UP News: शहरी सुविधाओं से लैस होंगे जनजातियों के गांव, 517 ग्राम पंचायतों का सरकार करेगी कायाकल्प
प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नति अभियान योजना के तहत केंद्र सरकार ने जनजातीय समाज के उत्थान और विकास पर 80 हजार करोड़ रुपये खर्च करने की व्यवस्था की है...
Sandesh Wahak Digital Desk/Sunil Kumar Mishra: देश की आजादी से अब तक विकास की मुख्यधारा से दूर आदिवासी और जनजातीय समुदाय को सरकार शहरी जनजीवन जैसी सुविधाएं मुहैया करवाने जा रही है। सुपर स्पेशीलिटी हॉस्पिटल, बेसिक और उच्च शिक्षण संस्थान, बिजली, इंटरनेट से इनके गांवों को जोड़ा जाएगा। प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नति अभियान योजना के तहत केंद्र सरकार ने जनजातीय समाज के उत्थान और विकास पर 80 हजार करोड़ रुपये खर्च करने की व्यवस्था की है। इसमें जनजातीय बहुलता वाले यूपी के 517 ग्राम पंचायतों को चयनित किया गया है।
केंद्र सरकार की इस योजना के तहत किए गए सर्वे में यूपी के 26 जिलों में जानजातियों की आबादी अधिक पाई गई है। इन जिलों के 47 विकासखंड के 517 ग्राम पंचायतों को योजना से जोडऩे के लिए चयनित किया गया है। इनमें अंबेडकरनगर, बहराइच, बलिया, बलरामपुर, बाराबंकी, बस्ती, भदोही, बिजनौर, चंदौली, देवरिया, गाजीपुर, गोरखपुर, जौनपुर, खीरी, कुशीनगर, ललितपुर, महराजगंज, महोबा, मिर्जापुर, पीलीभीत, प्रयागराज, संतकबीरनगर, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, सीतापुर और सोनभद्र जिले शामिल हैं।
इनमें सबसे अधिक सोनभद्र की 176, बलिया 61, ललितपुर 36, देवरिया, कुशीनगर, और खीरी की 34-34 ग्राम पंचायतें शामिल हैं। 5 साल की समयावधि वाली योजना के लिए 80 हजार करोड़ रूपये खर्च होंगे, जिसमें 23-23 हजार करोड़ रुपये राज्य सरकारें देंगी। योजना में विकास कार्यों का जिम्मा 17 मंत्रालयों को दिया गया है। यूपी में जानजातीय कल्याण विभाग को इसका नोडल बनाया गया है।
झुग्गियों को हटाकर बनेंगे पक्के मकान
घास-फूस की झुग्गियां बनाकर जीवन यापन करने वाले आदिवासी समाज को पक्के मकान दिए जाएंगे। इसमें लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 20 लाख मकान देने का खाका तैयार किया है। जल जीवन शक्ति मिशन के तहत इन मकानों में स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता कराई जाएगी। हर परिवार को आयुष्मान भारत योजना के तहत आयुष्मान कार्ड मुहैया कराए जाएंगे। गांवों को चौड़ी सडक़ों से जोड़ा जाएगा और इंटरनेट की कनेक्टिविटी होगी। गांवों में बुनियादी सुविधाओं के साथ पोषण और आर्थिक विकास पर भी जोर दिया जा रहा है।
युवाओं को रोजगार परक प्रोग्राम से जोड़ा जाएगा
सरकार की योजना है कि आदिवासी समाज के युवाओं को स्थानीय स्तर पर ही रोजगार के अवसर मुहैया कराकर उनका आर्थिक विकास किया जाए। इसके लिए कौशल विकास मिशन के तहत उन्हें कृषि, पशुपालन, मत्स्य पालन और पर्यटन के क्षेत्र में रोजगार के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। ग्राम पंचायत में बहुउद्देशीय विपणन केंद्र विकसित किया जाएगा जहां ये अपने उत्पाद को आसानी से बेंच सकेंगे।
राष्ट्रीय स्तर की शिक्षा वाले स्कूल बनेंगे
योजना के तहत चिंहित पंचायतों में उच्च शिक्षा के लिए एक स्कूल की स्थापना होगी। इसमें राष्ट्रीय स्तर की शिक्षा का मानक तय किया गया है। इस आवासीय कॉलेज में हर तरह की सुविधाएं होंगी। जानजातीय परिवार के आय को देखते हुए शुल्क का निर्धारण उनके अनरुप रखने का प्रावधान किया गया है।
मृत्यु दर को देखते हुए होगी चिकित्सीय सुविधाएं
योजना में चिकित्सा को सबसे प्रमुख रखा गया है। सरकार ने स्वास्थ्य मंत्रालय को जिम्मा दिया है कि जनजातीय आबादी के अनुपात में शिशु और मातृ मृत्यु दर का अध्ययन करके इन पंचायतों में अस्पताल स्थापित किए जाएं। इनमें हर वह सुविधा मुहैया कराया जाए जिससे इन पिछड़े वर्ग के लोगों को इलाज के लिए बाहर न जाना पड़े।
पयर्टन विकास के संभावनाओं की तलाश
विकास की मुख्यधारा से दूर होने के बाद भी आदिवासी जीवनशैली पर्यटकों को हमेशा अपनी ओर खींचता है। यही वजह है कि इस वृहद विकास योजना में सरकार पयर्टन की संभावना भी तलाश रही है। योजना के तहत चयनित ग्राम पंचायतों में पर्यटकों के लिए स्टे होम की व्यवस्था की जा रही है। इसके लिए ग्राम वासियों की पात्रता तय की जाएगी। पात्रों को स्टे होम निर्माण के लिए 5 लाख रुपये और रखरखाव व मरम्मत के लिए 3 लाख रुपये दिए जाएंगे।
विभाग और उनकी जिम्मेदारी
ग्रामीण विकास – 20 लाख पक्के आवास, 25 हजार किलोमीटर सड़क
जल शक्ति – 20 आवास में पेयजल की सुविधा
उर्जा – 2 लाख 23 हजार बिजली के कनेक्शन
अतरिक्त उर्जा – सार्वजनिक संस्थानों को सोलर एनर्जी से जोड़ना
स्वास्थ्य – एक हजार से अधिक चिकित्या इकाईयां
पेट्रोलियम – 25 लाख गैस कनेक्शन
महिला एवं बाल विकास- 8 हजार आंगनवाड़ी केंद्र
शिक्षा- एक हजार हॉस्टल
आयुष- 700 पोषण वाटिकाएं
टेलीकॉम- 5 हजार गांवों में इंटरनेट
कौशल विकास- एक हजार कौशल विकास केंद्र
कृषि- 2 लाख लाभार्थियों को जमीन व तालाबों का पट्टा
मत्य पालन- 10 हजार समूह और एक लाख लोगों को मत्य पालन से जोड़ना
पशुपालन- 8500 समूहों को पशुपालन से जोड़ना
पर्यटन- एक हजार जनजातीय रहवास
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