तक लहराए जा चुके हैं। 2019 में खुलासा हुआ था कि प्रयागराज, कौशाम्बी, प्रतापगढ़ की जेलों में हत्या की 11 घटनाओं की साजिश रची गयी। साथ ही नैनी जेल में लूट की सात घटनाओं का तानाबाना भी बुना गया।

चित्रकूट जेल में अब्बास और उनकी पत्नी की अतरंगी मुलाकातें भी खूब चर्चा में रहीं

पिछले साल मुख्तार के बेटे अब्बास अंसारी और उनकी पत्नी की चित्रकूट जेल में लगातार हो रहीं अतरंग मुलाक़ातों ने खूब सियासी सुर्खियां बटोरी थी। कितने वीडियो इन्ही जेलों से वायरल हुए। जिनसे जेलों के भीतर जारी भ्रष्टाचार के सिस्टम का खुलासा हुआ। इस तथाकथित सिस्टम के तार जेल मुख्यालय से लेकर शासन में बैठे बड़े अफसरों से भी जुड़े हैं। तभी दागदारों को पुन: संवेदनशील जेलों में तैनातियां देने का मानो रिवाज़ बन चुका है। उमेश पाल हत्याकांड जैसे चर्चित उदाहरण भी सामने आये। जिसके बाद यूपी सरकार ने जेल सुधार के लिए आईपीएस अफसरों की तैनाती के साथ कई कदम उठाए, जिनका कोई गंभीर असर आज़तक जेलों के अंदर की कार्यशैली पर नजर नहीं आया।

डीजी तक हटे, कितने हुए निलंबित, फिर अहम तैनातियां हैसियत कई गुना, बाहुबलियों के लिए होती हैं डीजे नाइट

पिछले वर्ष मार्च में जेलों के भीतर माफियाओं से अवैध तत्वों की बढ़ती मुलाकातों के बाद योगी सरकार ने तत्कालीन महानिदेशक कारागार आनंद कुमार को पद से हटाकर सख्त सन्देश दिया था। इसी तरह बीते वर्षों में उन्नााव, बांदा, हरदोई, बरेली, सिद्धार्थनगर, नैनी, बाराबंकी, हमीरपुर, चित्रकूट समेत कई जेलों में तैनात तमाम अफसरों-कर्मियों को निलंबित किया गया है।

अधिकांश जल्द ही बहाल होकर फिर जेलों में मलाईदार तैनाती पा गए। सिस्टम के बूते दागदार जेल अफसरों-कर्मियों की हैसियत कई गुना बढ़ चुकी है। जिसकी जांच कोई भी सरकार नहीं कराती। जेलों के अंदर का सिस्टम वर्षों पुराना है। तभी वर्षों पहले लखनऊ जेल में बंद रहने के दौरान बाहुबली नेता अमरमणि त्रिपाठी के लिए डीजे नाइट तक आयोजित हुई थी।

शिकायतों वाले अफसरों कर्मियों को दूर भेजें : जैन

पूर्व डीजीपी एके जैन के मुताबिक यूपी की जेलों के सुधार के लिए काम हो रहे हैं। सच ये भी है कि जेल से अक्सर ऐसी सूचनाएं आती हैं, जो सोचने को मजबूर कर देती हैं। जेल से भ्रष्टाचार को दूर करने का एक ही उपाय है कि जेलों में पहले से तैनात आरक्षियों और वॉर्डर समेत जिनकी शिकायतें अधिक हों, उन्हें प्रशासनिक आधार पर स्थानांतरित कर दूर की जेलों में भेजें। सीसीटीवी और बॉडी वॉर्न कैमरों के बावजूद लापरवाही बरती जा रही है।

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