UP News: करोड़ों की घूस खाने वाले बड़े भ्रष्टाचारियों की बर्खास्तगी क्यों नहीं?

Sandesh Wahak Digital Desk: योगी सरकार का नारा भ्रष्टाचार के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस है। तभी महराजगंज जिले में एक सीएचसी पर मरीजों से एक रूपए अतिरिक्त घूस लेने वाले संविदा कर्मी को बर्खास्त कर दिया गया। लेकिन बड़े घूसखोरों को बर्खास्तगी का तोहफा देने में अफसरों के हाथ कांपने लगते हैं।

सिर्फ यही नहीं योगी सरकार द्वारा दागियों को जबरन वीआरएस देने की मुहिम भी मानो ठन्डे बस्ते में चली गयी है। सिर्फ छोटे कर्मियों को ही सेवा से बाहर करने का रास्ता दिखाया जा रहा है। पावर कार्पोरेशन प्रबंधन ने मेरठ के अधीक्षण अभियंता और आजमगढ़ के मुख्य अभियंता को निलंबित किया है।

41 करोड़ के टेंडर के लिए ली 2.5 करोड़ की रिश्वत

41 करोड़ के टेंडर के लिए ठेकेदारों से 2.5 करोड़ की रिश्वत ली गई थी। दोनों बिजली इंजीनियरों को बर्खास्तगी का तोहफा शायद ही कभी मिलेगा। अयोध्या में खंड शिक्षा अधिकारी का लेखाकार एक लाख की घूस लेते पकड़़ा गया।

मृतक टीचर के जीपीएफ का पैसा निकलवाने के बदले 1 लाख की घूस मांगी गयी थी। इसके बावजूद बर्खास्त नहीं किया गया है। मुरादाबाद में ठाकुरद्वारा तहसील में एसडीएम का स्टेनो पचास हजार रुपये की घूस लेते पकड़ा गया।  इसके बावजूद बर्खास्तगी नहीं हुई। यूपी में ऐसे मामलों की फेहरिस्त लम्बी है।

हाल ही में सरकार ने उन्हें पुन: राजस्व परिषद् में तैनाती दी है। ऐसे कई प्रकरण हैं। जहां भ्रष्टाचार के मामलों में जेल काटकर बाहर आने के बावजूद बर्खास्तगी करने से शासन को पूरी तरह ऐतराज है। लेकिन संविदा और आउटसोर्सिंग कर्मियों को एक झटके में बर्खास्त कर दिया जाता है।

भाजपा विधायक भड़के तो ज्यादा वसूली पर हुई कार्रवाई

महाराजगंज जिले में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में मरीजों से एक रुपये की निर्धारित फीस के बजाय दो रुपये वसूलने पर एक संविदा कर्मचारी की सेवा समाप्त कर दी गयी। एसीएमओ राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि अधिक शुल्क लेने में शामिल संविदा कर्मचारी संजय की सेवा समाप्त कर दी गयी है। भाजपा विधायक प्रेम सागर पटेल का वीडियो सामने आया था जिसमें वह सीएचसी का औचक निरीक्षण करते नजर आ रहे हैं। पटेल को पता चला कि अस्पताल में मरीजों से एक रुपये के पर्चे के लिए दो रुपये वसूले जा रहे थे।

राजीव कृष्ण, डीजी विजिलेंस

अगस्त से अभी तक विजिलेंस ने पकडे 16 से ज्यादा घूसखोर

भ्रष्टाचार की शिकायतों पर सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) ने अगस्त माह से अब तक विभिन्न विभागों के 16 से ज्यादा अधिकारी व कर्मचारी घूस लेते रंगे हाथ पकड़े गए हैं। डीजी विजिलेंस राजीव कृष्ण ने इन सभी मामलों में अभियोजन की कार्यवाही तेज किए जाने का निर्देश भी दिया है। विजिलेंस ने बीते एक माह में पुलिस, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, राजस्व व अन्य विभागों के अधिकारियों व कर्मियों के विरुद्ध की गई शिकायतों पर शिकंजा कसा है। इसके बावजूद इन घूसखोरों की बर्खास्तगी की कार्रवाई अंजाम नहीं दी गयी है।

नियमित कर्मी जेल हो आए, फिर भी बर्खास्तगी नहीं

संविदा और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों से जुड़े एक प्रमुख संघ के पदाधिकारी का कहना है कि हमारे साथ लम्बे समय से उत्पीडऩ की कार्रवाई की जा रही है। संविदा कर्मी को बर्खास्त करने का आदेश जारी करने में अफसरों के हाथ बिलकुल भी नहीं हिचकते हैं। वहीं नियमित कर्मी/अफसर अगर भ्रष्टाचार के मामले में जेल जाने के बाद जमानत पर बाहर आये तो भी कार्रवाई की बजाय उसे तैनाती से नवाजा जाता है। विभागों में नियुक्ति के एवज में खुलेआम घूस मांगने वाले अफसरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। स्वास्थ्य विभाग के बड़े अफसरों की सम्पत्तियों की जांच कराई जाए तो घूसखोरी की रकम के निवेश की सच्चाई सामने आएगी।

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