बांटने वाली ताकतों के षड्यंत्र से सतर्क होकर करना होगा कार्य : सीएम योगी

राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज की 10वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि समारोह

Sandesh Wahak Digital Desk: गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जातीय विभेद, छुआछूत, अश्पृश्यता के चलते जबतक  सामाजिक एकजुटता का अभाव रहेगा, तबतक राष्ट्रीय एकता को चुनौती मिलती रहेगी। यही कारण है कि भारत की मार्गदर्शक संत परंपरा ने समाज को जोड़ने का संदेश दिया है। हमें बांटने वाली ताकतों के षड्यंत्र से सतर्क होकर और एकजुट होकर देश और समाज हित के लिए काम करना होगा।

सीएम योगी युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज की 55वीं तथा राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की10वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित साप्ताहिक श्रद्धांजलि समारोह के अंतिम दिन शनिवार (आश्विन कृष्ण चतुर्थी) को महंत अवेद्यनाथ की पुण्यतिथि पर श्रद्धासुमन अर्पित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि संतों की पुण्यतिथि पर आयोजन से, उनके व्यक्तित्व और कृतित्व के स्मरण से नई प्रेरणा मिलती है।

 

सहज लोगों के लिए वात्सल्य और धर्म विरोधियों के लिए वज्र जैसे कठोर थे महंत अवेद्यनाथ

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज के साथ सेवा के अनेक प्रकल्पों से जुड़कर काम करने का सौभाग्य मुझे मिला। वे मूलतः धर्माचार्य थे। उनमें वात्सल्य भाव था। वह मार्गदर्शक और सच्चे समाज सुधारक थे। सहज और सरल लोगों के लिए वह वात्सल्य स्वरूप थे तो धर्म विरोधी आचरण करने वालों की प्रति  वज्र जैसे कठोर।

जोड़ने की रही है गोरक्षपीठ की परंपरा

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि समाज और जीवन का ऐसा कोई पक्ष नहीं जिसे गोरक्षपीठ ने आगे न बढ़ाया हो। पीठ की परंपरा जोड़ने की रही है। पीठ ने इतिहास के अलग-अलग कालखंडों में उन कारणों को समझने के लिए प्रेरित किया जिनकी वजह से देश को गुलाम होना पड़ा। यह पीठ इसलिए भी समाज की एकजुटता की बात करती है कि जब भी समाज में जाति की खाई को चौड़ा करने का प्रयास किया गया, तब-तब इसका दुष्परिणाम देश को लंबे समय तक गुलामी के रूप में भुगतना पड़ा।

सीएम योगी ने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी गुलामी की मानसिकता इतनी हावी रही कि तत्कालीन नेतृत्व देश की सही दिशा नहीं तय कर पाया। अनेक बलिदानियों के सर्वस्व बलिदान से हासिल स्वतंत्रता के बाद भी देश को सही दिशा न मिलने से संतों में आक्रोश था।

आज सही दिशा में बढ़ रहा है भारत

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज भारत सही दिशा में बढ़ रहा है। गत दस वर्षों में भारत की प्रगति, सर्वांगीण विकास की रूपरेखा उत्साहित करने वाली है। इस परिस्थिति में हम सबका दायित्व है कि हम बांटने वाली ताकतों के षड्यंत्र से बचें। सतर्क इसलिए भी रहना होगा कि आपस में लड़ाने के लिए पैसा किसी और का होगा लेकिन माध्यम यहीं के लोग। इससे बचने के लिए संत परंपरा के संदेशों को जानने की आवश्यकता है।

सामाजिक एकजुटता की पोषक है संत परंपरा

सीएम योगी ने कहा कि संत परंपरा सामाजिक एकजुटता की पोषक है। गुरु गोरखनाथ से लेकर आदि शंकर, स्वामी रामानंद, स्वामी रामानुजाचार्य सबके संदेश का प्राथमिक भाव यही है, “जाति-पांति पूछै नहीं कोई, हरि को भजै सो हरि का होई”।

सबके आदरणीय और प्रिय थे महंत अवेद्यनाथ  : कमलेश पासवान

केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्यमंत्री कमलेश पासवान ने ब्रह्मलीन महंतद्वय को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि मेरे पिता ने राजनीति का ककहरा ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज से सीखा था। महाराज जी (अवेद्यनाथ) ने छुआछूत मिटाने के लिए जो अभियान चलाया वह एक मिसाल है। उनका व्यक्तित्व ऐसा था कि वे सबके प्रिय और आदरणीय थे। आज उनके दिखाए मार्गों पर चलकर उनके शिष्य, गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूरे प्रदेश का गौरव बढ़ा रहे हैं।

योगी आदित्यनाथ में विद्यमान है महंत अवेद्यनाथ जी की वैचारिक दिव्यता : स्वतंत्रदेव

प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ और महंत अवेद्यनाथ की पुण्य स्मृति को नमन करते हुए कहा कि कहा कि महंत अवेद्यनाथ महाराज की दिव्यता और उनके विचारों को वर्तमान गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी कार्यशैली में मूर्तमान देखा जा सकता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सुरक्षा का वह माहौल बनाया है कि आज बहन-बेटियां बेखौफ होकर स्कूल कॉलेज जा रही हैं। सीएम योगी के लिए लोक कल्याण ही सर्वोपरि है और यह भावना उन्हें अपने पूज्य गुरुदेव से विरासत में मिली है।

Ravi Kishan

अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण गोरक्षपीठ की देन: रविकिशन

श्रद्धांजलि सभा में गोरखपुर के सांसद रविकिशन शुक्ल ने कहा कि महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ जी दूरद्रष्टा संत थे। उन्होंने शिक्षा के साथ ही चिकित्सा स्वास्थ्य की मजबूती को लेकर जो प्रयास किए वह अनिर्वचनीय हैं। दोनों ही महंत जी संत के साथ योद्धा भी थे। उन्होंने कहा कि अयोध्या में पांच सौ साल बाद राम मंदिर बन पाया है तो यह गोरक्षपीठ और इसके पीठाधीश्वरों की देन है।

सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों की ओर से भी दी गई श्रद्धांजलि

इस अवसर पर विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों की ओर से भी ब्रह्मलीन महंतद्वय को श्रद्धांजलि दी गई। व्यापार मंडल की तरफ से पूर्व महापौर सीताराम जायसवाल, महिला शक्ति की तरफ से पूर्व महापौर अंजू चौधरी, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की तरफ से डॉ. आरपी त्रिपाठी, चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज के संरक्षक एसके अग्रवाल, दवा विक्रेता समिति के अध्यक्ष योगेंद्र दूबे, गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी जटाशंकर से सरदार जगनैन सिंह नीटू ने ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी तथा ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के व्यक्तित्व, कृतित्व और आदर्शों का स्मरण किया।

एमपीपीजी कॉलेज की पत्रिका ‘विमर्श’ का हुआ विमोचन

इस अवसर पर महाराणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय जंगल भूषण के संस्थापक राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की पुण्यस्मृति को समर्पित महाविद्यालय द्वारा प्रकाशित शोध पत्रिका ‘विमर्श’ का विमोचन मुख्यमंत्री एवं मंचासीन अतिथिगण द्वारा किया गया। सरस्वती वंदना, गुरु महिमा गीत तथा श्रद्धांजलि गीत महाराण प्रताप बालिका इंटर कॉलेज रमदत्तपुर की छात्राओं ने,  वैदिक मंगलाचरण डॉ. रंगनाथ त्रिपाठी, गोरक्षाष्टक पाठ गौरव तिवारी एवं आदित्य पांडेय, महंत अवेद्यनाथ स्त्रोतपाठ डॉ. प्रांगेश मिश्र ने प्रस्तुत किया जबकि संचालन डॉ. श्रीभगवान सिंह ने किया।

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