Gonda Politics: जिले की सियासत में नयी इबारत लिख सकते हैं बृजभूषण शरण सिंह!
पूर्व सांसद दंपति ने अब तक नहीं ली भाजपा की सदस्यता, चर्चाएं गर्म, सियासी गलियारे में तलाशे जा रहे राजनीतिक निहितार्थ
Sandesh Wahak Digital Desk/A.R.Usmani: देवीपाटन मंडल, गोण्डा समेत आस-पास के जिलों के नेताओं के साथ ही राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोगों की नजरें पूर्व बाहुबली सांसद बृजभूषण शरण सिंह की गतिविधियों पर हमेशा रहती हैं।
बीजेपी द्वारा चलाए जा रहे सदस्यता अभियान पर भी लोगों की नजरें जमी हुई हैं। वैसे तो अब तक जिले के लगभग सभी जनप्रतिनिधि एवं वरिष्ठ नेता सदस्यता ले चुके हैं, लेकिन जिस शख्सियत ने इससे दूरी बना रखी है, उसकी चर्चाएं इन दिनों राजनीतिक हलकों में खूब हो रही हैं और लोगों द्वारा इसके निहितार्थ तलाशे जा रहे हैं।
वरिष्ठ नेताओं को क्षेत्र वार जिम्मेदारी सौंपी गई अहम जिम्मेदारी
दरअसल, भारतीय जनता पार्टी ने अपने सभी सदस्यों की मेम्बरशिप को सस्पेंड कर वृहद सदस्यता अभियान शुरू किया है। इसके तहत सभी सांसदों, विधायकों, जिला पंचायत अध्यक्षों, ब्लाक प्रमुखों के साथ ही पार्टी से जुड़े सभी जनप्रतिनिधियों, नेताओं एवं आमजन को पुनः सदस्य बनाया जाना है। इसके लिए वरिष्ठ नेताओं को क्षेत्र वार जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसमें जनप्रतिनिधियों, मंत्रियों की भी जिम्मेदारी तय की गई है।
जिले की सातों विधानसभा सीटों के साथ ही जिला पंचायत अध्यक्ष, विधान परिषद सदस्य, 15 ब्लाकों के प्रमुख समेत सांसदी पर भी सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है। पार्टी द्वारा चलाए जा रहे अभियान के तहत अब तक लगभग सभी विधायक, पूर्व विधायक, सांसद, पूर्व सांसद सहित अन्य जनप्रतिनिधि एवं वरिष्ठ नेतागण भाजपा की सदस्यता ले चुके हैं।
जिस शख्सियत ने अब तक सदस्यता नहीं ली है, वो हैं भाजपा के पूर्व बाहुबली सांसद बृजभूषण शरण सिंह और उनकी पत्नी पूर्व भाजपा सांसद केतकी देवी सिंह। पूर्व सांसद दंपति द्वारा अब तक भाजपा की सदस्यता न लेना राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है और लोगों द्वारा इसके राजनीतिक निहितार्थ तलाशे जा रहे हैं। असल में इसकी वजह भी साफ है।
बृजभूषण शरण सिंह को पार्टी नेतृत्व ने किया नजरंदाज
महिला पहलवानों के प्रकरण के बाद जिस तरह पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह को पार्टी नेतृत्व ने नजरंदाज किया। लोकसभा चुनाव में टिकट काटकर उनके बेटे करण भूषण सिंह को चुनावी रण में उतारा। उससे राजनीतिक अखाड़े के महारथी बृजभूषण शरण सिंह की नाराजगी जगजाहिर है। इसके साथ ही यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से बृजभूषण सिंह का छत्तीस का आंकड़ा भी किसी से छिपा नहीं है।
सच तो यह है कि देवीपाटन मंडल की राजनीति में क्षत्रप बनकर उभरे बृजभूषण शरण सिंह एकक्षत्र राज चाहते हैं। लेकिन भाजपा में उनकी यह मंशा पूरी नहीं हो सकी। इसके अलावा वे अपने पुत्र गोण्डा सदर सीट से लगातार दूसरी बार जीतकर असेंबली में पहुंचने वाले विधायक प्रतीक भूषण सिंह को योगी मंत्रिमंडल में शामिल कराना चाहते थे, लेकिन उनका यह सपना भी पूरा नहीं हो सका, जो उन्हें अंदर ही अंदर कचोटता रहता है। ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले समय में राजनीति के भीष्म पितामह कहे जाने वाले बृजभूषण शरण सिंह जिले की सियासत में नयी इबारत लिख सकते हैं!
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