69000 Shikshak Bharti: सुप्रीम कोर्ट में आज अहम सुनवाई, दोनों पक्षों ने डाला दिल्ली में डेरा
69000 Shikshak Bharti: 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में मंगलवार (15 अक्टूबर) को सुप्रीम कोर्ट अहम सुनवाई करने वाली है। इस सुनवाई को लेकर चयनित और अन्य अभ्यार्थियों की ने दिल्ली में डेरा डाल दिया है। दोनों पक्षों की नजर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर रहेगी।
इससे पहले इस मामले की सुनवाई बीते 9 सितंबर को हुई है। जबकि 23 सितंबर को होने वाली सुनवाई कुछ कारणों की वजह से नहीं हो सकी। ऐसे में अभ्यर्थियों और चयनितों के साथ-साथ बेसिक शिक्षा विभाग की निगाह भी मंगलवार को होने वाली सुनवाई पर लगी हुई है।
बता दें कि 69 हजार शिक्षक भर्ती को लेकर काफी समय से प्रदेश के यूवा आंदोलन कर रहे हैं। इसी कड़ी में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में पुरानी सभी सूची निरस्त करते हुए आरक्षण के नियमों के अनुसार नई सूची बनाने का निर्देश दिया था। इसके बाद आरक्षित और चयनित दोनों अभ्यर्थियों ने धरना- प्रदर्शन किया था। तो दूसरी ओर चयनित अभ्यर्थी इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट गए थे। दूसरी तरफ आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने भी इस मामले में कैविएट दाखिल किया था।
क्या है पूरा मामला ?
यूपी में जब अखिलेश यादव की सरकार थी। तब 1 लाख 37 हजार शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक के रूप में समायोजित कर दिया गया था। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा और समायोजन को रद्द कर दिया गया था। यानी अखिलेश सरकार ने जिन शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक बना दिया था। वह फिर से शिक्षामित्र बन गए।
अब इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 1 लाख 37 हजार पदों पर भर्ती का आदेश योगी सरकार को दिया। योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हम एक साथ इतने पद नहीं भर सकते हैं। फिर सुप्रीम कोर्ट ने दो चरण में सभी पदों को भरने का आदेश दिया। इस आदेश के बाद योगी सरकार ने 2018 में पहले 68500 पदों के लिए भर्तियां निकाली। इसके बाद दूसरे चरण की भर्ती थी 69000 सहायक शिक्षक भर्ती।
कहां से शुरू हुआ विवाद?
69 हजार सहायक शिक्षक पदों के लिए निकली इस भर्ती की परीक्षा 6 जनवरी 2019 को हुई। इस भर्ती के लिए अनारक्षित की कटऑफ 67.11 प्रतिशत और OBC का कटऑफ 66.73 प्रतिशत था। इस भर्ती के तहत करीब 68 हजार लोगों को नौकरी मिली। यहीं से पूरा विवाद शुरु हुआ कि 69 हजार भर्ती में आरक्षण नियमों को लेकर अनदेखी की गई। बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 का पालन सही से नहीं किया गया।
69000 भर्ती के अभ्यर्थी जो इस विरोध के साथ आंदोलन के लिए सड़क पर उतरे, उनका कहना था कि इस नियमावली में साफ है कि कोई ओबीसी वर्ग का अभ्यर्थी अगर अनारक्षित श्रेणी के कटऑफ से अधिक नंबर पाता है तो उसे ओबीसी कोटे से नहीं बल्कि अनारक्षित श्रेणी में नौकरी मिलेगी। यानी वह आरक्षण के दायरे में नहीं गिना जाएगा।
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