गुमशुदा सुहाग के अंतहीन इंतज़ार का दंश झेल रहीं महिलाएं!

Sandesh Wahak Digital Desk/A.R.Usmani: ‘जब तक गंगा-जुमना में पानी रहे, मेरे साजन तेरी जिंदगानी रहे…’करवा चौथ पर्व पर सुहागिनों की यही कामना होती है। यह पर्व भारतीय संस्कृति के उस पवित्र बंधन का प्रतीक है, जो पति-पत्नी के बीच होता है। एक-दूसरे के प्रति अपार प्रेम, त्याग एवं उत्कर्ष की चेतना लेकर यह पर्व आता है, लेकिन देवीपाटन मंडल के गोण्डा जिले की कुछ ऐसी महिलाएं हैं, जो करवा चौथ पर चांद देखकर चहकती नहीं, बल्कि सुबकती हैं।

वर्षों से गुमशुदा सुहाग की आस में जी रहीं तमाम महिलाएं

जी हां, हम बात कर रहे हैं उन महिलाओं की, जो अपने गुमशुदा सुहाग के अंतहीन इंतजार का दंश झेल रही हैं। इन महिलाओं के लिए करवा चौथ का ‘चांद’ एक टीस लेकर आता है, जिसे देखकर वह मायूस हो जाती हैं। सिसकियों के बीच सुहाग को याद करती हैं। इन्हें नहीं पता कि उनकी मांग उजड़ चुकी है या फिर वे अभी सुहागिन हैं? ऐसे में भी वे उम्मीद की डोर थामे हुए हैं।

हम बात शुरू करते हैं शहर के रानी बाजार मोहल्ले की कविता से। उसकी सूनी आंखों से ही अहसास हो जाता है कि नियति ने उसे कहीं का नहीं छोड़ा। छह वर्ष पूर्व उसके पति गायब हो गए और फिर लौटकर वापस घर नहीं आए। वह कहां और किस हाल में हैं, यह किसी को नहीं मालूम? कविता अपने मायके में जिंदगी काट रही है।

रविवार को करवा चौथ है। वह व्रत धारण तो करेगी, लेकिन उसके सुहाग के सलामत होने की उम्मीद….क्या कहें? कविता ने पति के गायब होने की सूचना थाने में दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस भी गुमशुदा पति को खोज पाने में नाकाम रही। कविता ही क्यों? शहर से तकरीबन 30 किमी दूर मनकापुर की संगीता के पति भी 33 वर्षों से गायब हैं।

समाज और कानून के तराजू पर धैर्य की परीक्षा दे रही तमाम महिलाएं

कानून के मुताबिक संगीता विधवा हो चुकी है, लेकिन समाज के सामने वह न तो विधवा है और न ही सुहागिन। कविता, संगीता के अलावा छपिया ब्लॉक क्षेत्र के एक गांव की सुप्रिया सिंह, उसी क्षेत्र के एक गांव की रहने वाली शांति देवी जैसी तमाम महिलाएं हैं, जो समाज और कानून के तराजू पर धैर्य की परीक्षा दे रही हैं।

तरबगंज की शीला देवी की रोते-रोते हिचकियां बंध जाती हैं, लेकिन सिसकियों के बीच वह कहती हैं कि वह जहां भी हैं, महफूज हैं। हम उनका इंतजार कर रहे हैं। जिले के कटरा बाजार थाना क्षेत्र के एक गांव की ममता की शादी गोण्डा के कौड़िया में राम कुमार के साथ हुई थी। वह गुजरात की किसी कंपनी में नौकरी करता था। शादी के तीन महीने बाद राम कुमार गुजरात चला गया।

बारह साल गुजर गए, वह लौटकर नहीं आया। वर्ष 2013 से वह अपने पति के आने का इंतज़ार करती चली आ रही है। वह कहती है कि ‘उनके इस दुनिया में न रहने की भी खबर नहीं आई, फिर कैसे मान लूं कि वो अब कभी लौटकर नहीं आएंगे? पति-पत्नी के रिश्ते का मजबूत बंधन उम्मीद की डोर को टूटने नहीं दे रहा है।…चिट्ठी न कोई संदेश, जाने वो कौन सा देश, जहां तुम चले गए…?

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