Haryana Election 2024: विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया कांग्रेस में होंगे शामिल, कुश्ती के बाद अब सियासत में एंट्री
Vinesh Phogat-Bajrang Punia to Join Congress: हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस का कुनबा बढ़ने जा रहा है. दरअसल, विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं. इस बीच खबर है कि कुश्ती के दो धाकड़ खिलाड़ी विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया आज कांग्रेस पार्टी में शामिल होंगे.
ख़बरों के मुताबिक, दोनों आज दोपहर 1.30 बजे कांग्रेस में शामिल होंगे. आपको बता दें कि पिछले काफी समय से ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि कुश्ती के दोनों धाकड़ पहलवान कांग्रेस पार्टी में शामिल हो सकते हैं. इससे पहले दोनों ने राहुल गांधी से मुलाकात भी की थी.
BJP नेता अनिल विज ने साधा विनेश फोगाट पर निशाना
हरियाणा बीजेपी के वरिष्ठ नेता अनिल विज ने विनेश फोगाट को लेकर कहा कि अगर विनेश देश की बेटी से कांग्रेस की बेटी बनना चाहती है, तो हमें क्या ऐतराज होगा.
उन्होंने पहलवानों के विरोध प्रदर्शन का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस पहले दिन से ही पहलवानों के बैक में थी और कांग्रेस के उकसाने से ही वो आंदोलन चल रहा था, नहीं तो उसका फैसला भी हो जाता.
इससे पहले बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने भी विनेश फोगाट को लेकर कहा था कि विनेश को जल्द यह समझ में आ जाएगा कि कांग्रेस उनकी प्रतिष्ठा को भुनाना चाहती है. क्या विनेश फोगाट 370 लगाना चाहती हैं, दलितों पर अत्याचार करना चाहती हैं? इसलिए यह थोड़ी देर की बात है, सबको वक्त पर समझ में आ जाएगा.
किस सीट से मिल सकता है टिकट?
सियासी गलियारों में चल रहे कयास के मुताबिक, विनेश फोगाट को दादरी से टिकट दिया जा सकता है. वहीं, बजरंग पूनिया बादली से टिकट मांग रहे हैं. लेकिन कांग्रेस इस सीट की जगह उन्हें किसी जाट बहुल सीट से उतारने का प्लान कर रही है.
विनेश के राजनीति में आने से क्या होगा?
विनेश फोगाट का संभावित राजनीतिक प्रवेश हरियाणा की राजनीति में एक बड़ा बदलाव ला सकता है. उनके खाप पंचायतों और किसानों के साथ मजबूत रिश्ते उन्हें चुनाव में बड़ा समर्थन दिला सकते हैं. आगामी विधानसभा चुनाव में विनेश फोगाट की भूमिका हरियाणा की सियासत में एक अहम मोड़ साबित हो सकती है.
हरियाणा में कब होगा चुनाव?
हरियाणा विधानसभा चुनाव 5 अक्टूबर को होगा. वहीं, मतगणना 8 अक्टूबर को होगी. आपको बता दें कि इससे पहले यह तारीख 1 और 4 अक्टूबर थी. लेकिन चुनाव आयोग ने इसमें बदलाव कर दिया.
आयोग ने इसके पीछे की वजह बताते हुए सफाई दी कि बिश्नोई समुदाय के मताधिकार और परंपराओं दोनों का सम्मान करने के लिए यह फैसला लिया गया है. बिश्नोई समाज ने आसोज अमावस्या उत्सव में भाग लेने की सदियों पुरानी प्रथा को कायम रखा है. ये उस दिन अपने गुरु जम्बेश्वर की स्मृति में उत्सव मनाते हैं. राजस्थान की नोखा तहसील में पिछले करीब 490 साल से तो यह मेला लगातार आयोजित होता रहा है.