लखनऊ नगर निगम: हाउस टैक्स के फर्जीवाड़े में शामिल ‘खिलाड़ियों’ पर मेहरबानी
Sandesh Wahak Digital Desk: राजधानी का नगर निगम ठनठन गोपाल है, न विकास कार्यों के खातिर पैसा रहता है न कर्मचारी और ठेकेदारों की देनदारी चुकाने का। फिर भी नगर निगम प्रशासन राजस्व को चूना लगाने वालों पर हमेशा मेहरबान रहता है। राजस्व को कम कर अफसर-कर्मचारियों के बीच करोड़ों रुपए की बंदरबांट चल रही है।
ताजा मामला नगर निगम के जोन-सात का है। जहां एक छह मंजिला व्यावसायिक बिल्डिंंग के कर निर्धारण में धांधली उजागर हुई है। मामले की जानकारी के बावजूद नगर निगम प्रशासन कार्रवाई या जांच की जगह चुप्पी साधे बैठा है। नगर निगम जोन-सात के शंकर पुरवा द्वितीय वार्ड के रिंग रोड स्थित फर्नीचर डॉट कॉम शोरूम (529डी/036सीसी)के कर निर्धारण में बड़ा खेल किया गया है।
पहले तो वर्ष 2022 में बिल्डिंग पर 1264514 रुपए के बकाया हाउस टैक्स को लेकर नगर निगम कर्मियों ने बिल्डिंग को सील कर दिया था। फिर इसी टैक्स को कम करने के लिए नगर निगम के उच्च अफसरों तक फाइल गई और मार्च 2023 में मामला लगभग 221459 में निपट गया। अफसरों ने नगर निगम के राजस्व को करीब दस लाख रुपए का चूना लगाया। टैक्स की इस गणित में शामिल अफसरों पर नगर निगम प्रशासन ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है।
सूत्र बताते हैं कि भारी भरकम टैक्स कम कराने के लिए नीचे से ऊपर तक सभी ने खूब मलाई काटी। अब उन अफसरों का नाम नगर निगम प्रशासन उजागर नहीं कर पा रहा है। भ्रष्टाचार उजागर होने के बाद भी कार्रवाई न होना, नगर निगम में चल रहे बड़े सिंडिकेट की ओर इशारा कर रहा है। नगर आयुक्त इस सिंडिकेट से चौतरफा घिर चुके हैं। उक्त मामला तो केवल बानगी है,नगर निगम में तमाम ऐसे मामले हैं जहां पर राजस्व को चूना लगाकर अफसरों ने अपनी जेबें भर रखीं हैं।
बिल्डिंग सील तो कैसे आता रहा हजारों का बिजली बिल
फर्नीचर डॉटकॉम शोरूम के मालिक शोएब खान ने हाउस टैक्स माफ करने के लिए जोन-सात में यह एप्लीकेशन दी है कि उनका शोरूम 29 जनवरी 2021 से अगस्त 2024 के बीच एलडीए की ओर से सील था। ऐसे में इस अवधि का हाउस टैक्स माफ कर दिया जाए। मगर, यहां पर सवाल यह उठता है कि अगर बिल्डिंग सील थी तो हर महीने हजारों रुपए बिजली का बिल कैसे आ रहा था। जोनल अधिकारी आकाश कुमार ने एप्लीकेशन के साथ बिजली के बिल की रसीदें मांगने की जरूरत नहीं समझी।
एक फ्लोर हजम कर गए निरीक्षक साहब
जोन-सात के तत्कालीन राजस्व निरीक्षक प्रभाकर दयाल ने एलडीए की सील की आड़ में फर्नीचर डॉट कॉम शोरूम पर आवासीय टैक्स लगा दिया। आवासीय टैक्स को भी कम करने के लिए उन्होंने 4200 वर्गफुट प्लाट पर बनी छह मंजिला बिल्डिंग का एरिया मात्र 18000 दिखाया।
कर निर्धारण में एक फ्लोर को नहीं दिखाया गया और एक अप्रैल 2021 से मूल्यांकन कर 45900 रुपए टैक्स लगा दिया। टैक्स मूल्यांकन के वक्त राजस्व निरीक्षक ने यह देखने की जरूरत नहीं समझी कि बिल्डिंग का उपयोग गोदाम व प्रापर्टी दफ्तर के रूप में किया जा रहा है और आने-जाने लिए एक छोटा गेट सील नहीं है। सूत्रों के अनुसार वर्तमान में जोन-8 में तैनात प्रभाकर दयाल कर निर्धारण में बड़े-बड़े खेल कर रहे हैं।
मामला संज्ञान में है, दो दिन हाईकोर्ट व कुछ अन्य कार्यों की व्यस्तता के चलते अफसरों से रिपोर्ट नहीं ली जा सकी। मामले को जल्द चेक करा कर कार्रवाई की जाएगी।
-इन्द्रजीत सिंह, नगर आयुक्त
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