One Nation One Election का मायावती ने किया समर्थन, अखिलेश ने उठाए कई सवाल
Sandesh Wahak Digital Desk : वन नेशन, वन इलेक्शन के प्रस्ताव को केंद्रीय कैबिनेट से अनुमति मिलने पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने जहां इसका समर्थन किया है, वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कई सवाल उठाए हैं।
’एक देश, एक चुनाव’ की व्यवस्था के तहत् देश में लोकसभा, विधानसभा व स्थानीय निकाय का चुनाव एक साथ कराने वाले प्रस्ताव को केन्द्रीय कैबिनेट द्वारा आज दी गयी मंजूरी पर हमारी पार्टी का स्टैण्ड सकारात्मक है, लेकिन इसका उद्देश्य देश व जनहित में होना ज़रूरी।
— Mayawati (@Mayawati) September 18, 2024
पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने एक्स पर लिखा कि एक देश, एक चुनाव पर हमारी पार्टी का स्टैंड सकारात्मक है। लेकिन इसका उद्देश्य देश व जनहित में होना जरूरी है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सवाल उठाते हुए कहा कि लगे हाथ महाराष्ट्र, झारखंड के विधानसभा चुनाव व यूपी के उपचुनाव भी घोषित करवा देते।
जनता पूछ रही है कि आपके (भाजपा) अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव अब तक क्यों नहीं हो पा रहा है?, जबकि सुना तो ये है कि वहां ‘वन पर्सन, वन ओपिनियन’ ही चलती है। कहीं कमजोर हो चुकी भाजपा में अब ‘टू पर्सन , टू ओपिनियन्स’ का झगड़ा तो नहीं है।
अखिलेश यादव क्या कहा
– अगर ‘वन नेशन, वन नेशन’ सिद्धांत के रूप में है तो कृपया स्पष्ट किया जाए कि प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री तक के सभी ग्राम, टाउन, नगर निकायों के चुनाव भी साथ ही होंगे या फिर त्योहारों और मौसम के बहाने सरकार की हार-जीत की व्यवस्था बनाने के लिए अपनी सुविधानुसार?
– भाजपा जब बीच में किसी राज्य की चयनित सरकार गिरवाएगी तो क्या पूरे देश के चुनाव फिर से होंगे?
– किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने पर क्या जनता की चुनी सरकार को वापस आने के लिए अगले आम चुनावों तक का इंतज़ार करना पड़ेगा या फिर पूरे देश में फिर से चुनाव होगा?
– इसको लागू करने के लिए जो सांविधानिक संशोधन करने होंगे उनकी कोई समय सीमा निर्धारित की गयी है या ये भी महिला आरक्षण की तरह भविष्य के ठंडे बस्ते में डालने के लिए उछाला गया एक जुमला भर है?
– कहीं ये योजना चुनावों का निजीकरण करके परिणाम बदलने की तो नहीं है? ऐसी आशंका इसलिए जन्म ले रही है क्योंकि कल को सरकार ये कहेगी कि इतने बड़े स्तर पर चुनाव कराने के लिए उसके पास मानवीय व अन्य ज़रूरी संसाधन ही नहीं हैं, इसीलिए हम चुनाव कराने का काम भी (अपने लोगों को) ठेके पर दे रहे हैं।
– जनता का सुझाव है कि भाजपा सबसे पहले अपनी पार्टी के अंदर ज़िले-नगर, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह के चुनावों को एक साथ करके दिखाए फिर पूरे देश की बात करे।
– चलते-चलते जनता यह भी पूछ रही है कि आपके अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव अब तक क्यों नहीं हो पा रहा है, जबकि सुना तो ये है कि वहाँ तो ‘वन पर्सन, वन ओपिनियन’ ही चलती है। कहीं कमज़ोर हो चुकी भाजपा में अब ‘टू पर्सन्स, टू ओपिनियन्स’ का झगड़ा तो नहीं है।
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